चंडीगढ़ पुलिस में वॉलंटरी रिटायरमेंट (वीआरएस) का चलन तेजी से बढ़ रहा है। कांस्टेबल से लेकर सब-इंस्पेक्टर रैंक तक के अधिकारी अपनी इच्छा से रिटायर हो रहे हैं। बीते 2 वर्षों में सबसे ज्यादा वीआरएस के मामले सामने आए हैं। पुलिस विभाग के मुताबिक अब तक करीब
.
बता रहे पारिवारिक कारण
ज्यादातर पुलिसकर्मियों ने वीआरएस का कारण पारिवारिक और व्यक्तिगत समस्याएं बताया है, लेकिन अब अधिकारी केवल आवेदनकर्ता से ही नहीं, उसके परिजनों से भी वी.आर.एस. की वजह जानने का निर्णय ले रहे हैं।
सेंट्रल रूल लागू होने के बाद बदला ट्रेंड
पहले चंडीगढ़ पुलिस में रिटायरमेंट की उम्र 58 वर्ष थी, लेकिन केंद्र सरकार के नियम लागू होने के बाद यह उम्र 60 वर्ष कर दी गई। इसके चलते कई पुलिसकर्मी सेवा के आखिरी वर्षों में खुद वीआरएस लेकर सम्मानपूर्वक विदाई चाहते हैं।पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सेवा के अंतिम वर्षों में जिम्मेदारियां अधिक बढ़ जाती हैं, जिससे जवान मानसिक दबाव में आ जाते हैं। कई जवान ऐसे भी हैं जो बुनियादी केस दर्ज करने तक में असमर्थ रहते हैं।
2024 में 15 पुलिसकर्मी बर्खास्त, 44 ने मांगा वीआरएस
2024 में सेक्टर-39 के एडिशनल एसएचओ नवीन फोगाट सहित कुछ पुलिसकर्मियों पर एक करोड़ की लूट का मामला दर्ज हुआ था। इसके बाद 44 पुलिसकर्मियों ने वीआरएस की मांग की। इसी वर्ष 15 पुलिसकर्मी विभाग से बर्खास्त भी किए गए।इसके अतिरिक्त, जिन पुलिसकर्मियों पर रिश्वत जैसे मामलों में आरोप लगे, उन्हें सीधे विभाग से डिसमिस किया गया। इन घटनाओं के बाद वीआरएस के आवेदन तेजी से बढ़े हैं।
मार्च में 12 जवानों ने ली वी.आर.एस.
फरवरी 2024 में चंडीगढ़ पुलिस के 24 पुलिसकर्मी रिटायर हुए, जिनमें से 6 इंस्पेक्टर वीआरएस लेकर सेवा से बाहर हुए। इन अफसरों में सुशील कुमार, दलबीर सिंह, चंद्रमोहन, अमरीक सिंह, दिनेश कुमार और शमशेर सिंह शामिल हैं। इसके अलावा एएसआई परविंदर कौर, कुलविंदर सिंह और राम कर्ण ने भी वी.आर.एस. ली।मार्च महीने में भी 12 जवानों ने वी.आर.एस. ली, जो संकेत देता है कि आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ सकती है।