दैनिक भास्कर के स्मार्ट किसान सीरीज में इस बार आपको ऐसे किसान से मिलवाते हैं, जो आधुनिक तरीके से जरबेरा फूल की खेती कर रहे हैं। इससे लाखों की कमाई के साथ ही 7-8 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।
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छिंदवाड़ा जिले में शरद राव चौहान ने 9 साल पहले पॉली हाउस बनाकर जरबेरा फूल की खेती शुरू की। व्यवसाय को न केवल एक लाभकारी उद्यम बनाया, बल्कि अन्य किसानों के बीच मिसाल भी स्थापित की। 65 वर्षीय शरद राव चौहान ने भारतीय सेना से रिटायर होने के बाद इस क्षेत्र में कदम रखा।
उनके मुताबिक इसकी प्रेरणा उन्हें पुणे के पास संजय घोडावत के 250 एकड़ के विशाल ग्रीन पॉली हाउस को देखकर मिली। इसके बाद उन्होंने 1 एकड़ में पॉली हाउस बनाकर फूलों की खेती की। यह संभाग का पहला पॉली हाउस था, जिसने न सिर्फ स्थानीय किसानों को प्रेरित किया, बल्कि उन्हें इस तकनीक को अपनाने के लिए प्रोत्साहित भी किया। शरद राव हर पांच साल में 10 लाख रुपए के जरबेरा के पौधे लगाते हैं। इससे हर साल 20 लाख से ज्यादा की आय होती है।
आइए जानते हैं सेना से रिटायर शरद राव चौहान के किसान बनने और जरबेरा की खेती शुरू करने की कहानी
किसान शरद राव चौहान का कहना है कि हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट से इसका आइडिया आया था। पुणे में जाकर पॉली हाउस की खेती को देखा। पूना के पास तयगांव और कोल्हापुर के पास जयसिंहपुर नाम के गांव में भी इस तरह की खेती होती है।
यहां 150 एकड़ में इस तरह की खेती हुई है और वो फूलों को बाहर भी एक्सपोर्ट करते हैं। इसके बाद मुझे आइडिया आया और छिंदवाड़ा आकर मैंने इसकी शुरुआत की। जरबेरा के फूलों को नागपुर, भोपाल और हैदराबाद तक भेजा जाता है।
1 एकड़ में महीने का 3 से 4 लाख रुपए बनता है, जिसमें 1 लाख का खर्चा आता है। इसमें कीटनाशक, खाद सहित मजदूरी शामिल होती है।

किसान शरद राव चौहान ने पॉली हाउस में जरबेरा फूलों की खेती कर रहे हैं।
पॉली हाउस बनवाने 60 लाख का निवेश किया किसान शरद राव ने बताया कि पॉली हाउस बनवाने के लिए पहली बार में 60 लाख रुपए का निवेश किया। इसमें सरकार से राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत 29 लाख रुपए की सब्सिडी प्राप्त हुई। पॉली हाउस का निर्माण 36 लाख रुपए में हुआ, जबकि 24 लाख रुपए का खर्च फूलों की खेती और अन्य जरूरी संसाधनों पर हुआ।
एक एकड़ के इस पॉली हाउस में 27,000 जरबेरा फूलों के पौधे लगाए गए, जिन्हें पुणे से 35 रुपए प्रति पौधा की दर से खरीदा गया। कुल 9.45 लाख रुपए के पौधों का निवेश किया गया। खास बात यह है कि एक बार लगाए गए पौधे 5 साल तक उत्पादन देते हैं, जिस कारण यह निवेश लंबे समय तक लाभकारी साबित होता है।

जरबेरा फूलों को देखते हुए किसान शरद राव चौहान।
हर दाे दिन में 600-700 फूलों के बंडल जाते हैं किसान शरद राव के पॉली हाउस में हर दो दिन में 600-700 फूलों के बंडल तैयार किए जाते हैं। इन फूलों को शादी, मंदिरों में पूजा और चुनावी आयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है।
फूलों की पैकिंग कर उन्हें नागपुर, हैदराबाद और भोपाल जैसे बड़े शहरों में भेजा जाता है। जरबेरा फूल, जो इस पॉली हाउस का मुख्य उत्पाद है, अपनी गुणवत्ता के लिए पुणे के बाद छिंदवाड़ा में प्रसिद्ध है। इस व्यवसाय में सात कर्मचारी कार्यरत हैं, जो पौधों की देखभाल, कटाई और पैकिंग का काम संभालते हैं। जरबेरा लाल, पीला, गुलाबी, नारंगी, सफेद, क्रीम और बैंगनी रंगों में होता है।

लाल, पीले, गुलाबी, नारंगी और सफेद रंग के जरबेरा फूल लोगों को आकर्षित करते हैं।
पहले 48, अब सालाना 20 लाख रुपए की कमाई किसान शरद राव का कहना है कि 9-10 साल पहले प्रतिस्पर्धा नहीं थी। इस कारण हर साल 48 लाख रुपए की इनकम हो जाती थी, लेकिन अब यही इनकम 20 लाख तक रह गई है। शरद के मुताबिक उनकी सफलता को देखकर कई स्थानीय किसानों ने भी इस तकनीक को अपनाया और अपने खेतों में पॉली हाउस स्थापित किए।
