01:25 AM25 सितम्बर 2024
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सेकेंड फेज की 5 हॉट सीट
1. गांदरबल
गांदरबल विधानसभा अब्दुल्ला परिवार का गढ़ रहा है। इस बार नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला गांदरबल सीट से चुनाव मैदान में है। उनसे दादा शेख अब्दुल्ला 1977 और पिता फारूक अब्दुल्ला 1983, 1987 और 1996 में सीट से चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि 2002 में नेशनल कॉन्फ्रेंस यह सीट हार गई थी। 2008 के चुनाव में उमर अब्दुल्ला सीट से चुनाव जीते। इसके बाद वो मुख्यमंत्री भी बने। 2014 विधानसभा में शेख इशफाक जब्बार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर गांदरबल सीट पर जीत दर्ज की थी।
गांदरबल सीट पर 15 उम्मीदवार मैदान में हैं। हालांकि उमर अब्दुल्ला का मुकाबला जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (JKPDP) के बशीर अहमद मीर और 2014 में नेशनल कॉन्फ्रेंस की टिकट से विधायक रहे जम्मू-कश्मीर यूनाइटेड मूवमेंट के शेख इश्फाक जब्बार से है। भाजपा ने यहां से कैंडिडेट नहीं उतारा है। गांदरबल सीट पर जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी (JKAP) के काजी मुबिशर फारूक और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) के नेता कैसर सुल्तान गनी चुनाव लड़ रहे हैं।
इनके अलावा अब्दुल्ला के सामने कश्मीर घाटी में आजादी चाचा के नाम से मशहूर अहमद वागे उर्फ सरजन बरकती से भी है। बरकती इस समय जेल में बंद है। उनपर बरकती वुरहान वानी की मौत के बाद भड़काऊ भाषणों देकर युवाओं को आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए उकसाने का आरोप है। इससे पहले उमर बारामुला से लोकसभा चुनाव तिहाड़ जेल से चुनाव लड़े इंजीनियर रशिद से हार गए थे। इंजीनियर रशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी की ओर से शेख आशिक मैदान में है। NC-कांग्रेस गठबंधन के बाद गांदरबल जिले के कांग्रेस अध्यक्ष साहिल फारूक ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
2. बडगाम

1962 में अस्तित्व में आई बडगाम विधानसभा सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) का दबदबा रहा है। पिछले 10 विधानसभा चुनावों में सिर्फ एक बार ऐसा हुआ है जब NC को हार का सामना करना पड़ा है। 1972 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के अली मोहम्मद मीर ने यहां से जीत दर्ज की थी। ऐसे में बडगाम को उमर के लिए एक सेफ सीट कहा जा रहा है।
सीट पर 8 प्रत्याशी मैदान में है, लेकिन मुख्य मुकाबला उमर अब्दुल्ला और JKPDP कैंडिडेट आगा सैयद मुंतजिर मेहदी के बीच है। आगा सैयद मुंतजिर प्रमुख शिया मौलवी और हुर्रियत नेता आगा सैयद हसन मोसावी के बेटे हैं। आगा परिवार कश्मीर के तीन प्रमुख शिया मौलवी परिवारों में से एक है। मोसावी का कश्मीर के बडगाम जिले में धार्मिक और राजनीतिक प्रभाव है। बडगाम विधानसभा में 30 से 33 हजार वोटर शिया हैं जो जिले की आबादी का करीब 35 प्रतिशत है।
इससे पहले सीट का प्रतिनिधित्व मेहदी के चचेरे भाई आगा सैयद रूहुल्लाह ने किया था जो लोकसभा चुनाव में श्रीनगर से संसद के लिए चुने गए है। 2014 के विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रत्याशी आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी बडगाम सीट से चुनाव जीते थे।
3. नौशेरा

नौशेरा विधानसभा परंपरागत रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है। 1962 में अस्तित्व में आने के बाद से 2002 तक लगातार आठ बार कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की, लेकिन 2008 के चुनावों में यह सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस के सामने हार गई। इस बार नौशेरा सीट पर भाजपा ने जम्मू-कश्मीर प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना को एक बार फिर से टिकट दिया है। उनके सामने में 2014 चुनाव में उन्हें कड़ी टक्कर देने वाले तत्कालीन PDP कैंडिडेट सुरेंद्र चौधरी की चुनौती है जो इस बार JKNC के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं पीडीपी ने एडवोकेट हक नवाज चौधरी को टिकट दिया है।
2014 के जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रविंदर रैना ने 9,503 वोटों के अंतर से नौशेरा सीट पर जीत दर्ज की थी। उन्होंने तत्कालीन तत्कालीन PDP उम्मीदवार सुरेंद्र चौधरी को हराया था।
4. बुद्धल

जम्मू के पीर पंजाल इलाके में राजौरी जिले के बुद्धल विधानसभा सीट पर चाचा और भतीजा के बीच मुकाबला है। यह विधानसभा सीट परिसीमन के बाद आधार पर बनी है। भाजपा ने इस सीट से पूर्व मंत्री चौधरी जुल्फिकार अली को टिकट दिया है। उनके सामने नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जावेद इकबाल चौधरी को मैदान में उतारा है। जावेद, जुल्फकार की सगी बड़ी बहन के बेटे हैं। वो कोटरंका ब्लॉक से ब्लॉक विकास परिषद (BDC) का चुनाव जीता और BDC चेयरमैन रहे हैं। जावेद अपनी पत्नी के साथ स्वतंत्र राजनीतिक नेता थे, अगस्त 2024 में नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल हो गए।
दूसरी तरफ कैंडिडेट्स की नामों की घोषणा से ठीक दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के उपाध्यक्ष चौधरी जुल्फकार भाजपा में शामिल हो गए। जुल्फकार अली पेशे से एक वकील हैं। उन्होंने 2008 और 2014 के विधानसभा चुनावों में PDP के टिकट पर राजौरी जिले की दरहाल विधानसभा से चुनाव लड़ा था। दोनों चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई थी। 2015 से 2018 तक वे महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली PDP-BJP गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे थे। लेकिन BJP के गठबंधन सरकार से बाहर होने के बाद जून 2018 में गठबंधन की ये सरकार गिर गई थी। इसके बाद पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व में कई PDP नेताओं ने साल 2020 में JKAP यानी जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी की स्थापना की थी।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने यहां से युवा चेहरे गुफ्तार अहमद चौधरी को मौका दिया है। बुद्धल विधानसभा क्षेत्र से केवल चार उम्मीदवार मैदान में हैं और चौथे उम्मीदवार बहुजन समाज पार्टी (BSP) के अब्दुल रशीद हैं।
5. श्रीमाता वैष्णो देवी

श्रीमाता वैष्णो देवी क्षेत्र पहले जम्मू की रियासी विधानसभा सीट का हिस्सा हुआ करता था। 2022 में परिसीमन के बाद नई सीट श्रीमाता वैष्णो देवी बनी। रियासी का हिस्सा रहते हुए 2014 और 2008 का विधानसभा चुनाव भाजपा ने जीता था।
इस सीट पर पहली बार चुनाव होने जा रहे हैं। रियासी से पिछले दो विधानसभा चुनाव जीतने वाली BJP ने बलदेव राज शर्मा को कैंडिडेट बनाया है। हालांकि इनसे पहले पार्टी ने रियासी के जिला अध्यक्ष रोहित दुबे को उम्मीदवार बनाया, लेकिन कुछ ही घंटों बाद उनका नाम वापस ले लिया। कांग्रेस के उम्मीदवार भूपेंद्र सिंह हैं। वहीं पिछले दो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कैंडिडेट रहे जुगल किशोर इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर करीब 15 हजार बारीदार वोटर्स हैं। बारीदार संघर्ष समिति ने अपने अध्यक्ष श्याम सिंह को निर्दलीय उतारा है। जम्मू में वोटर्स के लिहाज से ये सबसे छोटी सीट है। यहां कुल 55,618 वोटर्स हैं।