Friday, December 27, 2024
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जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 22 सितंबर को आएंगे अयोध्या: गौ ध्वज प्रतिष्ठा यात्रा की करेंगे शुरुआत, 26 अक्टूबर तक भारत के सभी राज्यों का करेंगे भ्रमण – Ayodhya News



सिविल लाइन स्थित एक होटल में प्रेस वार्ता करते शंकराचार्य के शिष्य और प्रतिनिधि ब्रह्मचारी मुकुंदानंद और संतोष दुबे।

जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज 22 सितंबर को अयोध्या में आएंगे। शंकराचार्य के शिष्य और प्रतिनिधि ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने अयोध्या में प्रेस वार्ता कर यह जानकारी दिया। वहीं शंकराचार्य के इस कदम को कई मायनों में अहम माना जा र

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मुकुंदानंद ने कहा “शंकराचार्य के नेतृत्व में “गौ प्रतिष्ठा आंदोलन” छेड़ा जाएगा, जिसके अंतर्गत 22 सितंबर को अयोध्या से जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के नेतृत्व में गौ ध्वज प्रतिष्ठा भारत यात्रा शुरू होगी।

यात्रा के संयोजक ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया कि “शंकराचार्य के निर्देशन और ‘गौ प्रतिष्ठा आंदोलन’ के तहत यह यात्रा 22 सितंबर से 26 अक्टूबर तक संपूर्ण भारत के विभिन्न प्रदेशों की राजधानियों तक जाएगी।

अयोध्या में यात्रा शुरू करने से पहले रामकोट की परिक्रमा करेंगे, इसके बाद शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद एक सभा को भी संबोधित करेंगे। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य गौ माता को पशु की सूची से बाहर निकालकर राष्ट्रमाता का दर्जा दिलवाना है, इसके साथ ही गौ माता को लेकर राष्ट्रीय कानून बनाया जाए, गौ हत्या का कलंक इस देश से मिटना चाहिए, ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया “इस यात्रा को सभी हिंदूवादी संगठनों और गौ माता प्रेमियों का समर्थन प्राप्त है और इसकी तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। संयोजक ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया कि गौ मांस यानी बीफ के निर्यात में विश्व में भारत का दूसरा स्थान है,यह शर्म की बात है, यह हम सभी का दुर्भाग्य है कि 80 हजार गोवंश की प्रतिदिन हत्या होती है।

कौन है शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

उत्तराखंड के जोशीमठ स्थित ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अपने बयानों को लेकर चर्चाओं में रहे है। अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा, केदारनाथ में सोना चोरी समेत अनेक विवादों पर बयान के जरिए सुर्खियों में रहे है। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की मृत्यु के बाद उन्हें ज्योतिष पीठ का नया शंकराचार्य बनाया गया। शंकराचार्य हिंदू धर्म की अद्वैत वेदांत परंपरा में मठ कहे जाने वाले मठों के प्रमुखों की एक आम तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली उपाधि है।

अविमुक्तेश्वरानंद ने 2006 में स्वामी स्वरूपानंद से दीक्षा ली थी। तब से वे उत्तराखंड स्थित ज्योतिर्मठ की सभी धार्मिक और अन्य गतिविधियों की देखरेख करते आ रहे हैं। वे ज्योतिष पीठ के 46वें शंकराचार्य हैं।

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की पट्टी तहसील के ब्राह्मणपुर गांव में उमाशंकर उपाध्याय के रूप में जन्मे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कथित तौर पर वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में अपनी शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्होंने शास्त्री और आचार्य की डिग्री हासिल की।

छात्र राजनीति में उनकी भागीदारी के कारण 1994 में छात्र संघ चुनाव में उन्हें जीत मिली, जिससे युवावस्था से ही उनकी नेतृत्व क्षमता का पता चला।



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