Friday, April 18, 2025
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चंडीगढ़ PGI में ए.आई. तकनीक से होगी रिसर्च: आवाज से पता चलेगा कैंसर, ICMR से 90 लाख की ग्रांट, 3 साल में होगी पूरी – Chandigarh News


वोकल कॉर्ड कैंसर (लैरिंजियल कैंसर) की समय रहते पहचान अब सिर्फ आवाज़ से हो सकेगी। चंडीगढ़ पीजीआई के ईएनटी विभाग की टीम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.) की मदद से एक नई स्टडी करने जा रही है, जिसमें इंसानी आवाज़ के बदलते पैटर्न से कैंसर की आशंका का पता लग

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लोगों की जिंदगियां बचाने की कोशिश

इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का नेतृत्व हैड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. जयमंती बक्शी कर रही हैं। उनका कहना है कि यह रिसर्च सिर्फ एक अध्ययन नहीं बल्कि एक नई दिशा है, जहां टेक्नोलॉजी और मेडिकल साइंस मिलकर लोगों की जिंदगियां बचाने की कोशिश करेंगे। अधिकतर मामलों में कैंसर का समय पर पता नहीं चलने से इलाज में देरी होती है, जिससे यह जानलेवा साबित होता है। ऐसे में अगर सिर्फ आवाज़ से कैंसर की पहचान संभव हो जाए, तो यह इलाज और बचाव की दिशा में क्रांतिकारी कदम होगा। यह तकनीक भविष्य में अन्य वॉयस डिसऑर्डर की पहचान में भी अहम भूमिका निभा सकती है।

डॉ. जयमंती बक्शी, हैड ऑफ डिपार्टमेंट पीजीआई।

ऐसे होगी स्टडी 2 ग्रुप बनाए जाएंगे

इस रिसर्च के तहत 1000 लोगों की आवाज़ का डेटा जुटाया जाएगा। इसमें दो समूह होंगे—एक में पूरी तरह स्वस्थ लोगों की आवाज़ का अध्ययन किया जाएगा, वहीं दूसरे समूह में ऐसे मरीज शामिल होंगे, जिन्हें पहले से वॉयस डिसऑर्डर की शिकायत है। सभी की आवाजें एक खास मोबाइल ऐप में रिकॉर्ड की जाएंगी और फिर उसे एआई सॉफ्टवेयर से विश्लेषित किया जाएगा। सॉफ्टवेयर यह जांचेगा कि किस आवाज़ में कैंसर की संभावना वाले पैटर्न मौजूद हैं।

ओपीडी में बढ़ रही वोकल कॉर्ड कैंसर की शिकायतें

ईएनटी विभाग की ओपीडी में हर साल करीब 100 मरीज वोकल कॉर्ड कैंसर के इलाज के लिए आते हैं और लगभग 20 मरीजों की सर्जरी होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, स्मोकिंग, तंबाकू और शराब इस बीमारी की प्रमुख वजहें हैं।

ये हैं वोकल कॉर्ड कैंसर के लक्षण

ईएनटी विभाग की प्रो. भानुमति बताती हैं कि आवाज़ में लगातार खराश रहना, भारीपन, बोलने में दर्द या थकावट, या आवाज़ का पूरी तरह बंद हो जाना वोकल कॉर्ड कैंसर के शुरूआती संकेत हो सकते हैं। ऐसे में तुरंत विशेषज्ञ से जांच कराना जरूरी है।

इन लोगों को किया जाएगा शामिल

रिसर्च में 18 वर्ष से ऊपर के स्वस्थ व्यक्ति और आवाज़ संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को शामिल किया जाएगा। रिसर्च टीम का मानना है कि यह तकनीक जैसे-जैसे और डेटा इकट्ठा करेगी, इसकी सटीकता भी बढ़ेगी और यह कैंसर की पहचान का आसान और भरोसेमंद तरीका बन सकती है।



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