छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल को प्रमुख रूप से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की विधानसभा के दमदार और नवाचार करने वाले अध्यक्ष के रूप में जाना जाता है। बहरहाल, महत्वपूर्ण बात यह है कि राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल सन् 1967 में पहली बार लो
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राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल को मुख्यमंत्री ने गृह विभाग का दायित्व दिया था। जाने-माने कवि और मंत्रिमण्डल में उनके सहयोगी संसदीय सचिव बालकवि बैरागी का कथन है कि कवि हृदय राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल के लिए यह पुलिसिया काम-काज बेहद तनाव भरा और शुष्क था।
36 विधायकों ने सरकार गिरा दी राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल मुख्यमंत्री मिश्र के छोटे भाई के दामाद और छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ मंत्री मथुराप्रसाद दुबे के भांजे थे। इस नाते उन्हें लगता था कि पहली बार का विधायक और पहली बार का संसदीय सचिव बनने के बाद भी अपनी अलग से हैसियत बनानी चाहिए। वे पुलिस मुख्यालय और जिले के अधिकारियों से नियमित संपर्क रखकर विभाग पर अपनी पकड़ बनाकर रखने की लगातार कोशिश करते थे।
सन् 1967 के चुनाव में दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले द्वारका प्रसाद मिश्र के लिए कोई राजनीतिक चुनौती नहीं थी। बहरहाल, चुनाव में टिकटों के बंटवारे को लेकर ग्वालियर की राजमाता वसुंधरा राजे सिंधिया मिश्र जी से नाराज हो गईं थीं। बघेलखण्ड क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता गोविंदनारायण सिंह अपनी उपेक्षा को लेकर खफा थे कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ विधायक भी उपयुक्त मंत्री पद न मिलने के कारण उखड़े हुए थे।
जुलाई 1967 में विधानसभा में शिक्षा विभाग की मांगों पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के 36 विधायकों ने मिश्र मंत्रिमण्डल के विरूद्ध मतदान कर सरकार गिरा दी। इनमें से अधिकांश छत्तीसगढ़ क्षेत्र के थे।
नई सरकार ज्यादा नहीं चली यह बात अलग है कि संयुक्त विधायक दल की सरकार ज्यादा चली नहीं और मार्च 1969 में श्यामाचरण शुक्ल के नेतृत्व में फिर कांग्रेस की सरकार बन गई। शुक्ल को मंत्री बनने का मौका तो नहीं मिला। हां, 1980 से 1985 तक वे मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष बने थे। 1993 में दिग्विजय सिंह की सरकार बनी तो शुक्ल को पहले कैबिनेट मंत्री पद प्राप्त हुआ था। और छत्तीसगढ़ राज्य बनने पर उन्हें विधानसभा का अध्यक्ष बनाया गया।
सीएम ने ध्यान नहीं दिया उन दिनों हर वर्ष गर्मियों में दो माह के लिए मंत्रिमण्डल पंचमढ़ी चला जाता था। मंत्रिपरिषद् की बैठक भी वहीं होती थी। मई 1967 में मंत्रिपरिषद् की एक बैठक में राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल ने मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र से कहा कि 36 कांग्रेस विधायक दलबदल कर सरकार गिराने की योजना बना रहे हैं।
बहरहाल, द्वारका प्रसाद मिश्र ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया और न विद्रोह करने जा रहे विधायकों को अपनी ओर करने का कोई उपाय किया। फलतः जुलाई में द्वारका प्रसाद मिश्र की सरकार गिर गई। पर महत्वपूर्ण बात यह है कि शुक्ल ने विद्रोह करने वाले कांग्रेसी विधायकों की जो सूची मुख्यमंत्री को प्रस्तुत की थी वह बिल्कुल सही निकली। उस सूची में शामिल कांग्रेस विधायकों ने ही विद्रोह कर सरकार गिरा दी थी।
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