Friday, May 30, 2025
Friday, May 30, 2025
Homeछत्तीसगढछात्रों को नमाज पढ़ाने वाले प्रोफेसर्स को नहीं मिली राहत: FIR...

छात्रों को नमाज पढ़ाने वाले प्रोफेसर्स को नहीं मिली राहत: FIR को बताया राजनीति प्रेरित मामला, रद्द करने की मांग; हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका – Bilaspur (Chhattisgarh) News


हाईकोर्ट ने खारिज की प्रोफेसर्स की याचिकाएं।

बिलासपुर के सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्रों को नमाज पढ़ाने के आरोपी प्रोफेसर को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की डिवीजन बेंच ने उनकी याचिका खारिज कर दी है। बता दें कि प्रोफेसर्स ने इस मामले में दर्ज

.

दरअसल, गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी की NSS इकाई ने कोटा क्षेत्र वनांचल क्षेत्र शिवतराई में 26 मार्च से 1 अप्रैल तक कैंप लगाया था। शिविर में शामिल होने वाले हिंदू छात्रों ने आरोप लगाया कि ईद पर्व के दिन उन्हें जबरदस्ती नमाज पढ़ाया गया और उनका ब्रेनवॉश किया गया। छात्रों ने इस मामले की शिकायत कोनी थाने में दर्ज कराई।

बिलासपुर के सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्रों को नमाज पढ़ाने के आरोपी प्रोफेसर दिलीप झा

बवाल के बाद पुलिस ने दर्ज की FIR

इस मामले में यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने कोई कार्रवाई नहीं की। बल्कि, घटना की जांच के लिए फैक्ट फाइडिंग कमेटी बना दी। लेकिन, कमेटी की न तो रिपोर्ट सार्वजनिक की गई और न ही मामले में कोई कार्रवाई की, जिससे आक्रोशित हिंदूवादी संगठनों ने यूनिवर्सिटी का घेराव कर जमकर बवाल मचाया। उन्होंने कुलपति प्रो. आलोक चक्रवाल को हटाने की मांग करते हुए विरोध-प्रदर्शन किया।

वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी यूनिवर्सिटी का घेराव कर हंगामा मचाया। लगातार बवाल मचने के बाद पुलिस ने केस दर्ज कर लिया, जिसमें NSS के कोआर्डिनेटर दिलीप झा, मधुलिका सिंह, सूर्यभान सिंह, डॉ. ज्योति वर्मा, प्रशांत वैष्णव, बसंत कुमार और डॉ. नीरज कुमारी पर केस दर्ज किया गया। इन आरोपियों की गिरफ्तारियां भी की गई।

FIR को हाईकोर्ट में दी चुनौती, रद्द करने की मांग

पुलिस ने छात्र आस्तिक साहू, आदर्श कुमार चतुर्वेदी और नवीन कुमार सहित अन्य की शिकायत पर कोटा थाने में आरोपी प्रोफेसर्स के खिलाफ बीएनएस की धारा 190, 196(1)(बी), 197(1)(बी), 197(1)(सी), 299, 302 और छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 की धारा 4 के तहत एफआईआर दर्ज की है। जिसे चुनौती देते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

इसमें बताया गया शिविर के समापन के बाद 14-15 दिन की देरी से 14 अप्रैल को साजिश के तहत शिकायत दर्ज कराई गई। याचिका में यह भी बताया गया कि मामला राजनीति से प्रेरित है। शिविर में 150 हिंदू छात्र थे। जिनमें केवल तीन छात्रों ने शिकायत की है। शिविर में शामिल अन्य छात्र-छात्राओं ने आरोपों को झूठा बताया है। मुस्लिम छात्रों ने अपनी इच्छा से नमाज पढ़ी। याचिका में FIR को रद्द करने की मांग की गई थी।

राज्य शासन ने कहा- गंभीर है आरोप

मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने याचिकाकर्ताओं के तर्कों का विरोध किया। साथ ही कहा कि प्रोफेसर्स पर गंभीर आरोप लगे हैं। याचिकाकर्ताओं ने हिंदू छात्रों को नमाज पढ़ने के लिए मजबूर किया। गवाहों ने आरोपों की पुष्टि की है। जांच अभी जारी है।

सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने निहारिका इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ महाराष्ट्र राज्य के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि FIR रद्द करना दुर्लभतम मामलों में ही संभव है। जांच के दौरान केस के आरोपों की सत्यता पर टिप्पणी नहीं की जा सकती। पुलिस को जांच पूरी करने दी जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने इस आधार पर उनकी याचिकाएं खारिज कर दी हैं।



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular