किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन 69वें दिन में दाखिल।
पंजाब और हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर अनशन चल रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की सेहत ठीक नहीं रह रही है। पहले उन्हें बुखार हो गया था, जबकि अब उनके कानों में दर्द हो रही है। जबकि डॉक्टरों की टीम उन पर लगातार नजर रख रही है। दूसरी तरफ केंद्र सरकार द्व
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केंद्र की मीटिंग से पहले ताकत दिखाने की तैयारी
फसलों की एमएसपी की लीगल गारंटी समेत 13 मांगों को लेकर किसानों का संघर्ष शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहा है। वहीं, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन 69 दिन में दाखिल हो गया है। वहीं, अब किसानों का फोकस इसी महीने आयोजित की जाने वाली तीन महापंचायतों पर लगा हुआ है। इसके लिए पंजाब, हरियाणा और राजस्थानों में लोगों से मीटिंग कर रहे हैं। कोशिश यही है कि 14 फरवरी को केंद्र सरकार से होने वाली मीटिंग से पहले पूरी तरह किसानों की ताकत दिखे।
महापंचायत को लेकर मीटिंग करते हुए किसान।
अब तक किसान आंदोलन में क्या-क्या हुआ?
पिछले साल 13 फरवरी को किसान ने फसलों की एमएसपी समेत 13 मांगों को लेकर अपना आंदोलन शुरू किया था। क्योंकि उस समय लोकसभा चुनाव होने थे। ऐसे में केंद्र सरकार ने शुरू में तत्परता दिखाई। साथ ही तत्कालीन कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा समेत सीनियर नेता चंडीगढ़ भेजे।
साथ ही सेक्टर-26 में किसान नेताओं से मीटिंग की। इन मीटिंगों में पंजाब सीएम भगवंत मान भी मौजूद रहे। यह मीटिंग देर रात दो बजे तक चलती रही थी, लेकिन जब किसानों की सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने दिल्ली जाने का फैसला लिया था।
लेकिन हरियाणा सरकार ने बैरिकेड लगाकर किसानों को बॉर्डर पर ही रोक दिया। साथ ही दलील दी कि किसानों ने अपने ट्रैक्टर मॉडिफाई किए हुए हैं। अगर किसान आगे आते हैं तो राज्य का माहौल खराब होगा। इस दौरान खनौरी बॉर्डर पर पुलिस व किसानों की झड़प में युवा किसान शुभकरन सिंह की मौत हो गई। हालांकि जब किसान वहीं रुक गए तो उन दोनों रास्तों से पंजाब हरियाणा का संपर्क टूट गया। इस वजह से कारोबारियों को नुकसान होने लगा।
मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट तक पहुंच गया। दस जुलाई को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बैरिकेड खोलने के आदेश दिए तो सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाई पावर कमेटी गठित की । फिर 26 नवंबर से किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने अनशन शुरू किया। साथ ही किसी तरह की मेडिकल सुविधा न लेने का फैसला लिया।
लेकिन जैसे ही संघर्ष 50 दिन पार कर गया तो केंद्र सरकार के अधिकारी खनौरी बॉर्डर पर पहुंचे। उन्होंने किसानों को मीटिंग को न्योता दिया। इसके बाद डल्लेवाल ने अनशन जारी रखने व मेडिकल सुविधा लेने का फैसला लिया। साथ ही 26 जनवरी को पूरे देश में ट्रैक्टर मार्च निकाला।