चंडीगढ़ पीजीआई के एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एआरडी) ने संस्थान के निदेशक को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी, जिसमें 7 अक्टूबर को आपातकालीन सेवाओं को बंद करने के मामले पर सफाई दी गई। रिपोर्ट में एआरडी ने स्पष्ट किया कि आपातकालीन सेवाएं निलंबित नहीं की गई
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रिपोर्ट के अनुसार, 7 अक्टूबर की शाम को एक महिला सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर के साथ एक मरीज के अटेंडेंट द्वारा मारपीट की गई थी। इस दौरान, एक महिला सुरक्षा गार्ड के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया। इस घटना से इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ भावनात्मक रूप से आहत हो गए और उन्होंने कुछ समय के लिए अपनी ड्यूटी छोड़ दी।
एआरडी का दावा है कि इस घटना की खबर रेजिडेंट डॉक्टरों के व्हाट्सएप ग्रुप में फैलने के बाद वे इमरजेंसी ओपीडी से चले गए थे। हालांकि, एआरडी अध्यक्ष डॉ. हरिहरन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने या किसी अन्य पदाधिकारी ने डॉक्टरों को आपातकालीन सेवाओं से हटने के लिए उकसाया नहीं था।
वहीं, एक संकाय सदस्य ने डॉ. हरिहरन पर आरोप लगाया कि वे आपातकालीन सेवाओं को बंद करवाने के लिए उकसा रहे थे और घटना के समय सेक्टर 15 मार्केट में थे। एआरडी ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनके अध्यक्ष ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए इमरजेंसी विभाग में पहुंचकर संस्थागत एफआईआर की मांग की थी।
एआरडी की रिपोर्ट में बताया गया कि स्थिति बिगड़ने के बाद निदेशक के हस्तक्षेप पर डॉ. हरिहरन तुरंत वापस लौट आए थे। एआरडी ने नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों के उस सामूहिक निर्णय का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने इस गंभीर घटना के कारण अपनी सेवाओं को अस्थायी रूप से रोकने का फैसला किया था।