आज जब हम आधुनिक जीवनशैली के सहारे – जैसे एसी, कूलर और पंखे – को जीवन का हिस्सा मान बैठे हैं, तब असलियत यह है कि हम पर्यावरण विनाश की कगार पर खड़े हैं। तापमान लगातार रिकॉर्ड तोड़ रहा है और आने वाले वर्षों में स्थिति और भयावह हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यही रफ्तार रही, तो 55°C से 60°C तक का तापमान कोई कल्पना नहीं, बल्कि निकट भविष्य बन सकता है – और उस स्थिति में मानव जीवन का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।
एक चिंतनशील संदेश में नागरिकों से अपील की गई है कि आने वाले मानसून के समय कम-से-कम दो पौधे अवश्य लगाएं। क्योंकि एक वृक्ष को छांव देने योग्य बनने में लगभग छह साल लगते हैं, और भारत को इस समय लगभग 400 से 500 करोड़ वृक्षों की आवश्यकता है।
यह सिर्फ एक अपील नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवन बचाने का संकल्प है। याद रखिए –”वृक्ष ही जीवन है।”
अतः इस वर्ष वर्षा ऋतु में पौधारोपण को एक जन आंदोलन बनाएं। अपने परिवार, मित्रों, और समाज को भी इसके लिए प्रेरित करें – ताकि जब जिंदगी की तलाश हो, तो हमें मौत का नहीं, हरियाली और शुद्ध हवा का साथ मिले।