Monday, March 31, 2025
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चुनाव हारने के बाद से अमेठी नहीं लौटीं स्मृति ईरानी: घर सूना, ऑफिस बंद; लोग बोले- राहुल की हार से कुछ सीख लेतीं


यूपी के अमेठी में मेदन मवई गांव में घुसते ही खेतों के बीच बना एक घर दिखता है। दीवार पर भगवान राम, हनुमान और सीता हरण की पेंटिंग बनी हैं। ये बड़ा सा घर अमेठी में काफी फेमस है। ये यहां की पूर्व सांसद स्मृति ईरानी का घर है। हालांकि, साल 2019 से 4 जून, 2

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2014 में स्मृति ईरानी पहली बार चुनाव लड़ने अमेठी आई थीं, लेकिन राहुल गांधी से करीब एक लाख वोट से हार गईं। हार के बाद भी स्मृति ने अमेठी को नहीं छोड़ा। 2019 के लोकसभा चुनाव में इसका असर दिखा और स्मृति ईरानी गांधी परिवार के गढ़ रहे अमेठी में राहुल गांधी को हराकर पहली बार सांसद चुनी गईं। बोलीं- ‘अमेठी को मैं अपना घर मानती हूं। लोगों ने सांसद नहीं, दीदी को चुना है।’

सांसद बनते ही स्मृति ईरानी ने ‘दीदी आपके द्वार’ कैंपेन शुरू किया। BJP कार्यकर्ता उन्हें दीदी कहने लगे। स्मृति ईरानी ने अमेठी में घर बनवा लिया और यहां की वोटर बन गईं। 2024 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी को हार मिली, तो सब बदल गया।

अमेठी वाला घर अब वीरान पड़ा है। BJP वर्कर्स दीदी का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि चुनाव हारने के बाद से वे कभी अमेठी नहीं आईं। लोग कह रहे हैं कि राहुल गांधी लोगों से नहीं मिलते थे, इसलिए हार गए। स्मृति ईरानी ने राहुल की हार से भी कुछ नहीं सीखा।

स्मृति के घर में सिर्फ केयरटेकर, बोला- देखिए, दीदी कब आती हैं दैनिक भास्कर अमेठी में स्मृति ईरानी के घर पहुंचा। यहां केयरटेकर ध्रुवराज मिले। ध्रुवराज कैमरे पर आने को तैयार नहीं हुए, तो हमने उनसे बिना कैमरा ही बात शुरू की।

इस घर में कौन रहता है? ध्रुवराज कहते हैं- ‘बस मैं।’

कोई आता-जाता नहीं, कभी कोई मीटिंग होती है? जवाब मिला, ‘नहीं। बस घर में बने नवग्रहों के मंदिर की पूजा के लिए पंडित जी आते हैं। घर की सफाई के लिए एक कामवाला आता है।

दीदी नहीं आतीं? ध्रुवराज कहते हैं, ‘चुनाव के वक्त एक महीना यहीं थीं। रिजल्ट आने के बाद नहीं आईं। हमें लगा था कि महाकुंभ में आएंगी, तब यहां भी आएंगी। दीदी को अच्छा लगे, इसलिए फूलों वाले पौधे पहले से लगा दिए थे ताकि जब तक वे आएं, फूल खिलने लगें। देखिए कितने फूल खिले हैं। अब देखिए, दीदी कब आती हैं।’

ये अमेठी के मेदन मवई गांव में स्मृति ईरानी का घर है। उन्होंने 22 फरवरी, 2024 को यहां गृहप्रवेश की पूजा कराई थी।

ये अमेठी के मेदन मवई गांव में स्मृति ईरानी का घर है। उन्होंने 22 फरवरी, 2024 को यहां गृहप्रवेश की पूजा कराई थी।

घर बनाकर कहा था- अमेठी से अटूट रिश्ता, अब लोग पूछ रहे कब आएंगी शीतला प्रसाद मेदन मवई गांव में रहते हैं। स्मृति ईरानी के लिए चुनाव प्रचार कर चुके हैं। उनकी बहू ग्राम प्रधान हैं। शीतला प्रसाद कहते हैं, ‘दीदी चुनाव भले हार गईं, लेकिन हमारे बूथ से तो जीती थीं। वे यहां आतीं, तो हमारी भी हिम्मत बनी रहती। उन्होंने न कभी फोन किया, न खुद आईं। लोग हमसे पूछते हैं। समझ नहीं आता उन्हें क्या जवाब दें। हम तो लोगों को लेकर दिल्ली नहीं जा सकते। मिलने तो उन्हें ही आना पड़ेगा।’

BJP लीडर भी बोल रहे- चुनाव के बाद हमसे कॉन्टैक्ट नहीं किया अमेठी के लोगों में ही नहीं, पॉलिटिकल लीडर्स में भी स्मृति ईरानी के 10 महीनों से गायब होने की बातें हो रही हैं। पार्टी के सीनियर लीडर और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय सिंह कहते हैं- ‘मेरी उनसे मुलाकात नहीं हुई। फोन पर भी बात नहीं हो रही है। उनके ऑफिस से मिलने का वक्त मांगा था, आज तक कोई जवाब नहीं मिला।’

संजय सिंह आगे कहते हैं, ‘आखिरी बार वे नतीजे वाले दिन ही अमेठी में दिखी थीं। कुर्सी रहे न रहे, लेकिन जनता देखती है कि उसका नेता उससे कितना लगाव रखता है। उसके बारे में सोचता है या नहीं।’

आखिरी बार स्मृति ईरानी अमेठी में कब थीं? संजय सिंह कहते हैं, ‘जहां तक मेरी जानकारी है, जिस दिन रिजल्ट आया था। उसके बाद से नहीं आईं।’

वहीं, अमेठी की गौरीगंज सीट से सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह कहते हैं, ‘राहुल गांधी और राजीव गांधी भी यहां से गायब ही रहे। ये अमेठी का दुर्भाग्य है। स्मृति ईरानी जी को आना चाहिए। ये जनता उनकी है। हारने के बाद मैंने उन्हें यहां देखा नहीं।’

आपकी कभी उनसे बात हुई? राकेश प्रताप सिंह जवाब देते हैं, ‘होती है, लेकिन मैं उन्हें कोई रास्ता दिखा सकूं, सलाह दे सकूं, ऐसी मेरी हैसियत नहीं।’

अमेठी में अफवाह- स्मृति दूसरी सीट तलाश रहीं अमेठी में दो अफवाहें भी चल रही हैं। एक कि स्मृति ईरानी अमेठी की बजाय कोई दूसरी सेफ सीट देख रही हैं और दूसरी कि वे घर बेचने वाली हैं। शास्त्री नगर में रहने वाले रिटायर्ड लेक्चरर उमाकांत इस पर कहते हैं, ‘खबर तो उड़ रही है कि वे अपना घर बेच रही हैं।’

वहीं, BJP कार्यकर्ता और नौगिरवा के रहने वाले महेंद्र सिंह कहते हैं, ‘ लगता नहीं कि वे दोबारा यहां से चुनाव लड़ने का मन बना रही है या यहां की राजनीति में भविष्य देख रही हैं।’

गौरीगंज तहसील के डेढ़ पसेर गांव में रहने वाले उमाशंकर गुप्ता भी यही कहते हैं, ‘स्मृति ईरानी के तौर-तरीके देखकर तो लगता है कि वे अब अमेठी से चुनाव नहीं लड़ेंगी। वे कोई दूसरी सीट तलाश रही हैं।’

‘राहुल पुराने रिश्ते बचा नहीं पाए, स्मृति ईरानी तो बना ही नहीं पाईं’ अमेठी और सुल्तानपुर के राजनीतिक परिवार से आने वाले उमाकांत कहते हैं, ‘राहुल गांधी को अमेठी की जनता ने इसलिए हराया क्योंकि वे पारिवारिक संबंध निभा नहीं पाए। स्मृति ईरानी को तो रिश्ते खुद बनाना था, लेकिन वे अमेठी से जुड़ नहीं पाईं। वे कार्यकर्ता और जनता दोनों से मेलजोल बना नहीं पाईं।’

गौरीगंज के मिसरौली गांव में रहने वाले शिवशंकर राजीव गांधी, राहुल गांधी और स्मृति ईरानी में फर्क बताते हैं। कहते हैं, ‘1984 से मैं कांग्रेस को वोट दे रहा हूं। इसकी वजह राजीव गांधी थे। राजीव गांधी मेरे एक इशारा करने पर रुक गए थे। राहुल उनका 10वां हिस्सा भी नहीं हैं। स्मृति ईरानी और राहुल गांधी एक जैसे हैं। दोनों आम जनता से नहीं मिलते।’

हमने शिवशंकर से राजीव गांधी वाला किस्सा पूछा। वे बताते हैं, ‘1984 की बात है। मैं साइकिल से जा रहा था। राजीव गांधी की जिप्सी मेरे बगल से निकली। साथ में सोनिया गांधी भी थीं। मैंने यूं ही राजीव गांधी को हाथ दिया। वे रुक गए। गाड़ी से निकले और पूछा- कुछ काम है। मैंने कहा, बस मुलाकात करनी थी। 5 मिनट रुके और फिर चले गए। इसका असर ये हुआ कि मैंने हर बार कांग्रेस को ही वोट किया।’

शिवशंकर आगे कहते हैं-

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राहुल गांधी सिर्फ पार्टी के लोगों से मिलते थे। आम लोगों से उनका कोई संबंध नहीं था। मैं राजीव गांधी की वजह से उन्हें वोट देता था, लेकिन पिता का व्यवहार कब तक काम आता।

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स्मृति ईरानी के घर के करीब रहने वाले रामकुमार गुप्ता सोनिया गांधी को याद करते हुए कहते हैं, ‘ये एरिया तो सोनिया गांधी का है। वे लोगों से मिलती थीं। 4-6 लोगों को देखती थीं, वहीं रुक जातीं थीं।’

BJP कार्यकर्ता बोले- स्मृति ईरानी अपनी टीम से ही घिरी रहीं 30 साल से BJP से जुड़े महेंद्र सिंह कहते हैं, ‘राहुल गांधी की नाकामी स्मृति ईरानी की कामयाबी की वजह बनी। स्मृति ईरानी जीत तो गईं, लेकिन राहुल की नाकामी से सबक नहीं लिया।’

‘संजय गांधी और राजीव गांधी ने अमेठी के लिए जो किया, राहुल उसे आगे नहीं बढ़ा पाए। अमेठी से बना संबंध नहीं निभा पाए। इसलिए अमेठी ने राहुल को हराकर स्मृति ईरानी को मौका दिया। वे तो कुछ चुनिंदा लोगों से ही घिरी रहती थीं। जमीनी कार्यकर्ताओं से कट गई थीं।’

‘उनके कार्यकाल में जितने भी लोकल चुनाव हुए, उनमें BJP की जगह दूसरी पार्टी के लोगों को जिताया गया। एक ब्लाक में तो कांग्रेस कैंडिडेट को जिताया गया।’

महेंद्र ऑन रिकॉर्ड कोई नाम नहीं लेना चाहते थे, लेकिन लोगों से बातचीत से पता चला कि उनका इशारा भिटौरा के नए ब्लॉक प्रमुख आशीष शुक्ला की तरफ था। वे कांग्रेस से BJP में आए और चुनाव जीतकर दोबारा कांग्रेस में चले गए।

महेंद्र आगे कहते हैं, ‘विधायक के चुनाव में भी यही हुआ। 2022 के चुनाव में BJP विधायक संजय सिंह को स्मृति ईरानी का सपोर्ट नहीं मिला। BJP के विधायक और यूपी सरकार में मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह से भी मैडम के अच्छे संबंध नहीं थे। असर ये हुआ कि उन्हें भी चुनाव में सपोर्ट नहीं मिला।’

क्या अमेठी में हार की समीक्षा हुई थी? महेंद्र सिंह बताते हैं, ‘हमारी जानकारी में तो नहीं हुई। हां, उनके लोगों के साथ कहीं बैठक हुई हो, तो पता नहीं। कार्यकर्ताओं ने जरूर मीटिंग की थी। मैं भी उसमें शामिल था। उसमें यही निकलकर आया कि कार्यकर्ता और जनता से न जुड़ना हार की सबसे बड़ी वजह थी।’

टिकरी गांव के रहने वाले BJP कार्यकर्ता राहुल सिंह भी कहते हैं, ‘अमेठी में हार की कोई समीक्षा नहीं हुई। वे अपनी कोर टीम से दिल्ली में मिलती हैं। ये टीम अमेठी के बारे में उन्हें जो बताती है, वो वही सुनती हैं।’

स्मृति ईरानी दोबारा चुनाव लड़ेंगी तो प्रचार करेंगे? महेंद्र सिंह कहते हैं- ‘हम किसी व्यक्ति के लिए काम नहीं करते। हम BJP की विचारधारा से जुड़े हैं।’

क्या स्मृति ईरानी का कोई प्रतिनिधि है? जवाब में महेंद्र सिंह कहते हैं-

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हमारी जानकारी में तो उनका कोई प्रतिनिधि नहीं है। पहले विजय गुप्ता थे, लेकिन अब वे कहां हैं, किसी को नहीं पता।

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इस बारे में हमने फोन पर विजय गुप्ता से बात की। उन्होंने कहा कि मैं अब मैडम का काम नहीं देखता। मैं अब अमेठी में नहीं, दिल्ली में रहता हूं।

‘स्मृति ईरानी को अपने कार्यकर्ताओं पर ही भरोसा नहीं’ BJP से 30 साल से ज्यादा समय से जुडे़ शिक्षक संघ के संयोजक राहुल सिंह कहते हैं, ‘BJP की पॉलिसी देखकर जनता ने स्मृति ईरानी को चुना। जीतने के बाद स्मृति ईरानी का 5 साल तक जनता और कार्यकर्ताओं से संबंध ही नहीं रहा। वे सिर्फ अपनी कोर टीम से सलाह लेकर फैसले करतीं थीं।’

कोर टीम में कौन था? जवाब मिला-‘विजय गुप्ता एंड कंपनी थी। उसी से घिरी थीं। कोर टीम ने उन्हें किसी ने नहीं जुड़ने दिया। इसी वजह से स्मृति चुनाव हारीं। उनके रूखे बर्ताव के बहुत किस्से हैं। मैं अपना बताता हूं। मैं भारतीय किसान संघ का भी अध्यक्ष था। हमारे ब्लॉक में फसल खरीदी केंद्र नहीं बन पा रहा था।’

‘मैं और किसान संघ के जिला अध्यक्ष हरीश जी उनके पास गए। मैंने उनसे कहा कि मैडम खरीद केंद्र बनवाइए। मैं अपनी सहज टोन में बोल रहा था। उन्होंने अचानक मुझसे कहा, आप तेज आवाज में बात कर रहे हैं। मैंने कहा- मैडम ऐसा क्यों लगा आपको।’

‘वे बोलीं- आपने मुझे मैडम कहा। मैंने कहा- मैं शिक्षक हूं। अपने कॉलेज में साथी महिलाओं को हम मैडम ही कहते हैं। अगर आपको कह दिया तो क्या गलत किया। उन्हें अपने कार्यकर्ताओं पर भरोसा था ही नहीं। मैंने तो उनसे बस शिक्षक की टोन में बात की, पर उन्हें बुरा लग गया।’

आरोप: लोगों ने शिकायत दी, उनके कागज सड़क पर पड़े मिले अमेठी के मशहूर मंदिर दुर्गन धाम के करीब रोहसी बुजुर्ग गांव है। गांव के लोग स्मृति के बर्ताव से आहत हैं। यहां मिले छोटू बताते हैं, ‘एक बार स्मृति ईरानी गांव आई थीं। हमने उन्हें कागज पर शिकायतें लिखकर दीं। उन्होंने शिकायतें ले लीं। जैसे ही उनकी गाड़ी आगे बढ़ी, उन्होंने सारे कागज नीचे फेंक दिए।’

हमने गांव के प्रधान शशिकांत से पूछा कि क्या स्मृति ईरानी कभी गांव में आई हैं। वे कहते हैं, ‘आई थीं और रोड से निकल गईं। उनसे कोई मिल नहीं सकता था। कोई शिकायत करता था, उसे डांट देती थीं। यहां मेडिकल कॉलेज बन रहा था, जमीन की खतौनी भी बन गई थी, लेकिन ये तिलोई चला गया।’

BJP कार्यालय में कार्यकर्ता बोले- दीदी महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा चुनाव में व्यस्त थीं अमेठी के BJP कार्यालय में 23 मार्च को स्मृति ईरानी का जन्मदिन मना। कार्यकर्ताओं ने केक काटा। हमने उनसे पूछा- दीदी नहीं आईं। जवाब मिला, ‘नहीं, वो राष्ट्रीय नेता हैं। अमेठी कहां आएंगी। उन्हें बड़े-बड़े लोगों से मुलाकात करनी होगी।’

जिला कार्यकारिणी के सदस्य विजय किशोर तिवारी कहते हैं-‘राहुल गांधी यहां 5 साल नहीं आए तो किसी ने नहीं पूछा, दीदी कुछ महीने नहीं आईं, तो आप पूछ रही हैं। वे महाराष्ट्र, दिल्ली और हरियाणा चुनाव के प्रचार में व्यस्त थीं। अब फुर्सत हुई हैं, तो आएंगी।’

अमेठी की हार पर BJP प्रवक्ता गोविंद सिंह कहते हैं, ‘हार कोई इसी सीट पर नहीं हुई। 1998 और 2014 में भी BJP यहां से हारी थी। पूरे देश में सीटें कम हुई हैं।’

कांग्रेसी बोले- कुमार विश्वास आए, स्मृति आईं, ऐसे घरवालों को जनता नकार चुकी है कांग्रेस के जिला प्रवक्ता दिवस कहते हैं- ‘स्मृति ईरानी ने यहां से झूठा रिश्ता जोड़ा। एक बार जैसे ही हारीं, रिश्ता तोड़ लिया। दिल्ली चली गईं। सुन तो ये भी रहे हैं कि अब घर भी बेच रही हैं। 2014 में कुमार विश्वास ने चुनाव लड़ा था। उन्होंने भी कहा था कि अमेठी मेरा घर है। ऐसे घरवालों को यहां की जनता नकार चुकी है।’

अमेठी युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष शुभम सिंह कहते हैं, ‘वे जानती हैं कि उनके लिए यहां जगह नहीं है। उनके घर का पूरा सामान जा चुका है।’

लोगों और BJP वर्कर्स के दावों पर हमने स्मृति ईरानी से बात करने की कोशिश की। उनसे कॉन्टैक्ट नहीं हुआ, तो उनके PA संदीप कुमार से बात की। उन्हें कुछ सवाल भेजे। संदीप ने जवाब दिया कि मैडम अभी जवाब नहीं दे सकती हैं। वे दिल्ली में नहीं हैं, जयपुर गई हैं।

स्मृति ईरानी की ओर से जवाब आते ही स्टोरी अपडेट की जाएगी।

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