02:03 AM8 अक्टूबर 2024
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आइए जानते हैं जम्मू-कश्मीर की 7 हॉट सीट्स के बारे में…
1. बिजबेहारा सीट
अनंतनाग जिले की बिजबेहरा सीट मुफ्ती परिवार का गढ़ मानी जाती है। इस बार यहां से महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती चुनाव लड़ रही हैं। 1967 से लेकर अब तक 9 विधानसभा चुनावों में 6 बार मुफ्ती परिवार या PDP कैंडिडेट की जीत हुई है।
हालांकि, 2014 में PDP कैंडिडेट अब्दुल रहमान सिर्फ 2,868 वोटों से ही जीत सके थे। वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में महबूबा मुफ्ती अनंतनाग से हार गई थीं। जम्मू-कश्मीर की राजनीति को समझने वाले एक्सपर्ट कहते हैं बिजबेहरा सीट पर इल्तिजा मुफ्ती को कड़ी टक्कर मिल रही है।
PDP के लिए ये सीट खतरे में दिख रही है। उनकी टक्कर NC के बशीर अहमद से है। बशीर के पिता भी 3 बार विधायक रहे हैं। लोकसभा चुनाव में एक बार पूर्व CM मुफ्ती मोहम्मद सईद को हरा भी चुके हैं।
2. गांदरबल

गांदरबल सीट पर अब्दुल्ला परिवार का कब्जा रहा है। इस बार यहां से पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला चुनाव मैदान में हैं। उनके दादा शेख अब्दुल्ला 1977 और पिता फारूक अब्दुल्ला 1983, 1987 और 1996 में यहां से जीत चुके हैं।
NC को इस सीट पर 1977 से लेकर 2014 के तक सिर्फ एक हार मिली है। 2008 में जब उमर पहली बार सीएम बने थे, तब वे भी इसी सीट से चुनाव जीते थे। उनके सामने PDP के बशीर अहमद मीर मैदान में हैं।
2014 में उन्होंने कंगन सीट से चुनाव लड़ा था और NC के मियां अल्ताफ को कड़ी टक्कर दी थी। बशीर 2000 से भी कम वोटों से हारे थे। इस बार कंगन सीट एससी के लिए रिजर्व है, इसलिए बशीर गांदरबल से चुनाव लड़ रहे हैं। इनकी भी अच्छी पकड़ मानी जाती है।
2014 में NC से ही इसी सीट पर विधायक रहे शेख इश्फाक जब्बार भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इनके अलावा अब्दुल्ला के सामने कश्मीर घाटी में ‘आजादी चाचा’ के नाम से मशहूर अहमद वागे उर्फ सरजन बरकती से भी है।
बरकती पर आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद युवाओं को आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए उकसाने के आरोप हैं। इसके चलते वे जेल में हैं। उमर इससे पहले तिहाड़ जेल से चुनाव लड़े इंजीनियर रशीद से बारामुला सीट पर लोकसभा चुनाव हार चुके हैं।
इन्हीं वजहों से उमर के लिए यह मुकाबला कड़ा माना जा रहा है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट बिलाल फुरकानी भी मानते हैं कि भले ही यह सीट अब्दुल्ला परिवार का गढ़ है, लेकिन यहां भी कड़ी टक्कर मिलेगी। यही वजह है कि उमर बडगाम सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं।
3. बडगाम

इस सीट पर भी NC का दबदबा रहा है। पिछले 10 विधानसभा चुनावों में सिर्फ एक बार NC यहां से हारी है। ऐसे में बडगाम भी उमर के लिए सेफ सीट मानी जा रही है। लेकिन कश्मीर के सीनियर जर्नलिस्ट बिलाल फुरकानी कहते हैं, ‘मुझे लगता है कि गांदरबल से ज्यादा करीबी टक्कर बडगाम सीट पर होगी।
PDP कैंडिडेट सैयद मुंतजिर मेहदी से उनकी कड़ी टक्कर होगी। मुंतजिर शिया समुदाय से आते हैं। बडगाम सीट पर शिया मुस्लिम वोटर्स सबसे ज्यादा हैं। उनके पिता आगा सैयद हुसैन मेहदी नामी शिया नेता थे। वे बड़े हुर्रियत नेता भी रहे हैं। ऐसे में यहां काफी नजदीकी चुनाव हो सकता है।‘
सीट पर 30 से 33 हजार वोटर शिया हैं जो जिले की आबादी का करीब 35% है। 2014 में इस सीट से मेहदी के चचेरे भाई आगा सैयद रूहुल्लाह ने NC से चुनाव जीता था। रूहुल्लाह श्रीनगर से सांसद चुने गए हैं।
4. नौशेरा

भाजपा के जम्मू-कश्मीर प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना नौशेरा सीट से चुनाव मैदान में हैं। 2014 में वे यहां से विधायक बने थे। 2014 चुनाव में उन्हें कड़ी टक्कर देने वाले PDP कैंडिडेट सुरेंद्र चौधरी इस बार NC से चुनाव लड़ रहे हैं। वे PDP से अलग होकर पहले BJP में शामिल हुए थे। फिर NC में आए और विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
एक्सपर्ट मानते हैं कि सुरेंद्र चौधरी का अपना वोट बैंक है। 2014 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को 5,342, जबकि NC को 1,099 वोट मिले थे। इस बार NC और कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव मैदान में है। ऐसे में यहां लड़ाई कांटे की होगी।
एक खास बात यह है कि रविंदर रैना सबसे कम संपत्ति वाले उम्मीदवारों में दूसरे नंबर पर हैं। रैना ने हलफनामे में अपनी संपत्ति कुल एक हजार रुपए घोषित की है।
5. कुपवाड़ा

जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस (JKPC) प्रमुख सज्जाद गनी लोन कुपवाड़ा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। NC ने नासिर असलम वानी और PDP ने मीर मोहम्मद फयाज उम्मीदवार बनाया है। 2014 में इस सीट JKPC के उम्मीदवार बशीर अहमद डार ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कुल 24,754 वोट हासिल किए थे।
6. लंगेट

नॉर्थ कश्मीर की लंगेट सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस का गढ़ रही है। लेकिन 2008 में अवामी इत्तिहाद पार्टी के चेयरमैन शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर राशिद ने अपना पहला विधानसभा चुनाव जीतकर स्थिति काफी बदल दी है।
2014 में भी उन्होंने यहां से चुनाव जीता। इसी साल जेल में रहते हुए उन्होंने उमर अब्दुल्ला को बारामूला लोकसभा सीट से हराया है। लंगेट सीट से इस बार उनके भाई खुर्शीद अहमद शेख चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला JKPC नेता और कुपवाड़ा के डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट काउंसिल के अध्यक्ष इरफान सुल्तान पंडितपुरी से है।
NC और कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार इरशाद गनी भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इनके अलावा प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. कलीम उल्लाह भी मैदान में हैं।
7. सोपोर

सेब के बागानों के लिए मशहूर रहा सोपोर, 90 के दशक में आतंकवाद के कब्जे में रहा है। यह सीट अलगाववादी नेताओं का गढ़ मानी जाती रही है। अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी इस सीट से तीन बार चुने जा चुके हैं। यही वजह है कि सीट पर मतदान भी कम होता रहा है।
2008 में यहां केवल 19% ही वोटिंग हुई थी। 2014 में यह आकड़ा बढ़कर 30% और इस बार 45.32% रहा है। हालांकि, सीट चर्चा में इसलिए है क्योंकि यहां से संसद हमले का दोषी अफजल गुरु का बड़ा भाई एजाज अहमद गुरु निर्दलीय चुनाव लड़ रहा है।
इस सीट पर NC और कांग्रेस ने अपने अलग-अलग कैंडिडेट उतारे हैं। NC ने इरशाद रसूल कर तो कांग्रेस ने 2014 में यहां से विधायक रहे अब्दुल राशिद डार को दोबारा टिकट दिया है। वहीं, PDP से इरफान अली लोन मैदान में हैं।
