Thursday, March 20, 2025
Thursday, March 20, 2025
Homeराशिफलजगन्नाथ मंदिर के 4 दरवाजों और 22 सीढ़ियों का क्या है रहस्य,...

जगन्नाथ मंदिर के 4 दरवाजों और 22 सीढ़ियों का क्या है रहस्य, यहीं से होती है मोक्ष की प्राप्ति?


Last Updated:

Puri Jagannath Mandir: जगन्नाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास का एक जीवंत उदाहरण भी है. इस मंदिर में कई रहस्य भी छुपे हैं जिसमें से इसकी 4 दरवाजों और 22 सीढ़ियों के रहस्य की हम…और पढ़ें

जगन्नाथ मंदिर के 4 दरवाजों का भी एक रहस्य है.

हाइलाइट्स

  • पुरी जगन्नाथ मंदिर के चार दरवाजे मोक्ष का प्रतीक हैं.
  • 22 सीढ़ियां मानव जीवन की कमजोरियों का प्रतीक हैं.
  • मंदिर का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है.

Puri Jagannath Mandir: पुरी, ओडिशा में स्थित जगन्नाथ मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र हिंदू मंदिरों में से एक है. यह भगवान जगन्नाथ (भगवान विष्णु के एक रूप) को समर्पित है और इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता बहुत गहरी है. हर साल यहां लाखों करोड़ों श्रद्धालु प्रभु के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. यह मंदिर अपनी भव्यता, रथ यात्रा और कई रहस्यों के लिए प्रसिद्ध है. इन्हीं में से है उसके चार दरवाजे और 22 सीढ़ियों का रहस्य. आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं.

जगन्नाथ मंदिर में चार मुख्य द्वार हैं, जो चारों दिशाओं में स्थित हैं
सिंह द्वार (पूर्व): यह मुख्य द्वार है और इसका मुख पूर्व दिशा की ओर है. सिंह द्वार के सामने ही अरुण स्तंभ स्थित है. यह द्वार मोक्ष का प्रतीक माना जाता है.

ये भी पढ़ें- Vastu Tips: पुरानी झाड़ू को फेंकने में न करें ये बड़ी गलती, वरना नाराज हो जाएंगी मां लक्ष्मी ! बिगड़ जाएगी आर्थिक स्थिति

अश्व द्वार (दक्षिण): दक्षिण दिशा में स्थित इस द्वार का प्रतीक घोड़ा है. इसे विजय का द्वार भी कहा जाता है. प्राचीन काल में योद्धा इस द्वार का उपयोग जीत की कामना के लिए करते थे.

हस्ति द्वार (पश्चिम): पश्चिम दिशा में स्थित इस द्वार का प्रतीक हाथी है. यह द्वार समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है.

व्याघ्र द्वार (उत्तर): उत्तर दिशा में स्थित इस द्वार का प्रतीक बाघ है. यह द्वार शक्ति और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है.

ये चारों द्वार चार युगों – सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग का भी प्रतिनिधित्व करते हैं.

ये भी पढ़ें- दीपक की बाती का पूरा जल जाने का क्या होता है मतलब? यहां जानिए शुभ या अशुभ किस बात का है ये संकेत!

22 सीढ़ियों का रहस्य
जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करने के लिए 22 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जिन्हें ‘बैसी पहाचा’ भी कहा जाता है. इन सीढ़ियों का आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है. माना जाता है कि ये सीढ़ियां मानव जीवन की बाईस कमजोरियों या बुराइयों का प्रतीक हैं, जिन पर विजय प्राप्त करके ही मोक्ष की प्राप्ति होती है.

इन 22 सीढ़ियों में से तीसरी सीढ़ी का विशेष महत्व है. इसे ‘यम शिला’ कहा जाता है. मान्यता है कि इस सीढ़ी पर पैर रखने से यमलोक के दर्शन होते हैं, इसलिए भक्त इस सीढ़ी पर पैर रखने से बचते हैं. खासकर मंदिर से लौटते समय. कुछ मान्यताओं के अनुसार इस सीढ़ी पर पैर रखने से पुण्य नष्ट हो जाते हैं.

हालांकि मंदिर में वर्तमान में केवल अठारह सीढ़ियां ही दिखाई देती हैं. इन सीढ़ियों को चढ़कर ही भक्त भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के दर्शन कर पाते हैं.

मंदिर का प्रारंभिक इतिहास
जगन्नाथ मंदिर का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है. इसे 12वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने बनवाया था. यह मंदिर भगवान जगन्नाथ की पूजा का केंद्र बना, जिनकी मूर्ति अन्य देवताओं से अलग और अनोखी है. भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियां लकड़ी की बनी होती हैं और इन्हें हर 12 से 19 साल में बदल दिया जाता है. यह परंपरा मंदिर की अनूठी विशेषता है.

homedharm

जगन्नाथ मंदिर के 4 दरवाजों और 22 सीढ़ियों का क्या है रहस्य? जानकर चौंक जाएंगे



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular