चंडीगढ़ में मेट्रो के लिए करना होगा और इंतजार।
चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला के लिए प्रस्तावित मेट्रो प्रोजेक्ट का इंतजार और लंबा हो गया है। चंडीगढ़ प्रशासन ने इस प्रोजेक्ट पर बनी रिपोर्ट में कई कमियां पाकर कंसल्टेंट कंपनी राइट्स लिमिटेड (RITES) को इसे दोबारा ठीक करने के लिए कह दिया है।
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मंगलवार को चंडीगढ़ प्रशासन, पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों और राइट्स कंपनी के बीच बैठक हुई। इस दौरान राइट्स ने मेट्रो की योजना, खर्च, भविष्य में कितने लोग सफर करेंगे, ट्रेन कैसे चलेगी, कहां से बिजली आएगी, रास्ता कैसा होगा, कितनी लागत लगेगी और कैसे पैसा जुटेगा—इन सब बातों पर रिपोर्ट दी।
प्रशासन ने राइट्स को साफ कहा है कि जब तक ये सभी जरूरी बातें रिपोर्ट में नहीं जोड़ी जातीं, तब तक मेट्रो प्रोजेक्ट पर आगे कोई फैसला नहीं होगा। इसलिए अब राइट्स को पूरी रिपोर्ट दोबारा बनानी पड़ेगी।
क्या है RITES की रिपोर्ट में
RITES लिमिटेड (रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकनॉमिक सर्विस), जो एक सरकारी इंजीनियरिंग कंसल्टेंसी कंपनी है, ने इस रिपोर्ट में ट्रैफिक डिमांड, ज़ोनल एनालिसिस, हाईवे नेटवर्क, यात्रियों की संख्या, ऑपरेशनल घंटे, ट्रेन संचालन योजना, पावर सप्लाई सिस्टम, निर्माण लागत, आर्थिक और वित्तीय लाभ-हानि आदि का विस्तृत विश्लेषण किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्तावित मेट्रो 3 कॉरिडोर में 85.65 किमी लंबी होगी। यदि पूरी तरह एलिवेटेड (Scenario G) रहे तो इसकी लागत ₹23,263 करोड़ आंकी गई है और यदि अंडरग्राउंड हो तो ₹27,680 करोड़। निर्माण सहित 2031 तक इसकी कुल लागत ₹25,631 करोड़ (एलिवेटेड) और ₹30,498 करोड़ (अंडरग्राउंड) अनुमानित है।

समझे क्या है ये मेट्रो प्रोजेक्ट
यह मेट्रो प्रोजेक्ट चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला के लोगों के लिए बनाया जा रहा है, ताकि सफर आसान और तेज हो सके। नवंबर 2024 में चंडीगढ़ के प्रशासक और पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने इस प्रोजेक्ट की जांच करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई थी।
यह समिति ये देख रही है कि मेट्रो बनाना कितना फायदेमंद और जरूरी है। जनवरी और फरवरी में दो बार मीटिंग हो चुकी है, लेकिन रिपोर्ट में गड़बड़ियां होने की वजह से अब इस पर फैसला टल गया है।
अब जब रिपोर्ट ठीक होकर आएगी, तभी आगे की योजना बनाई जाएगी। फिलहाल मेट्रो का सपना अभी और इंतजार करवाएगा।