श्रीनगर1 मिनट पहले
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बैसारन घाटी में हर साल बड़ी संख्या में टूरिस्ट पहुंचते हैं।
जम्मू कश्मीर के पहलगाम जिले की जिस बैसारन घाटी में आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों पर कायराना हमला कर उनकी हत्या की। उसे मिनी स्वीट्जरलैंड कहा जाता है। यहां कश्मीर की कली (1964), आरज़ू (1965), जब जब फूल खिले (1965), कभी-कभी (1976), सिलसिला (1981), सत्ते पे सत्ता (1982) रोटी (1974), और बेताब (1983) की शूटिंग हुई है।
बैसारन घाटी अनंतनाग जिले में पहलगाम से सिर्फ 5 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां लोग घोड़े-टट्टू की सवारी, जिपलाइनिंग, जोरबिंग जैसी एक्टिविटीज का लुत्फ उठाने आते हैं। इसके अलावा कैंपसाइट के रूप में भी बैसारन घाटी को जाना जाता है। फोटो में देखें बैसारन घाटी का सौंदर्य

पहलगाम की लिद्दर नदी के किनारे का दृश्य।

लिद्दर नदी में टूरिस्ट रिवर राफ्टिंग का आनंद लेने पहुंचते हैं।

लिद्दर नदी के किनारे लोग घने जंगल और पहाड़ों को निहारने पहुंचते हैं।

पहलगाम के पास बेताब वैली है। यहां सनी देओल की फिल्म बेताब की शूटिंग हुई थी।

बेताब घाटी में टूरिस्ट घोड़ें की सवारी करने पहुंचते हैं।
पहलगाम अमरनाथ यात्रा का बेस कैंप
कई फिल्मों में इस घाटी को दृश्य को फिल्माया गया हैं। यहां घास का एक मैदान है और चारों तरफ बड़े बड़े देवदार के पेड़ और पहाड़ दिखाई देते हैं।
यह पूरा इलाका देवदार के घने जंगलों से घिरा हुआ है और बर्फ से ढंके हुए पहाड़ इसके चारों तरफ है। जम्मू कश्मीर में पर्यटन के लिहाज से बैसारन घाटी काफी चर्चित स्थान है।
पहलगाम वैसे तो अमरनाथ यात्रा का बेसकैंप होने के कारण ज्यादा प्रसिद्ध है। हर साल जुलाई-अगस्त के महीनों में होने वाली अमरनाथ यात्रा दो मार्गों से होती है- पहलगाम और बालटाल। पहलगाम वाला मार्ग पौराणिक है और ज्यादा लोकप्रिय भी है।

पहलगाम में बड़ी संख्या में टूरिस्ट हर साल पहुंचते हैं।
पहलगाम छुट्टियां मनाने के लिए भी आदर्श स्थान है। समुद्र तल से 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां मौसम हमेशा ठंडा बना रहता है। यहां आप शहर की भीड़ से दूर प्रकृति के बीच होते हैं।
यहां बहने वाली लिद्दर नदी में रिवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, ट्रैकिंग जैसे साहसिक गेम्स का आनंद ले सकते हैं।
पहलगाम श्रीनगर से लगभग 86 किमी दूर है और रास्ता अनंतनाग होते हुए जाता है। अनंतनाग से पहलगाम तक लिद्दर नदी के साथ-साथ जाते हैं। लिद्दर नदी शेषनाग झील से निकलती है और चंदनवाड़ी, पहलगाम होते हुए अनंतनाग के पास झेलम नदी में मिल जाती है। इसी लिद्दर नदी में राफ्टिंग होती है, जो चारों तरफ ऊंचे पहाड़ों और घने जंगलों से होकर जाती है।
पहलगाम के आसपास जो खूबसरत जगहें हैं, जिनमें आडू वैली, बेताब वैली, चंदनवाड़ी और बैसारन घाटी प्रमुख हैं।

पहलगाम का मुख्य बाजार।
चंदनवाड़ी भी है आकर्षक टूरिस्ट डेस्टीनेशन
आडू वैली पहलगाम से 12 किमी दूर है और समुद्र तल से 2400 मीटर ऊपर है। यहां जाने के लिए शेयर टैक्सी और निजी टैक्सी आसानी से मिल जाती है। आडू वैली का सौंदर्य देखते ही बनता है। यहां चारों तरफ बर्फ से ढंके
पर्वत और घने जंगल हैं। यहां आप पैराग्लाइडिंग भी कर सकते हैं। यदि आप ट्रैकिंग के शौकीन हैं, तो कोलाहोई बेसकैंप तक जा सकते हैं और तारसर व मारसर झीलों का ट्रैक भी कर सकते हैं। ट्रैकिंग का सारा साजोसामान और गाइड-पॉर्टर आडू में आराम से मिल जाते हैं।
पहलगाम से 15 किमी दूर चंदनवाड़ी है। चंदनवाड़ी के ही रास्ते में बेताब वैली भी स्थित है, जहां ‘बेताब’ फिल्म की शूटिंग हुई थी। ये दोनों ही स्थान अत्यधिक खूबसूरत हैं और यहां लिद्दर नदी का अनछुआ सौंदर्य देखा जा सकता है।

चंदनबाड़ी पहलगाम के पास एक रमणीक टूरिस्ट डेस्टिनेशन है।
वैली ऑफ शेफर्ड पहलगाम को वैली ऑफ शेफर्ड भी कहा जाता है। यहां से आगे ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर स्थित झीलों के किनारे गुज्जर समुदाय अपनी भेड़-बकरियों के साथ रहता है। ये लोग अप्रैल-मई में ऊपर चले जाते हैं और अक्टूबर में नीचे लौटते हैं। भेड़ों से इन्हें मिलती है अच्छी गुणवत्ता की पश्मीना ऊन, जिसकी कीमत काफी ज्यादा होती है। पश्मीना ऊन के बने कपड़े अत्यधिक नरम व हल्के होते हैं और खूब गर्म भी होते हैं।
पहलगाम कभी भी जाया जा सकता है, लेकिन अप्रैल से जून का समय सर्वोत्तम है, क्योंकि इस दौरान मौसम भी ठंडा बना रहता है और छुट्टियां बिताने का अलग ही आनंद आता है। जुलाई और अगस्त में अमरनाथ यात्रा के कारण भीड़ ज्यादा होती है। सितंबर से नवंबर तक का समय भी अच्छा है।