छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मौजूद जैतूसाव मठ में आज गोवर्धन पूजा की जाएगी। जैतूसाव में ये पूजा पिछले 200 सालों से होती चली रही है। ये पूजा विशेष है, जिसका हिस्सा बनने के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं। इस पूजा में भगवान राघवेन्द्र सरकार क
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नाचते-गाते पहुंचती है राउत नाचा की टोली
ये राउत बड़ी संख्या में पुरानी बस्ती की गलियों से नाचते-गाते और श्री कृष्ण के दोहे पढ़ते हुए गौ माता के साथ मठ में पहुंचते हैं। इसके बाद मंदिर परिसर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है।

इसलिए की जाती है गोवर्धन पूजा
दीपावली के दूसरे दिन उत्तर और मध्य भारत में गोवर्धन पूजा का प्रचलन है। इस दिन को अन्नकूट महोत्सव भी कहते हैं। पुराणों के मुताबिक द्वापर युग में सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण के कहने पर ही गोवर्धन पर्वत की पूजा की गई थी। व्यावहारिक नजरिए से देखा जाए तो इस परंपरा के पीछे प्रकृति पूजा का संदेश छिपा है।
गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गाय की पूजा होती है। सनातन मान्यता के अनुसार गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। जिस तरह मां लक्ष्मी सुख-समृद्धि प्रदान करती है। उसी तरह गौ माता अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करती है। इसलिए दीपावली के अगले दिन गौ माता की पूजा करने की परंपरा है।
इस दिन भगवान के निमित्त छप्पन भोग बनाया जाता है। कहते हैं कि अन्नकूट महोत्सव मनाने से मनुष्य को लंबी आयु तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है। अन्नकूट महोत्सव इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन नए अनाज की शुरुआत भगवान को भोग लगाकर की जाती है।