टेक्सास3 मिनट पहले
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बूस्टर को लॉन्च करने के बाद वापस लॉन्चपैड पर कैच करना था, लेकिन इसे पानी में लैंड कराया गया।
दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट स्टारशिप को भारतीय समय के अनुसार बुधवार सुबह 3:30 बजे टेक्सास के बोका चिका से लॉन्च किया गया। ये स्टारशिप का छठा टेस्ट है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी टेस्ट देखने के लिए स्टारबेस पहुंचे।।
स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी रॉकेट को कलेक्टिवली ‘स्टारशिप’ कहा जाता है। इस टेस्ट में बूस्टर को लॉन्च करने के बाद वापस लॉन्चपैड पर लाया जाना था, लेकिन बाद में इसे पानी में लैंड कराने का फैसला लिया गया। वहीं स्टारशिप के इंजन को स्पेस में फिर से चालू किया जाएगा। इसके बाद हिंद महासागर में लैंडिंग होगी।
स्टारशिप को डेसेंट के दौरान हायर एंगल ऑफ अटैक पर फ्लाई कराया जाएगा। इससे फ्लैप कंट्रोल और थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम पर वैल्यूएबल डेटा मिलेगा। इस डेटा की मदद से भविष्य में स्टारशिप के डिजाइन और सिस्टम्स में बदलाव करना आसान होगा।
स्टारशिप के छठे फ्लाइट टेस्ट के लिए 30 मिनट की लॉन्च विंडो भारतीय समय के अनुसार 20 नवंबर को सुबह 03:30 बजे ओपन होगी।
01 घंटे 05 मिनट 24 सेकेंड का मिशन
- 00:00:02 लिफ्टऑफ़
- 00:01:02 मैक्स क्यू (रॉकेट पर चरम यांत्रिक तनाव का क्षण)
- 00:02:32 सुपर हैवी MECO (अधिकांश इंजन बंद)
- 00:02:39 हॉट-स्टेजिंग (स्टारशिप रैप्टर इग्निशन और स्टेज सेपरेशन)
- 00:02:44 सुपर हैवी बूस्टबैक बर्न शुरू
- 00:03:38 सुपर हैवी बूस्टबैक बर्न शटडाउन
- 00:03:40 हॉट-स्टेज जेटीसन
- 00:06:25 सुपर हैवी ट्रांसोनिक
- 00:06:38 सुपर हैवी लैंडिंग बर्न स्टार्ट
- 00:07:00 सुपर हैवी बूस्टर कैच
- 00:08:27 स्टारशिप इंजन कटऑफ
- 00:37:46 रैप्टर इन-स्पेस रीलाइट डेमो
- 00:47:13 स्टारशिप एंट्री
- 01:02:06 स्टारशिप ट्रांसोनिक
- 01:03:12 स्टारशिप सबसोनिक
- 01:04:56 लैंडिंग फ्लिप
- 01:05:01 लैंडिंग बर्न
- 01:05:24 एक रोमांचक लैंडिंग
पांचवें टेस्ट में पहली बार बूस्टर को लॉन्चपैड पर कैच किया था
स्टारशिप का पांचवां टेस्ट 13 अक्टूबर को किया गया था। इस टेस्ट में पृथ्वी से 96 Km ऊपर भेजे गए सुपर हैवी बूस्टर को लॉन्चपैड पर वापस लाया गया, जिसे मैकेजिला ने पकड़ा। मैकेजिला दो मेटल आर्म हैं जो चॉपस्टिक्स की तरह दिखाई देती हैं।
वहीं स्टारशिप की पृथ्वी के वायुमंडल में री-एंट्री कराकर हिंद महासागर में कंट्रोल्ड लैंडिंग कराई गई। स्टारशिप ने जब पृथ्वी के वातावरण में एंट्री की तब उसकी रफ्तार 26,000 किलोमीटर प्रति घंटे थी और तापमान 1,430°C तक पहुंच गया था।
स्टारशिप में 6 रैप्टर इंजन लगे हैं, जबकि सुपर हैवी में 33 रैप्टर इंजन हैं।
सुपर हैवी बूस्टर को पृथ्वी से 96 kM ऊपर ले जाने के बाद लॉन्च साइट पर वापस लाकर कैच किया गया।
स्टारशिप की पृथ्वी के वातावरण में एंट्री के दौरान रफ्तार 26,000 किलोमीटर प्रति घंटे थी और तापमान 1,430°C तक पहुंच गया था।
स्टारशिप की पृथ्वी के वायुमंडल में री-एंट्री कराकर हिंद महासागर में लैंडिंग कराई गई। इसे स्पैल्शडाउन कहा जाता है।
चौथा टेस्ट सक्सेसफुल रहा था, पानी में लैंडिंग हुई
स्टारशिप का चौथा टेस्ट 6 जून 2024 को हुआ था, जो सक्सेसफुल रहा था। 1.05 घंटे के इस मिशन को बोका चिका से शाम 6.20 बजे लॉन्च किया गया था। इसमें स्टारशिप को स्पेस में ले जाया गया, फिर पृथ्वी पर वापस लाकर पानी पर लैंड कराया गया।
टेस्ट का मेन गोल यह देखना था कि स्टारशिप पृथ्वी के वातावरण में एंट्री के दौरान सर्वाइव कर पाता है या नहीं। टेस्ट के बाद कंपनी के मालिक इलॉन मस्क ने कहा था, ‘कई टाइलों के नुकसान और एक डैमेज्ड फ्लैप के बावजूद स्टारशिप ने समुद्र में सॉफ्ट लैंडिंग की।’
तीसरा टेस्ट: रीएंट्री के बाद स्टारशिप से संपर्क टूटा था ये टेस्ट 14 मार्च 2024 को हुआ था। स्पेसएक्स ने बताया था कि स्टारशिप रीएंट्री के दौरान सर्वाइव नहीं कर पाया, लेकिन उसने उड़ान के दौरान कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं। वहीं इलॉन मस्क ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस साल आधा दर्जन स्टारशिप उड़ान भरेंगी।
- स्टारशिप ने ऑर्बिट में पहुंचने के बाद पेलोड डोर को खोला और बंद किया।
- रॉकेट के भीतर दो टैंकों के बीच कई टन तरल ऑक्सीजन को मूव किया।
- स्टारशिप की पृथ्वी के वातावरण में रीएंट्री कराई गई, लेकिन संपर्क टूट गया।
तीसरे टेस्ट में लॉन्चिंग के 46 मिनट बाद स्टारशिप ने पृथ्वी के वातावरण में रीएंट्री की थी, जब रॉकेट 65 Km ऊपर था तब उसका संपर्क टूट गया।
दूसरा टेस्ट: स्टेज सेपरेशन के बाद खराबी आ गई थी स्टारशिप का दूसरा टेस्ट 18 नवंबर 2023 को शाम करीब 6:30 बजे किया गया था। लॉन्चिंग के करीब 2.4 मिनट बाद सुपर हैवी बूस्टर और स्टारशिप का सेपरेशन हुआ। बूस्टर को वापस पृथ्वी पर लैंड होना था, लेकिन 3.2 मिनट बाद 90 Km ऊपर यह फट गया।
वहीं स्टारशिप तय प्लान के अनुसार आगे बढ़ गया। करीब 8 मिनट बाद पृथ्वी से 148 Km ऊपर स्टारशिप में भी खराबी आ गई, जिस कारण उसे नष्ट करना पड़ा। फ्लाइट टर्मिनेशन सिस्टम के जरिए इसे नष्ट किया गया था।
दूसरे टेस्ट में रॉकेट और स्टारशिप को अलग करने के लिए पहली बार हॉट स्टैगिंग प्रोसेस का इस्तेमाल किया गया था, जो पूरी तरह सक्सेसफुल रही थी। सभी 33 रैप्टर इंजनों ने भी लॉन्च से सेपरेशन तक ठीक से फायर किया था।
स्पेसएक्स ने स्टारशिप को टेक्सास के बोका चिका में स्टारबेस से लॉन्च किया था।
33 रैप्टर इंजनों की पावर से स्टारशिप ने सफलतापूर्वक उड़ान भरी थी।
हॉट स्टैगिंग प्रोसेस के जरिए रॉकेट बूस्टर और स्टारशिप को अलग किया गया था।
बूस्टर को वापस पृथ्वी पर लैंड होना था, लेकिन 90 Km ऊपर यह फट गया था
पहला टेस्ट: लॉन्चिंग के 4 मिनट बाद विस्फोट हो गया था 20 अप्रैल 2023 को स्टारशिप का पहला ऑर्बिटल टेस्ट किया गया था। इस टेस्ट में बूस्टर 7 और शिप 24 को लॉन्च किया गया था। उड़ान भरने के 4 मिनट बाद ही मेक्सिको की खाड़ी के पास 30 किलोमीटर ऊपर स्टारशिप में विस्फोट हो गया था।
स्टारशिप के फेल होने के बाद भी एलन मस्क और एम्प्लॉइज खुशी मना रहे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि रॉकेट का लॉन्च पैड से उड़ना ही बड़ी सफलता थी। मस्क ने लॉन्चिंग से दो दिन पहले कहा था- सफलता शायद मिले, लेकिन एक्साइटमेंट की गारंटी है।
स्टारशिप ने 20 अप्रैल को पहली टेस्ट उड़ान भरी थी। इसके 4 मिनट बाद मेक्सिको की खाड़ी के करीब 30 किलोमीटर ऊपर इसमें विस्फोट हो गया था।
स्पेसएक्स ने कहा था- सेपरेशन स्टेज से पहले ही इसका एक हिस्सा अचानक अलग हो गया, जबकि यह तय नहीं था। इस तरह के एक टेस्ट के साथ हम जो सीखते हैं, उससे सफलता मिलती है। आज का टेस्ट हमें स्टारशिप की रिलायबिलिटी में सुधार करने में मदद करेगा। टीमें डेटा को रिव्यू करना जारी रखेंगीं और अगले फ्लाइट टेस्ट की दिशा में काम करेंगीं।
पूरी तरह से रीयूजेबल है स्टारशिप सिस्टम दुनिया के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने इस रॉकेट को बनाया है। स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी बूस्टर को कलेक्टिवली ‘स्टारशिप’ कहा जाता है। इस व्हीकल की ऊंचाई 397 फीट है। ये पूरी तरह से रीयूजेबल है और 150 मीट्रिक टन भार ले जाने में सक्षम है। स्टारशिप सिस्टम 100 लोगों को एक साथ मंगल ग्रह पर ले जा सकेगा।
स्टारशिप सिस्टम
- हाइट: 397 फीट
- डायामीटर: 9 मीटर
- पेलोड कैपेसिटी: 100-150 मीट्रिक टन
स्टारशिप क्या-क्या कर सकता है?
- पेलोड डिलीवरी
- मून मिशन्स
- अर्थ-टु-अर्थ ट्रांसपोर्टेशन
- इंटरप्लेनेटरी ट्रांसपोर्टेशन
स्टारशिप इंसानों को मंगल पर पहुंचाएगा
ये लॉन्चिंग इसलिए अहम है, क्योंकि ये स्पेसशिप ही इंसानों को इंटरप्लेनेटरी बनाएगा। यानी इसकी मदद से पहली बार कोई इंसान पृथ्वी के अलावा किसी दूसरे ग्रह पर कदम रखेगा। मस्क 2029 तक इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाकर वहां कॉलोनी बसाना चाहते हैं। स्पेसशिप इंसानों को दुनिया के किसी भी कोने में एक घंटे से कम समय में पहुंचाने में भी सक्षम होगा।
मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की क्या जरूरत?
मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की जरूरत पर एलन मस्क कहते हैं- ‘पृथ्वी पर एक लाइफ एंडिंग इवेंट मानवता के अंत का कारण बन सकता है, लेकिन अगर हम मंगल ग्रह पर अपना बेस बना लेंगे तो मानवता वहां जीवित रह सकती है।’ करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर डायनासोर का भी अंत एक लाइफ एंडिंग इवेंट के कारण ही हुआ था। वहीं, प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग ने भी 2017 में कहा था कि अगर इंसानों को सर्वाइव करना है तो उन्हें 100 साल के भीतर विस्तार करना होगा।
आर्टेमिस प्रोग्राम का हिस्सा है स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट
इस मिशन का सक्सेसफुल होना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट नासा के आर्टेमिस प्रोग्राम का हिस्सा है। इसके जरिए 5 दशक बाद चंद्रमा पर मनुष्यों की वापसी होगी। स्टारशिप चंद्रमा पर मिशन के अंतिम चरण को पूरा करेगा। एस्ट्रोनॉट को स्पेसक्राट से लूनर ऑर्बिट तक ले जाएगा और चंद्रमा पर लैंडिंग भी कराएगा।