बिहार में आज जयद योग में सतुआनी का पर्व मनाया जा रहा है। सूर्यदेव इस दिन स्वाति नक्षत्र और जयद योग में मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मेष राशि में गोचर से इसे मेष संक्रांति भी कहा जाता है।
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ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि आज सनातन धर्मावलंबी इस दिन स्नान-पूजा करने के बाद ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः या राम नाम का जप, श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से शुभता, बुद्धि प्रखर एवं तेज होती है। आज से खरमास भी खत्म हो जाएगा।
ग्रहों-नक्षत्रों का बना युग्म संयोग
ज्योतिषी राकेश झा के मुताबिक सतुआनी पर सूर्य का अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि की संक्रांति होगी। इसके साथ ही कर्क रेखा से दक्षिण की ओर जाने के कारण 15 अप्रैल मंगलवार को जुड़ शीतल पर्व पर विशाखा नक्षत्र और सिद्धि योग का उत्तम संयोग बन रहा है। इस दिन सूर्यदेव की कृपा पाने और पितरों को संतुष्ट करने के लिए सत्तू, गुड़, चना, पंखा, सजल घट, आम, ऋतु फल एवं अन्य दान का विशेष महत्व है।

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा
पुराणों में वर्णित है मेष संक्राति की महिमा
आचार्य राकेश झा ने कहा कि देवी भागवत पुराण में मेष राशिगत सूर्य में दान करने की महिमा का उल्लेख मिलता है। बैशाखे सक्तु दानं च य: करोति द्विजातये। सक्तुरेणु प्रभाणद्धि मोदते शिव मंदिरे। इसके अलावा तिथि तत्व स्मृति में भी मेष राशिगत सूर्य की संक्रांति में सत्तू और घट सहित जलदान का महत्व दर्शाया गया है।
सत्तू-आम के सेवन से स्वास्थ्य लाभ
पंडित गजाधर झा ने बताया कि मेष राशि स्थित सूर्य में सत्तू एवं जल पूर्ण पात्र दान करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। सूर्य के मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करने के साथ ही ग्रीष्म ऋतु का आरंभ हो जाता है। इसलिए इस मौसम में शरीर को ठंडक देने वाले आहार के सेवन का प्रावधान है।
सत्तू और छोटे आम के टिकोले से बनी चटनी शरीर को ठंडक प्रदान करते करने के साथ सुपाच्य भी होते होते हैं। इस वजह से सतुआनी में सत्तू खाने का विधान है। कई जगह इस दिन जौ और बूट के सत्तू को आम के चटनी के साथ सेवन का विधान है।