हाईकोर्ट ने चंडीगढ जीएमएसएच 32 में पी.जी. मेडिकल दाखिले को लेकर डोमिसाइल कोटा रद्द।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने जी.एम.सी.एच.-32 (गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) में पी.जी. मेडिकल दाखिले को लेकर डोमिसाइल कोटे पर रोक लगा दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार ही दाखिले किए जाएं और नीट पी.जी. रैंकिंग के
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चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमीत गोयल की खंडपीठ ने शुभमदीप सिंह कांग बनाम केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ समेत चार सिविल रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया। ये याचिकाएं यू.टी. चंडीगढ़ में पी.जी. मेडिकल दाखिले की पद्धति को चुनौती देने के संबंध में दायर की गई थीं।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के ‘डा. तन्वी बहल बनाम श्रेय गोयल’ केस के फैसले को दोहराते हुए कहा कि अधिवास (डोमिसाइल) आधारित आरक्षण असंवैधानिक है और इसका पालन हर हाल में होना चाहिए।
यू.टी. प्रशासन की दलीलें खारिज
यू.टी. प्रशासन ने कोर्ट में दलील दी थी कि इस बदलाव से दाखिला प्रक्रिया बाधित नहीं होगी और 50% अखिल भारतीय कोटे की सीमा भी पार नहीं होगी। लेकिन हाईकोर्ट ने इस तर्क को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ बताया। साथ ही कोर्ट ने यू.टी. प्रशासन के उस प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया जिसमें तीसरे राउंड की काउंसलिंग में बची हुई राज्य कोटा सीटों को संस्थागत वरीयता पूल में बदलने की बात की गई थी। यह प्रस्ताव प्रशासन द्वारा 9 अप्रैल, 2025 को जारी सार्वजनिक नोटिस में दिया गया था।
कोर्ट ने उन छात्रों को राहत देने से इनकार कर दिया जिन्होंने पहले और दूसरे काउंसलिंग राउंड के बाद आवंटित सीटें यह सोचकर वापस कर दी थीं कि उन्हें बेहतर विकल्प मिलेगा। पीठ ने कहा कि स्वेच्छा से सीट लौटाने वाले छात्र सुप्रीम कोर्ट के ‘श्रेय गोयल’ फैसले के तहत संरक्षण पाने के पात्र नहीं हैं।
सख्त निर्देश, 10,000 का जुर्माना भी
हाईकोर्ट ने यू.टी. प्रशासन को निर्देश दिया कि दाखिला प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के 24 मार्च, 2025 के आदेश और ‘श्रेय गोयल’ केस के अनुसार ही की जाए। अदालत ने यू.टी. प्रशासन का स्पष्टीकरण आवेदन 10,000 रुपए की लागत के साथ खारिज कर दिया।
अदालत ने साफ तौर पर कहा है कि पी.जी. मेडिकल की सीटें किसी राज्य या क्षेत्र की प्राथमिकता के आधार पर नहीं, बल्कि केवल नीट पी.जी. की मेरिट लिस्ट यानी रैंकिंग के आधार पर दी जानी चाहिए। यह फैसला इसलिए जरूरी है ताकि दाखिला प्रक्रिया ईमानदारी से हो और सभी छात्रों को बराबरी का मौका मिले।