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ग्राम मटिया (बारगांव) में श्रीमद् भागवत महापुराण जारी है। कथा के चौथे दिन बुधवार को कथावाचक पंडित दुर्गा प्रसाद तिवारी ने कहा कि सदा अपने नेत्र, श्रवण और वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। क्योंकि जैसा हम सुनते हैं, देखते हैं, ठीक वैसा ही आचरण करते हैं। ये आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप क्या देख रहे हैं, क्या सुन रहे हैं। देखना और सुनना अगर सुधरा हुआ हो, अच्छा हो तो व्यक्ति कभी गलत रास्ते पर नहीं जाएगा। कहा कि जो उचित हो हमेशा वही देखो और सुनो।
भगवान के नाम का आश्रय लो, सत्संग करो, वहीं हमारे साथ जाएगा। भगवान वामन श्री हरि के पहले अवतार थे, जो मानव रूप में प्रकट हुए थे। उनके पिता वामन ऋषि और माता अदिति थीं। वह बौने ब्राह्मण के रूप में जन्मे थे। मान्यता है कि वह इंद्र के छोटे भाई थे। कहा कि वेदों में चार युगों का वर्णन मिलता है। चार युगों में सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग आते हैं। त्रेतायुग दूसरा युग था जिसमें अधर्म का नाश करने के लिए भगवान विष्णु तीन अवतार लिए थे। जिनमें वामन अवतार, परशुराम और श्रीराम अवतार शामिल है। त्रेतायुग में भगवान विष्णु के पांचवें अवतार के रूप में वामन अवतार लिया गया था। पहले चार अवतार क्रमशः मत्स्य, कच्छप, वाराह और नृसिंह थे। वामन अवतार में उन्होंने राजा बलि से तीन पग जमीन मांग कर धरती की रक्षा की थी। छठवां अवतार परशुराम का लिया।
भगवान ने दो पग में धरती व आकाश को नाप लिया उन्होंने कहा कि देवलोक पर असुर राजा बली ने विजय, हासिल कर इसे अपने अधिकार में ले लिया था। राजा बली विरोचन के पुत्र और प्रह्लाद के पौत्र थे। उन्होंने अपने तप और पराक्रम के बल पर देवलोक पर विजय हासिल की थी। वामन भगवान ब्राह्मण के वेष में बली के पास गए। जहां तीन पग के बराबर भूमि देने का आग्रह किया। गुरु शुक्राचार्य के चेताने के बावजूद बली ने वामन को वचन दे डाला। भगवान ने दो पग में धरती, आकाश नाप लिया। चौथा पग उन्होंने राजा बलि के सिर पर रखा था। जिसके बाद से राजा बलि को मोक्ष मिला। पंचम दिवस गुरुवार को कृष्ण जन्म, बाललीला, गोवर्धन पूजा, छप्पन भोग का वृतांत सुनाया जाएगा।