पीएम मोदी ने छत्तीसगढ़ की डॉ. जयमति कश्यप को देवी अहिल्याबाई सम्मान दिया।
भोपाल के जंबूरी मैदान पर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला सम्मेलन को संबोधित किया। इस सम्मेलन के मुख्य मंच के पीछे लगी प्रदर्शनी में पहुंचकर पीएम मोदी ने अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर महिलाओं से बातचीत की।
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पीएम ने छत्तीसगढ़ के कोंडागांव की डॉ. जयमति कश्यप को देवी अहिल्याबाई सम्मान प्रदान किया। उन्होंने बताया कि हमारे यहां के एक अधिकारी ने मुझसे कहा था कि भोपाल में महिला सशक्तिकरण सम्मेलन में घूमकर आते हैं। शुक्रवार को मैं जब भोपाल पहुंची तब पता चला कि शनिवार को पीएम मुझे ही सम्मानित करने वाले हैं।
पीएम ने जिन महिलाओं से चर्चा की उनसे दैनिक भास्कर ने बातचीत की। पढ़िए पूरी बातचीत…
डॉ. जयमति कश्यप को पीएम मोदी ने अहिल्याबाई सम्मान प्रदान किया है।
देवी अहिल्याबाई सम्मान पाने वालीं जयमति ठाकुर से बातचीत
- सवाल- आप कहां से हैं और क्या करतीं हैं?
- जयमति- मैं गोंडी साहित्य लिखती हूं। लोकसंगीत पर काम करती हूं। मेरा काम विशेषकर बच्चों के लिए है क्योंकि बच्चे अपनी भाषा न भूलें, इसलिए हम बच्चों के लिए काम करते हैं।
- सवाल- आपको कब पता चला कि इस अवाॅर्ड के लिए चयन हुआ है?
- जयमति- कल (शुक्रवार) तीन बजे। मुझे रिहर्सल के लिए बुलाया तब मुझे पता चला कि मुझे अवाॅर्ड मिलने वाला है, उसके पहले मुझे सूचना नहीं थीं।
- सवाल- आपको इसकी सूचना कैसे मिली?
- जयमति- मुझे यहां पर बुलाया था। हमारे यहां के एक अधिकारी ने कहा कि चलो घूमकर आते हैं। मैं आ गई। जब मैं भोपाल पहुंची तो तब पता चला कि मेरा ही अवाॅर्ड होने वाला है।
- सवाल -आपके परिवार में कौन-कौन हैं?
- जयमति- मेरे परिवार में माता-पिता नहीं हैं। एक बहन और उनके बच्चे हैं। उसके अलावा परिवार में और कोई नहीं हैं।
- सवाल -अपने बचपन से लेकर अब तक के सफर के बारे में बताइए?
- जयमति- मैं कभी स्कूल नहीं गई। लेकिन, पढ़ने का जब अवसर मिला तो मैंने प्राइवेट पढ़ाई करते हुए 10वीं के बाद एमए किया और पीएचडी की। फिर लोक संगीत में डिप्लोमा किया है।
- सवाल- आज पीएम के हाथों सम्मानित होने के बाद देश की महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी?
- जयमति- देश की महिलाओं को यह कहना चाहती हूं कि धैर्य के साथ अच्छा काम करें। कर्तव्य को समाज के लिए देश के लिए काम करें। कोई भी चीज जल्दी प्राप्त नहीं होती। धैर्य के साथ काम करते हैं तो सफलता जरूर मिलती है। इसलिए शिक्षा के साथ-साथ अपने संस्कारों को भी नहीं भूलना चाहिए।
- सवाल -नक्सलवाद एक बड़ी चुनौती है उसपर क्या कहेंगी?
- जयमति- सबका अलग-अलग ध्येय होता है। वो क्या सोचकर आगे चल रहे हैं मुझे पता नहीं है। लेकिन, जो भी कर रहे हैं वह गलत कर रहे हैं। इसमें राष्ट्र का विकास नहीं होगा और मेरे आदिवासी भाइयों का भी विकास नहीं होगा। हमको राष्ट्र और देश के लोगों के साथ मिलकर चलना है। हम छिपकर किसी भी काम को अंजाम नहीं दे सकते वो खतरा ही होगा और किसी को भी उसमें फायदा नहीं होता है।

महेश्वरी हैंडलूम पर काम करने वाली हेमलता ढ़ाकले से बातचीत करते पीएम मोदी
अब महेश्वरी साड़ी बनाने वाली छठवीं पीढ़ी की महिला से पीएम की बातचीत
पीएम नरेंद्र मोदी ने जंबूरी मैदान पर बने मंच के पीछे प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस दौरान वे महेश्वर की हैंडलूम संचालिका हेमलता ढाकले से मिले। हेमलता के वंशजों को देवी अहिल्याबाई ने हैंडलूम पर साड़ी बनाने की शुरुआत कराई थी। वे छठवीं पीढ़ी की सदस्य हैं जो महेश्वरी साड़ी, शॉल और तमाम वस्त्र हथकरघा से बनाने का काम करतीं हैं। हेमलता ने पीएम मोदी से हुई बातचीत दैनिक भास्कर से साझा की…
पीएम: आप ये काम कबसे कर रही हैं? हेमलता: मैं 40 साल से काम कर रहीं हूं। मैंने उनको बताया कि ढाई सौ साल पहले अहिल्याबाई आई थीं। उस समय से ये बुनाई का काम चल रहा है। मेरी छह पीढ़ी से यह काम हो रहा है। मेरे घर पर 5 मशीनें हैं। मेरे लड़के- बहू सब यही काम करते हैं।
पीएम: बहू अपने घर से सीखकर आई थी या आपने सिखाया? हेमलता: मैंने कहा बहू तो दूर गांव से लाए थे। हमने उसे ये काम सिखाया।

मीनाक्षी ढाकले ने हैंडलूम से बनाई महेश्वरी शॉल पीएम को भेंट की।
मीनाक्षी ने पीएम मोदी को भेंट की शॉल
मीनाक्षी ढाकले ने पीएम मोदी को महेश्वरी शॉल भेंट की। इस दौरान पीएम ने मीनाक्षी से बातचीत की। मीनाक्षी ने दैनिक भास्कर को बताया कि पीएम ने मेरा नाम और ये पूछा कि आप क्या करती हैं? महीने में कितना कमा लेते हैं?
मैंने प्रधानमंत्री को बताया कि हम महेश्वरी साड़ी का काम करते हैं। महीने में 8 हजार रुपए महीना कमा लेते हैं। हमने उन्हें हैंडलूम की शॉल भेंट की है। मुझे ये काम मेरी सास और पति ने सिखाया। मेरा मायका बुरहानपुर में हैं। मैंने अपनी ससुराल महेश्वर में ये काम सीखा है। ये सारी बातें सुनकर मोदी ने कहा- बहुत अच्छा शाबाश।

छिंदवाड़ा के वॉश ऑन व्हील्स मॉडल के बारे में पीएम मोदी ने अनामिका बेलवंशी से बात की।
पीएम ने छिंदवाड़ा का वॉश ऑन व्हील्स मॉडल देखा पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रदर्शनी में छिंदवाड़ा जिले में पब्लिक और प्राइवेट टॉयलेट्स को साफ रखने के लिए शुरू किए गए नवाचार वॉश ऑन व्हील्स के बारे में अनामिका बेलवंशी से बातचीत की। वहीं, छिंदवाड़ा जिला पंचायत के सीईओ अग्रिम कुमार ने भी इस इनिशिएटिव के बारे में पीएम मोदी को जानकारी दी।
पीएम मोदी की अनामिका बेलवंशी से बातचीत… अनामिका ने बताया कि मुझसे पीएम नरेंद्र मोदी ने पूछा कि मैं कितने समय से काम कर रही हूं, तो मैंने बताया कि 7 महीने से। फिर उन्होंने पूछा कि अब तक कितना कमाया है, तो मैंने बताया कि ₹2,40,000 कमाए हैं और हर महीने ₹30,000 मिलते हैं।
- सवाल: वॉश ऑन व्हील क्या है और यह कहां स्थित है?
- जवाब: वॉश ऑन व्हील छिंदवाड़ा का एक नया स्टार्टअप है, जो स्वच्छता के क्षेत्र में नवाचार कर रहा है।
- अनामिका: मैं वॉश ऑन व्हील में पिछले सात महीने से कार्यरत हूं। मैं आधुनिक मशीनों से सफाई का काम करती हूं। स्कूल, आंगनवाड़ी, हॉस्पिटल, पुलिस स्टेशन और व्यक्तिगत शौचालयों की सफाई करती हूं। मेरी हर महीने की आय ₹30,000 है।
छिंदवाड़ा जिला पंचायत सीईओ ने बताया कैसे आया आइडिया
सवाल: इस स्टार्टअप का विचार कैसे आया? सीईओ : संस्थागत और व्यक्तिगत शौचालयों की सफाई नहीं होती थी और वे बंद रहते थे। हम स्वच्छता के क्षेत्र में कुछ नया करना चाहते थे। छिंदवाड़ा में करीब 1100 संस्थागत शौचालय हैं। इस समस्या को हल करने के लिए हमने इलेक्ट्रिक बैटरी से चलने वाली आधुनिक और नॉन-टचेबल सफाई मशीनों का उपयोग करते हुए यह स्टार्टअप शुरू किया। इस साल हमने करीब 36 लाख रुपए का रेवेन्यू कमाया है।
सवाल: इस स्टार्टअप से कितने लोग जुड़े हुए हैं? सीईओ: हमारी टीम में लगभग 36 लोग हैं, जो छिंदवाड़ा और पांढुर्णा दोनों जिलों में कार्यरत हैं।
सवाल: इस सेवा की बुकिंग कैसे की जाती है? सीईओ: बुकिंग क्यूआर कोड के माध्यम से की जाती है, जो हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध है। उपयोगकर्ता अपना समय स्लॉट चुन सकते हैं। फिलहाल इसका एक मोबाइल ऐप भी है, और हम जल्द ही नया ऐप लॉन्च करने की तैयारी में हैं।
सवाल: इस सेवा का चार्ज कितना है? सीईओ: चार्ज दूरी के अनुसार तय होता है।
- अगर बुकिंग 5 किलोमीटर के अंदर है, तो संस्थागत शौचालय के लिए 200 रुपए।
- 5 किलोमीटर से अधिक दूरी पर 250 रुपए लिए जाते हैं।
- निजी शौचालय की सफाई के लिए 50 रुपए का शुल्क है।

नमो ड्रोन दीदी कविता चौहान से बातचीत करते पीएम मोदी
विजय शाह के इलाके की ड्रोन दीदी से पीएम ने की चर्चा
पीएम मोदी ने महिला सम्मेलन में जनजातीय कार्यमंत्री कुंवर विजय शाह के हरसूद विधानसभा क्षेत्र के रेवापुर गांव की नमो ड्रोन दीदी कविता चौहान से प्रदर्शनी में बातचीत की। कविता ने पीएम को बताया मैं ‘नमो ड्रोन दीदी’ हूं। मैं किसानों के खेतों में ड्रोन से स्प्रे करने का काम करती हूं।
मैं जनवरी 2024 से इस योजना से जुड़ी हूं। मैंने एमए तक पढ़ाई की है। मैं खंडवा जिले के हरसूद की रहने वाली हूं और लगभग दो जिलों में ड्रोन की सेवाएं देती हूं। कविता ने पीएम को बताया इस काम में मेरे पति का भी मुझे पूरा सहयोग मिलता है।
पीएम ने पूछा कि अब तक आपने कितने एकड़ खेत में ड्रोन से स्प्रे किया है? कविता ने बताया अब तक मैंने लगभग 2000 एकड़ जमीन पर ड्रोन से स्प्रे किया है। पीएम ने पूछा आपने अब तक कितनी आमदनी हुई है? कविता ने कहा- अब तक ₹6,00,000 की कमाई की है।
कविता ने बताया कि

मेरी प्रधानमंत्री जी से लगभग 5 मिनट बातचीत हुई। उन्होंने “नमो ड्रोन दीदी” योजना के बारे में बात की और मुझसे 2000 एकड़ में किए गए स्प्रे के काम के बारे में पूछा। इसके अलावा उन्होंने मेरे परिवार के बारे में भी जानकारी ली और मेरे काम की सराहना की।

टूरिस्ट विलेज लाड़पुरा में होम स्टे संचालन करने वाली उमा पाठक से पीएम ने जानकारी ली।
पीएम को ओरछा के टूरिस्ट विलेज में आने का न्योता दिया
पीएम मोदी ने ओरछा के करीब टूरिस्ट विलेज लाड़पुरा में होम स्टे संचालन करने वाली उमा पाठक से बातचीत की। पीएम से हुई बातचीत को उमा ने दैनिक भास्कर से साझा किया।
- सवाल: आप किस क्षेत्र से जुड़ी हैं?
- उमा: मैं लाडकुरा खास से हूं और खेती-किसानी से जुड़ी हूं।
- सवाल: आपकी पीएम नरेंद्र मोदी से क्या बातचीत हुई?
- उमा: हमने खेती-किसानी और स्थानीय पर्यटन से जुड़े विषयों पर चर्चा की। मैंने उन्हें हमारे क्षेत्र में आने का निमंत्रण भी दिया।
- सवाल: यह सब कैसे संभव हुआ?
- उमा: यह सब मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड के सहयोग से संभव हुआ। पहले मैं एक आम गृहिणी थी, लेकिन अब अपने पैरों पर खड़ी हूं।
- सवाल: आपकी आमदनी कितनी होती है?
- उमा: सीजन के दौरान मेरी आमदनी एक लाख रुपए से अधिक हो जाती है।
- सवाल: आपके परिवार में कौन-कौन हैं, और क्या वे भी इस काम से जुड़े हैं?
- उमा: मेरे परिवार में मेरे पति और बेटा हैं, और वे दोनों भी इसी काम से जुड़े हुए हैं।

क्राफ्ट विलेज प्राणपुर में हैंडलूम कैफे संचालक दीक्षा राजा बुंदेला से चर्चा करते पीएम मोदी।
पीएम ने क्राफ्ट विलेज प्राणपुर की महिलाओं से बातचीत की
PM मोदी ने चंदेरी जिले के क्राफ्ट विलेज प्राणपुर की दीक्षा राजा बुंदेला से बातचीत की। दीक्षा ने पीएम से चर्चा के बाद दैनिक भास्कर से बातचीत की।
सवाल: प्रधानमंत्री मोदी से आपकी क्या बातचीत हुई? दीक्षा: प्रधानमंत्री मोदी से हमारी क्राफ्ट विलेज को लेकर बातचीत हुई। उन्होंने पिछली बार भी हमारे क्राफ्ट विलेज को प्रमोट किया था। इस बार भी उन्होंने इसे सराहा और प्रोत्साहन दिया।
सवाल: क्राफ्ट विलेज में क्या विशेष हैं? दीक्षा: हमारे क्राफ्ट विलेज में एक “हैंडलूम कैफे” है, जिसे पूरी तरह महिलाएं संचालित करती हैं। यह स्थान महिलाओं के लिए सुरक्षित महसूस होता है, खासकर महिला टूरिस्टों के लिए।
सवाल: आप कहां की रहने वाली हैं और क्या काम करती हैं? दीक्षा: मैं चंदेरी की रहने वाली हूं और चंदेरी साड़ियां बनाती हूं। यहां की खासियत है कि हर घर में सुंदर पेंटिंग होती है।
सवाल: आपके क्राफ्ट विलेज को कौन-सा सम्मान मिला है? दीक्षा: हमारे गांव को ‘बेस्ट क्राफ्ट विलेज’ का खिताब मिला है, जो हमारे सामूहिक प्रयास और परंपरागत कला की पहचान है।
पीएम का स्वागत करने वाली पैरालंपिक प्राची यादव से बातचीत

पैरालंपिक प्राची यादव ने पीएम मोदी का मंच पर स्वागत किया।
- सवाल: मोदी जी से आपकी क्या बातचीत हुई?
- प्राची: मोदी जी ने मुझसे पूछा, “प्राची, कुछ कर भी रही हो?” तो मैंने जवाब दिया, “हां सर, मैडल आया है।”
- सवाल: आपको किस बात की सबसे ज्यादा खुशी हुई?
- प्राची: मुझे बहुत खुशी हुई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हमारे भोपाल शहर में आए और मुझे उनका स्वागत करने का सौभाग्य मिला।
- सवाल: आप महिलाओं की वर्तमान स्थिति को कैसे देखती हैं?
- प्राची: आज महिलाएं खुलकर खेल, सेना और हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं। यह देखकर मुझे बहुत खुशी होती है।
- सवाल: क्या आपको लगता है कि इसमें मोदी जी की कोई भूमिका है?
- प्राची: हां, मोदी जी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। पैरा ओलिंपिक में भी अब महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, जो उनके प्रोत्साहन का नतीजा है।
- सवाल: आपको खुद को इस मुकाम तक पहुंचाने में क्या प्रेरणा मिली?
- प्राची: कभी हार न मानने वाले जुनून ने ही मुझे यहां तक पहुंचाया है।
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