जींद के पिंडारा तीर्थ पर अमावस्या पर पहुंचे श्रद्धालु एवं लगा मेला।
हरियाणा के जींद जिले में वर्ष 2024 की सर्व पितृ अमावस्या पर बुधवार को जींद के पांडू पिंडारा तीर्थ पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। तीर्थ में स्नान के बाद पिंडदान किया और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति की कामना की। ऐसा माना जाता है कि सर्व पितृ अमावस्या
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मान्यता है कि अमावस्या के दिन पितरों के नाम पर दान करना बहुत भी फलदायी होता है। श्राद्ध पक्ष बुधवार से समाप्त हो गया। बुधवार सुबह से ही पितरों के तर्पण के लिए पिंडारा तीर्थ पर श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। इस दौरान तीर्थ पर प्रशासन की तरफ से पुख्ता प्रबंध किए गए, लेकिन गोहाना रोड पर जाम की स्थिति रही।
पांडू पिंडारा में आस्था की डुबकी लगाते हुए श्रद्धालु।
पांडवों ने पिंडारा तीर्थ में किए थे पिंडदान
माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पितरों के तर्पण के पांडवों ने भी पिंडारा तीर्थ में ही पिंडदान किए थे। हालांकि पांडव यहां 12 साल तक सोमवती अमावस्या के योग का इंतजार करते रहे, लेकिन यह योग नहीं बना। ऐसे में कलयुग में भी लोग यहां पिंडदान करते हैं। पिंडारा तीर्थ के महत्व के बारे में वीरेंद्र पिंडारा ने बताया कि पिंडारा तीर्थ को पिंडतारक सोमतीर्थ व पिंडार्क नाम से जाना जाता है।
गया जी के जितना महत्व
मान्यता है कि जब पितामाह भीष्म वाणों की शैया पर थे, तब धर्मराज युधिष्ठिर ने उनसे पितरों को मुक्ति के लिए पूछा था। इस पर भीष्म ने पिंडारा तीर्थ में स्नान कर पिंडदान करने के लिए कहा था। शास्त्रों में बताया गया है कि मंकण ऋषि ने सूर्य के बताने पर अपने पितरों के उद्धार के लिए पिंडारा तीर्थ पर पिंडदान किया था। उन्होंने कहा कि शास्त्रों के अनुसार गया जी में दान का जो महत्व है, वही पिंडारा में है।
अन्य हिस्सों से भी पहुंचते है लोग
पांडवों ने पितरों के लिए पिंडारा में पिंडदान किया। इससे इसका नाम पांडू पिंडारा पड़ा है। यहां तीर्थ पर प्रदेश के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों से भी लोग पिंडदान करने आते हैं। शास्त्रों के अनुसार एक व्यक्ति अपनी तीन पीढ़ियों के लिए पिंडदान कर सकता है। इसमें पिता, दादा व परदादा शामिल हैं।

पिंडदान करते हुए श्रद्धालु।
दरवाजे से भिखारी को न लौटाए खाली हाथ
जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि यदि आप किसी कारणवश श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध नहीं निकाल पाए, तो भी आप सर्व पितृ अमावस्या दिन श्राद्ध संपन्न कर सकते हैं। इस दिन किसी सात्विक और विद्वान ब्राह्मण को घर पर निमंत्रित करें और उनसे भोजन करने और आशीर्वाद देने की प्रार्थना करें। स्नान करके शुद्ध मन से भोजन बनाए, लेकिन भोजन सात्विक होना चाहिए।
सर्व पितृ अमावस्या के दिन अगर आपके घर कोई भी भिखारी आए, तो उसे दरवाजे से खाली हाथ न लौटाए। सर्व पितृ अमावस्या के दिन मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए। वरना इससे पितृ आपसे नाराज हो सकते हैं।