Saturday, June 14, 2025
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जगदानंद हटेंगे, RJD के नए प्रदेश अध्यक्ष का नामांकन आज: मंगनी लाल का नाम फाइनल, नए अध्यक्ष के सामने 3 बड़ी चुनौतियां – Bihar News


राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नए बिहार प्रदेश अध्यक्ष के लिए आज यानी शनिवार को नामांकन होगा। इसके बाद 19 जून को राज्य परिषद की बैठक में नए अध्यक्ष के नाम का ऐलान किया जाएगा।

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दोपहर ढाई बजे तक नामांकन होगा। इसके साथ ही अब तय हो गया है कि प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह आगे अध्यक्ष नहीं रहेंगे।

सूत्रों के मुताबिक, JDU से 5 महीने पहले RJD में आए मंगनी लाल मंडल प्रदेश अध्यक्ष के लिए नामांकन कर सकते हैं। इसके बाद उनको निर्विरोध चुना जा सकता है। वैसे भी RJD में चुनाव कराने का रिवाज नहीं है।

पहले EBC और 7वें अध्यक्ष होंगे मंगनी लाल मंडल

पार्टी की स्थापना 1997 में चारा घोटाले में लालू यादव के जेल जाने के बाद हुई थी। इससे पहले 6 प्रदेश अध्यक्ष हो चुके हैं। इसमें 4 बार दलित, एक-एक बार मुस्लिम और सवर्ण समाज से आने वाले नेता शामिल हैं। मंगनी लाल मंडल पार्टी के 7वें और EBC (अति पिछड़ा वर्ग) समाज से बनने वाले पहले अध्यक्ष होंगे।

मंगनी लाल के सहारे EBC कार्ड खेल सकती है RJD

जनवरी में पार्टी ने JDU के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मंगनी लाल मंडल को पार्टी में शामिल कराया है। वह अति पिछड़ा वर्ग के धानुक जाति से आते हैं। उनका प्रभाव उत्तर बिहार के मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर में माना जाता है।

वह झंझारपुर से विधायक और सांसद रह चुके हैं। इसी इलाके के फुलपरास में इस बार RJD कर्पूरी जयंती मना रही है। ठाकुर का प्रभाव अब भी EBC में है। जयंती समारोह के बहाने समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी और मुजफ्फरपुर में पार्टी अपने को मजबूत करना चाहती है।

18 जनवरी को मंगनी लाल मंडल को तेजस्वी यादव ने पार्टी में शामिल कराया था।

इलाका RJD के लिए महत्वपूर्ण क्यों…

2020 विधानसभा चुनाव में समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी और मुजफ्फरपुर में महागठबंधन का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। 41 सीटों में से महागठबंधन 13 सीटों पर सिमट गया था।

RJD ने 11, मुजफ्फरपुर में कांग्रेस ने एक और समस्तीपुर में CPIM ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी। महागठबंधन को इस बार इससे बेहतर की उम्मीद है।

पार्टी के पास लोकसभा में एक भी सांसद नहीं है। जबकि, पहले ये इलाका RJD का गढ़ था।

नए प्रदेश अध्यक्ष के सामने 3 चुनौतियां

1. विधानसभा चुनाव में जीत की जिम्मेदारी

अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव हो सकता है। नए अध्यक्ष के पास सिर्फ 4 महीने का टाइम है। इसी टाइम के बीच रणनीति बनाने से लेकर संगठन में नेताओं को जोड़ने की जिम्मेदारी रहेगी।

टिकट के दावेदारों को भी उनको मैनेज करना पड़ेगा। साथ ही विधानसभा चुनाव का रिजल्ट भी इनके खाते में ही जोड़ा जाएगा। इसके अलावा पार्टी को गठबंधन के सहयोगी दलों से भी सामंजस्य बनाना पड़ेगा।

2. पार्टी में अनुशासन बनाना

प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने जिस तरह से पार्टी कार्यालय को अनुशासन में रखा, उसे बरकरार रखना होगा। मंगनी लाल मंडल अगर अध्यक्ष बनते हैं तो उनकी उम्र काफी है। उनका जन्म एक जुलाई 1948 को हुआ। इस लिहाज से वे लगभग 77 वर्ष के हैं। नियमित रूप से कार्यालय में बैठना उनके लिए चुनौती होगी।

3. कोर्ट के चक्कर के बीच लालू परिवार को सपोर्ट करना

लालू परिवार पर CBI, ED का शिकंजा है। कोर्ट का बड़ा फैसला आया तो RJD के लिए मुश्किल खड़ी होगी। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष को पार्टी की कमान दमदार तरीके से संभालनी होगी। तेजस्वी के खासमखास नेताओं से भी अध्यक्ष को बेहतर समन्वय बनाकर रखना होगा।

नवंबर 2019 में जगदानंद सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष की संभाली थी कमान। इस दौरान पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्व से गले मिलते जगदानंद। (फाइल फोटो)

नवंबर 2019 में जगदानंद सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष की संभाली थी कमान। इस दौरान पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्व से गले मिलते जगदानंद। (फाइल फोटो)

जगदानंद सिंह ने हेल्थ का हवाला देकर छोड़ा पद

नवंबर में हुए उपचुनाव के रिजल्ट में मिली हार के बाद जगदानंद सिंह ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर पद छोड़ने की बातें शीर्ष नेतृत्व को कही थी। उसके बाद से लालू परिवार ने नए प्रदेश अध्यक्ष की खोज शुरू की थी।जगदानंद सिंह की 3 बड़ी खासियतें…

1. अनुशासित नेता की छवि

जगदानंद सिंह अनुशासनप्रिय नेता माने जाते हैं। माना जाता है कि उन्होंने RJD कार्यालय की पूरी कार्य संस्कृति को बदल दिया। समय से आना- जाना उनकी दिनचर्या थी।

उनके अनुशासन से खफा कार्यकर्ता RJD ऑफिस को ‘डीएम का कार्यालय’ और ‘हिटलर’ कहते थे। शीर्षस्थ नेताओं को छोड़ कोई नेता अपनी कार से गेट के अंदर नहीं जा सकता। गेट पर हमेशा एक गार्ड रहता है। एक नंबर गेट बंद और दो नंबर गेट खुला रहता है।

2. लालू से खास नजदीक

जगदानंद सिंह को लालू यादव का काफी भरोसेमंद माना जाता है। एक बार तो वह पार्टी के लिए अपने बेटे के खिलाफ हो गए थे।

2010 विधानसभा चुनाव में जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर ने बागी होकर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। इसके विरोध में उनके पिता चुनाव प्रचार कर उन्हें हरवाया था। लालू यादव जब जेल में थे तब राबड़ी देवी सरकार के खास थे। यही कारण है कि वह जब-जब नाराज हुए लालू यादव ने खुद उन्हें मनाया।

3. अध्यक्ष रहते पार्टी के 75 विधायक जितवाए

जगदानंद सिंह के नेतृत्व में RJD ने 2020 विधानसभा का चुनाव लड़ा। इसमें पार्टी को 75 सीटें मिलीं। महागठबंधन 10 सीट से सत्ता तक पहुंचने से रह गई।

यादव-मुस्लिम राजनीति की पार्टी में जगदानंद सवर्ण चेहरा हैं। वह शाहाबाद एरिया से आते हैं और वहां उनकी राजपूत वोट बैंक को एकजुट करने में बड़ी भूमिका मानी जाती है। नीतीश कुमार और बीजेपी के मुखर विरोधी हैं।

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