चंडीगढ़ स्थित धनास की मार्बल मार्केट।
चंडीगढ़ में लंबे समय से अटके पड़े सेक्टर-56 के बल्क मार्केट प्रोजेक्ट में अब और देरी हो सकती है। प्रशासन को इस परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी (Environmental Clearance) लेनी होगी, जो बिना केंद्र सरकार की स्वीकृति के संभव नहीं है। इससे फर्नीचर और मार्
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डिप्टी कमिश्नर व एस्टेट अफसर निशांत कुमार यादव ने बताया इस प्रोजेक्ट का कुल निर्मित क्षेत्र (Built-up Area) 20,000 वर्ग मीटर से अधिक है, इसलिए इसके लिए पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) के तहत स्वीकृति लेना जरूरी है। यह मंजूरी लेने से पहले सार्वजनिक सुनवाई (Public Hearing) भी कराई जाएगी। एस्टेट ऑफिस ने इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए यूटी पर्यावरण विभाग को पत्र भेज दिया है।
अधिकारियों के अनुसार, पर्यावरण मंत्रालय के निर्देशानुसार, ऐसे सभी प्रोजेक्ट्स जिनमें निर्मित क्षेत्र 20,000 वर्ग मीटर या उससे अधिक है, वहां निर्माण कार्य शुरू करने से पहले पर्यावरण मंजूरी जरूरी होती है। जब तक यह स्वीकृति नहीं मिलती, तब तक किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जा सकता।
सेक्टर-56 में 200 प्लॉट, 55 बूथ बनाए जाएंगे
सेक्टर-56 में विकसित किए जा रहे इस बल्क मार्केट में धनास मार्बल मार्केट और फर्नीचर मार्केट के कारोबारियों को पुनर्वासित किया जाना है। एस्टेट ऑफिस इस मार्केट में बनाए गए बूथों और प्लॉट्स की नीलामी की योजना बना रहा है। मार्केट में 200 एक कनाल के प्लॉट और 55 बूथ प्रस्तावित हैं। यह प्रोजेक्ट कई वर्षों से अटका हुआ है। पिछले साल प्रशासन ने सेक्टर-56 में बल्क मार्केट विकसित करने की योजना को अंतिम रूप दिया था। योजना के तहत मार्बल और फर्नीचर कारोबारियों को वैध तरीके से प्लॉट या बूथ खरीदने का मौका दिया जाएगा। इसके बाद प्रशासन की योजना थी कि मौजूदा चल रही मार्बल और फर्नीचर मार्केट को ध्वस्त कर दिया जाए।