ज्येष्ठ माह का अंतिम प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को है. यह प्रदोष रविवार के दिन होने की वजह से रवि प्रदोष व्रत होगा. यह जून में पड़ रहा है, इसलिए जून का पहला प्रदोष है. रवि प्रदोष व्रत के दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं, वहीं रुद्राभिषेक के लिए भी बहुत अच्छा समय है. उस दिन शिववास कैलाश और नंदी पर है. उज्जैन के महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार, इस बार रवि प्रदोष व्रत पर परिघ योग बनेगा, जो शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए शुभ योग होता है. आइए जानते हैं कि ज्येष्ठ का अंतिम प्रदोष किस तारीख को है? रवि प्रदोष का पूजा मुहूर्त, रुद्राभिषेक समय क्या है?
ज्येष्ठ का अंतिम प्रदोष 2025 तारीख
दृक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 8 जून को सुबह में 7 बजकर 17 मिनट पर होने वाला है और यह तिथि 9 जून को सुबह 9 बजकर 35 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में प्रदोष व्रत के पूजा मुहूर्त के आधार पर ज्येष्ठ का अंतिम प्रदोष 8 जून रविवार को है. इस दिन जून का पहला प्रदोष व्रत भी होगा.
रवि प्रदोष व्रत 2025 पूजा मुहूर्त
8 जून को रवि प्रदोष व्रत के दिन पूजा के लिए आपको 2 घंटे 1 मिनट का शुभ मुहूर्त प्राप्त होगा. रवि प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ समय शाम को 7 बजकर 18 मिनट से रात 9 बजकर 19 मिनट तक है.
रवि प्रदोष व्रत 2025 शुभ मुहूर्त
रवि प्रदोष का ब्रह्म मुहूर्त 04:02 ए एम से 04:42 ए एम तक है. इसमें स्नान करना उत्तम माना जाता है. प्रदोष के दिन का शुभ समय यानि अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक है. प्रदोष को स्वाति नक्षत्र प्रात:काल से लेकर दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक है, उसके बाद से विशाखा नक्षत्र है. प्रदोष का निशिता मुहूर्त देर रात 12:00 ए एम से 12:40 ए एम तक है. निशिता मुहूर्त का उपयोग मंत्रों की सिद्धियों के लिए करते हैं.
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2 शुभ योग में रवि प्रदोष व्रत 2025
जून के पहले प्रदोष पर 2 योगों का निर्माण होने जा रहा है. रवि प्रदोष व्रत पर परिघ और शिव योग बनेंगे. व्रत के दिन परिघ योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से शिव योग प्रारंभ हो जाएगा. शिव योग में ही रवि प्रदोष व्रत की पूजा की जाएगी. ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार परिघ योग में आप अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए कार्य कर सकते हैं. दुश्मनों के खिलाफ जो कार्य करेंगे, उसमें सफलता प्राप्त हो सकती है.
रवि प्रदोष व्रत 2025 रुद्राभिषेक का समय
जो लोग 8 जून को प्रदोष के अवसर पर रुद्राभिषेक कराना चाहते हैं, उनको उत्तम फल की प्राप्ति होगी. उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी और कार्यों में सफलता प्राप्त होगी क्योंकि इस बार के प्रदोष पर शिववास कैलाश और नंदी पर है. कैलाश पर शिववास प्रात:काल से लेकर सुबह 07 बजकर 17 मिनट तक है. उसके बाद पूरे दिन शिववास नंदी पर है. इन दो स्थानों पर शिववास रुद्राभिषेक के लिए अच्छा माना जाता है, जो शुभ फलदायी होते हैं. इस प्रदोष पर आप सूर्योदय से पूरे दिन कभी भी रुद्राभिषेक करा सकते हैं.
प्रदोष व्रत का महत्व
हर माह की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत होता है. इस दिन व्रत और शिव पूजा का संकल्प करते हैं. विधि विधान से भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं. शिव कृपा से व्यक्ति के दुख, दोष, रोग आदि मिटते हैं. जो भी शुभ मनोकामनाएं होती हैं, वो भोलेनाथ के आशीर्वाद से पूर्ण होती हैं.