श्रीनगर6 मिनट पहले
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माधवी लता IISc बेंगलुरु में सिविल इंजीनियरिंग विभाग की सीनियर प्रोफेसर हैं और चिनाब रेलवे ब्रिज प्रोजेक्ट में चीफ जियो-टेक्निकल कंसलटेंट थीं।
दुनिया के सबसे लंबे चिनाब रेल ब्रिज के निर्माण को लेकर सोशल मीडिया पर इंजीनियर डॉक्टर माधवी लता को लोग बधाई दे रहे हैं। अब इसको लेकर उन्होंने एक लिंक्डइन पोस्ट शेयर किया है।
इसमें उन्होंने कहा कि चिनाब ब्रिज के निर्माण का श्रेय मुझे न दें। इसकी प्लानिंग, डिजाइन और निर्माण का सारा श्रेय भारतीय रेलवे और AFCONS को जाता है। इसमें मेरा रोल जिओ टेक्निकल के तौर पर रहा है, जिसका काम ढलान पर नींव के डिजाइन पर काम करना था। माधवी लता ने कहा;-

मुझे बेवजह मशहूर न बनाया जाए, क्योंकि यह एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि हजारों लोगों की सामूहिक मेहनत का परिणाम है। मिशन के पीछे महिला, असंभव को संभव बनाया और पुल बनाने के लिए चमत्कार किया जैसे सभी मीडिया कथन निराधार हैं।
दरअसल, दरअसल, बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा समेत हजारों लोगों ने माधवी लता को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर तारीफ की थी। लोग उन्हें ब्रिज के प्रोजेक्ट पर 17 साल देने के लिए लोग बधाई दे रहे थे।
6 जून को पीएम मोदी ने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे आर्च ब्रिज चिनाब ब्रिज का उद्घाटन किया था। यह नदी तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर बना 1,315 मीटर लंबा पुल है।

माधवी ने इस प्रोजेक्ट में 17 साल काम किया माधवी लता IISc बेंगलुरु में सिविल इंजीनियरिंग विभाग की सीनियर प्रोफेसर हैं और चिनाब रेलवे ब्रिज प्रोजेक्ट में चीफ जियो-टेक्निकल कंसलटेंट थीं।
उन्होंने सस्टेनेबल सॉइल स्टेबलाइजेशन, अर्थक्वेक इंजीनियरिंग और रॉक इंजीनियरिंग पर रिसर्च की है। उन्होंने चिनाब ब्रिज प्रोजेक्ट पर 17 साल काम किया। इस पुल में एफिल टावर से 4 गुना ज्यादा स्टील लगा है मगर उससे 35 मीटर छोटा है। ब्रिज की लंबाई 120 साल आंकी गई है।
चिनाब आर्च ब्रिज खास क्यों है, वीडियो से समझिए
चिनाब आर्च ब्रिज रियासी जिले में बक्कल और कौड़ी के बीच बना है। इसे 2003 में मंजूरी मिली थी। शुरुआती प्लान के मुताबिक इसे 2009 तक तैयार हो जाना था, लेकिन इसे पूरा होने में 22 साल लग गए।
यह सवा किमी से ज्यादा लंबा है और नदी से ऊंचाई 359 मीटर है। यह पेरिस के एफिल टावर (330 मीटर) से 29 मीटर ऊंचा है। लागत 1486 करोड़ रुपए है।
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कश्मीर घाटी में चिनाब नदी पर बना ये ब्रिज इंजीनियरिंग का बेमिसाल नमूना है, जो पेरिस के एफिल टावर से भी ऊंचा है। यह ब्रिज 40 किलो तक विस्फोटक और 8 तीव्रता तक का भूकंप भी झेल सकता है। इसके बनने से पाकिस्तान और चीन परेशानियां बढ़ गई हैं, लेकिन कश्मीर में इतना बड़ा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में 133 साल लग गए। पूरी खबर पढ़ें…