अब चंडीगढ़ में अगर कोई टाउनशिप 50 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर बनेगी या किसी निर्माण परियोजना का निर्मित क्षेत्र 1.5 लाख वर्गमीटर से ज्यादा होगा, तो उसके लिए पहले पर्यावरण विभाग से मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। इसी तरह, 20,000 वर्गमीटर से ज्यादा निर्माण क
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यह फैसला यूटी पर्यावरण विभाग ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश पर लिया है। एनजीटी ने 5 अगस्त 2024 को जारी आदेश में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) को 14 सितंबर 2006 की अधिसूचना का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए थे।
ये प्रोजेक्ट ‘कैटेगरी A’ में होंगे शामिल…..
अधिसूचना के अनुसार, ऐसे सभी निर्माण प्रोजेक्ट जो संपूर्ण रूप से या आंशिक रूप से निम्न स्थानों में आते हैं, उन्हें ‘कैटेगरी A’ में मानते हुए केंद्रीय स्तर पर सेक्टोरल एक्सपर्ट एप्रेजल कमेटी द्वारा मूल्यांकित किया जाएगा:
- वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत अधिसूचित संरक्षित क्षेत्र के 5 किलोमीटर के भीतर स्थित प्रोजेक्ट
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा चिन्हित गंभीर रूप से प्रदूषित और अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्र
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा 3(2) के तहत अधिसूचित ईको-सेंसिटिव क्षेत्र
- अंतर-राज्यीय सीमाओं पर स्थित परियोजनाएं
MoEFCC को नियमों में स्पष्टता देने के निर्देश
NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने पर्यावरण मंत्रालय (MoEFCC) से कहा है कि अगर किसी नियम में कोई भ्रम या अस्पष्टता है, तो मंत्रालय को एक नई अधिसूचना जारी करके उसे साफ करना चाहिए। अगर नई अधिसूचना नहीं आती, तो फिर 2006 की पर्यावरण अधिसूचना को पूरी तरह लागू किया जाए। इसी आदेश के तहत चंडीगढ़ का पर्यावरण विभाग अब सख्ती से इन नियमों को लागू कर रहा है ताकि भविष्य में किसी भी प्रोजेक्ट में पर्यावरण से जुड़े नियमों का उल्लंघन न हो।
यूटी पर्यावरण विभाग का साफ निर्देश
यूटी (चंडीगढ़) पर्यावरण विभाग ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि कोर्ट के आदेश के अनुसार अब 2006 की पर्यावरण अधिसूचना की श्रेणी 8(क) और 8(ख) के तहत आने वाले सभी निर्माण कार्यों पर सामान्य नियम लागू होंगे। जब तक केंद्र सरकार की तरफ से कोई नई अधिसूचना नहीं आती, तब तक यह नियम लागू रहेंगे।