29 मिनट पहले
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इस तस्वीर को AI की मदद से तैयार किया गया है।
रूस चांद पर न्यूक्लियर पॉवर प्लांट बनाने की योजना पर काम कर रहा है। ये पावर प्लांट रूस और चीन की उस साझेदारी का हिस्सा है जिसके तहत ये दोनों देश चांद पर बेस बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं। इसकी मदद से चांद पर बनने वाले बेस की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जाएगा।
इस प्लांट की योजना में रूस और चीन के साथ, अब भारत भी शामिल होना चाहता है। रूस की स्टेट न्यूक्लियर एनर्जी कॉर्पोरेशन, रॉसटोम के प्रमुख एलेक्सी लिखाशेव के हवाले से रूसी समाचार एजेंसी TASS के ने जानकारी दी है।
रूस के शहर व्लादिवोस्तोक में आयोजित ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में लिखाशेव ने कहा कि ये प्रोजेक्ट बहुराष्ट्रीय है। इस प्रोजेक्ट में हमारे पार्टनर देश चीन और भारत भी रुचि ले रहे हैं।
लिखाशेव ने इस प्रोजेक्ट को आपसी सहयोग की भावना वाला प्रोजेक्ट बताया।
2035 तक न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने की योजना इससे पहले मार्च में रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस के CEO यूरी बोरिसोव ने कहा था कि 2033-35 में रूस और चीन मिलकर चांद की सतह पर न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाएंगे।
बोरिसोव ने कहा था कि पावर प्लांट को चांद की सतह तक पहुंचाने के लिए रूस न्यूक्लियर पावर से चलने वाला रॉकेट ज्यूस बनाएगा। यह एक कार्गो रॉकेट होगा और पूरी तरह से ऑटोमैटिक होगा। इसे चलाने के लिए इंसान की जरूरत नहीं होगी, सिर्फ लॉन्चिंग पर इंसानों को ध्यान देना होगा।
रॉसटोम के इस प्रोजेक्ट का मकसद चांद पर एक छोटा परमाणु बिजली संयंत्र बनाना है। इसकी मदद से 0.5 मेगावाट बिजली पैदा की जाएगी। इससे चांद पर बनाए जा रहे बेस को चलाने में मदद मिलेगी।
रूस और चीन ने 2021 में इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन को बनाने की घोषणा की थी।
भारत भी चांद पर 2040 तक इंसान भेजना चाहता है भारत की स्पेस एजेंसी ISRO 2040 तक चांद की सतह पर इंसानों को भेजने की योजना पर काम कर रही है। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक अगर भारत रूस के साथ मिलकर चांद पर न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने पर काम करता है, तो उसे अपने मून मिशन में भी मदद मिलेगी।
इसके अलावा भारत 2035 तक अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन बनाना चाहता है। साथ ही भारत गगनयान मिशन पर काम कर रहा है। गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है जिसके तहत चार एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में जाएंगे।
ये मिशन 2025 तक लॉन्च हो सकता है। गगनयान में 3 दिनों का मिशन होगा, जिसके तहत एस्ट्रोनॉट्स के दल को 400 KM ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा। इसके बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा।
अगर भारत अपने मिशन में कामयाब रहा तो वो ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, चीन और रूस ऐसा कर चुके हैं।
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