जांजगीर-चांपा जिला अस्पताल में सिविल सर्जन डॉ. दीपक जायसवाल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी
जांजगीर-चांपा जिला अस्पताल में सिविल सर्जन डॉ. दीपक जायसवाल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। स्वास्थ्य मंत्री के आश्वासन के बाद रायपुर से तीन सदस्यीय जांच टीम पहुंची है।
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मामला 5 मार्च का है, जब एक सीनियर नर्स ने सिविल सर्जन पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया। इसके बाद अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने भी मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए कलेक्टर से शिकायत की। कलेक्टर ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया।
11 मार्च को स्थिति तब और बिगड़ गई जब डॉक्टरों ने सिविल सर्जन को हटाने की मांग को लेकर OPD का बहिष्कार कर साइकिल स्टैंड से मरीजों का इलाज शुरू कर दिया। स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टरों को रायपुर बुलाकर जांच के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया।
जांच टीम ने तीसरी बार दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए
स्वास्थ्य सेवा निदेशालय की जांच टीम ने आज तीसरी बार दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए। डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने सिविल सर्जन द्वारा की जा रही मानसिक प्रताड़ना के दस्तावेज टीम को सौंपे।
डॉ. दीपक साहू के अनुसार, सिविल सर्जन की नियुक्ति से पहले अस्पताल में प्रतिदिन 500 से अधिक OPD होती थी। गंभीर मामलों को बिलासपुर रेफर किया जाता था। लेकिन अब 100 बेड वाले अस्पताल में 150 से अधिक मरीजों को भर्ती करने का आदेश दिया गया है।

जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल
संसाधनों की कमी के कारण जिला अस्पताल में मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है, जिससे मृत्यु दर दोगुनी हो गई है। सिविल सर्जन के व्यवहार से अस्पताल के स्टाफ में भय और असंतोष का माहौल बन गया है। इसका असर अस्पताल की कार्यप्रणाली पर भी पड़ रहा है, और स्टाफ काम करने से कतराने लगा है।
सिविल सर्जन, डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के बीच चल रहे विवाद के कारण अस्पताल की आंतरिक व्यवस्थाएं उजागर हो रही हैं। यदि समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो जिला अस्पताल की स्थिति और खराब हो सकती है, जिसका सीधा असर मरीजों पर पड़ेगा। संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि जांच के बाद भी कोई ठोस परिणाम नहीं निकला, तो आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।