श्रीनगर2 मिनट पहले
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पूर्व केंद्रीय मंत्री और BJP नेता मनोज सिन्हा को 5 अगस्त, 2020 को जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया था।
जम्मू-कश्मीर में 90 सीटों पर हुई विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के तुरंत बाद 5 विधायकों को मनोनीत किया जाएगा। गृह मंत्रालय के आदेश पर जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा 5 लोगों को विधानसभा के लिए नॉमिनेट करेंगे। ऐसे में विधायकों की कुल संख्या 95 हो जाएगी और बहुमत का आंकड़ा बढ़कर 48 हो जाएगा।
दरअसल, 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 2019 के तहत विधानसभा में 5 विधायकों को एलजी नामांकित कर सकते हैं। यह नियम महिलाओं, कश्मीरी पंडितों और PoK के प्रतिनिधित्व के लिए लाया गया था। जुलाई 2023 में इसे संशोधित किया गया था।
इन मनोनीत विधायकों को विधानसभा में वोटिंग के अधिकार के साथ-साथ सभी विधाई शक्तियां और विशेषाधिकार मिलेंगे। एग्जिट पोल के नतीजों में जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस-NC की सरकार बनते दिख रही है। हालिंक, कुछ पोल्स्टर्स हंग असेंबली का भी इशारा कर रहे हैं।
नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने आशंका जताई है कि ये विधायक भाजपा को सपोर्ट कर सकते हैं। उन्होंने केंद्र के इस कदम को लोकतंत्र और संविधान के पर हमला बताया है। हालांकि, भाजपा एलजी के इस कदम का समर्थन कर रही है।
कांग्रेस बोली- जनता के मैंडेट पर हमला जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के उपाध्यक्ष रविंदर शर्मा ने कहा कि सरकार बनने से पहले एलजी द्वारा 5 विधायकों को नामंकन का हम विरोध करते हैं। इस तरह का कोई भी कदम लोकतंत्र, आम जनता का मैंडेट और संविधान पर हमला है।
शर्मा ने कहा कि संवैधानिक ढांचे के तहत, विधायकों को मनोनीत करने से पहले उपराज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह लेनी चाहिए। चुनाव के बाद बहुमत या अल्पमत की स्थिति को बदलने के लिए नामांकन के प्रावधान का दुरुपयोग करना नुकसानदेह होगा।
भाजपा बोली- सब कुछ नियमों के मुताबिक हो रहा है भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने कहा है कि इन सदस्यों का नामंकन नियमों के मुताबिक ही हो रहा है। एलजी को इन्हें मनोनीत करने का पूरा अधिकार है। वे नियमों का पूरा पालन करेंगे।
जम्मू-कश्मीर के एग्जिट पोल में कांग्रेस-NC की सरकार

5 अगस्त, 2019 को पारित हुआ जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 5 अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम (2019) संसद में पारित किया गया था। इसमें जम्मू और कश्मीर को दो भागों में बांटकर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। पहला- जम्मू-कश्मीर और दूसरा- लद्दाख। इस अधिनियम ने अनुच्छेद 370 को भी निरस्त कर दिया, जिसने जम्मू और कश्मीर को विशिष्ट दर्जा दिया था।
जम्मू-कश्मीर जून 2018 से केंद्र सरकार के शासन के अधीन है। 28 अगस्त, 2019 को गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में प्रशासन के नियमों को नोटिफाई किया था, जिसमें उपराज्यपाल और मंत्रिपरिषद के कामकाज की स्पष्ट व्याख्या की गई।
