नगर निगम को अस्तित्व में आने के बाद कूड़े के पहाड़ घटे नहीं है। साल-दर-साल ये कूड़े के ढेर पहाड़ में तब्दील होते जा रहे हैं। निगम अफसरों ने कूड़ा निस्तारण और सेग्रीगेशन को लेकर इंदौर समेत अन्य शहरों तक का दौरा किया लेकिन कूड़े का पहाड़ घटने की बजाए और बढ़ गय
.
कूड़े का निस्तारण न होने को लेकर एनजीटी ने निगम की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए 100 करोड़ का जुर्माना भी लगाया था। निगम ने कूड़े के निस्तारण के लिए कई योजनाएं तैयार की लेकिन वे बीच में ही दम तोड़ गईं। नतीजा ये रहा कि ताजपुर डंप साइट पर 35 फीट तक कूड़े का पहाड़ बन गया। 2020 में ताजपुर डंप साइट पर 12 लाख टन कूड़ा था।
निस्तारण न होने से जो 20 लाख मिट्रिक टन हो चुका है। एनजीटी की सख्ती के बाद निगम ने 27 करोड़ से 5 लाख टन कूड़े का बायोरेमीडेशन करने की योजना बनाई जिसमें से दो साल में 4.60 लाख मीट्रिक टन का निस्तारण हो चुका है। इसके अलावा इस कूड़े को खत्म करने के लिए केंद्र से मिले 30 करोड़ भी खर्च हो गए लेकिन स्थिति जस की तस है। दरअसल निगम ने पांच लाख टन कूड़े के निस्तारण की तो योजना बनाई लेकिन रोजाना निकलने वाले 1200 मीट्रिक टन कूड़े के निस्तारण की कोई योजना नहीं बनाई। इसी के चलते 57 करोड़ खर्च करने के बाद भी कूड़े का पहाड़ घटने के बजाए और बढ़ गया।
कंपनी ने दी थी 50 लाख की सिक्योरिटी
कूड़े के पहाड़ को समाप्त करने की योजना बना रहे नगर निगम को झटका लगा है। निगम ने रोजाना 200 मीट्रिक टन कूड़ा निस्तारण करने की योजना बनाई थी। इसके तहत ताजपुर रोड पर 7 एकड़ जमीन पर प्लांट लगाया जाना था। प्लांट लगाने का पूरा खर्च कंपनी को उठाना था। कंपनी को 20 साल तक प्लांट का रखरखाव करना था।
निगम ने टेंडर कॉल किए थे जिसमें एक कंपनी ने हिस्सा लिया था। कंपनी ने 50 लाख सिक्योरिटी राशि जमा कराई थी। बीच में कंपनी ने हाथ खींच लिए हैं। अब निगम सिक्योरिटी के रूप में जमा रकम को जब्त करने की तैयारी कर रहा था लेकिन कंपनी की ओर से जमा राशि को वापस करने की बात कही गई थी। ऐसे में निगम दोबारा से कंपनी को एक और मौका देने की तैयारी कर रहा है
ये टेंडर निगम ने किए हैं कॉल
कूड़ा निस्तारण नहीं होने का मामला एनजीटी में भी दायर किया गया था। निगम ने एनजीटी में बताया कि उन्होंने दो टेंडर 100 करोड़ और 50 करोड़ के कॉल किए हैं। निगम ने 400 मीट्रिक टन डेली कचरे को ग्रीन चारकोल में बदलने के लिए चेन्नई स्थित फर्म के साथ एमओयू किया है। तीन साल के लिए शुरू किए गए पायलट प्रोजेक्ट के तहत फर्म 400 मीट्रिक टन(प्रति दिन) ताजा डेली कचरे को ग्रीन चारकोल में बदल देगी। कचरे को थर्मोकेमिकल रिएक्शन के माध्यम से ग्रीन चारकोल में बदला जाएगा।
निगम को दिया झटका, फिर भी कंपनी को मौका देने की तैयारी
लापरवाही}रोजाना के 1200 मीट्रिक टन कूड़े पर नहीं दिया ध्यान, नतीजा…
रोजाना निकलने वाले कूड़े का निस्तारण न होने से ताजपुर साइट पर कूड़े का पहाड़ बन गया है। राहगीरों को दिक्कत होती है।