राज्य के खजाने की स्थिति बेहतर नहीं है। कई जरूरी खर्च के लिए 15 विभागों से योजना का पैसा सरेंडर कराकर द्वितीय अनुपूरक बजट में सरकार ने पैसे का इंतजाम किया था। ऐसे में सरकार की कमाई कैसे बढ़े इसके लिए कई कठोर कदम उठाने पर भी विचार कर रही है।
झारखंड में पेट्रोल-डीजल महंगा हो सकता है। राज्य सरकार इसकी तैयारी में लगी है। सरकार का मकसद राजस्व बढ़ाने की है। दरअसल राज्य सरकार सेस लगाने की तैयारी कर रही है। दरअसल पथ निर्माण विभाग ने सड़कों के निर्माण के लिए सेस लगाने को लेकर नियमावली का प्रारूप त
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कैबिनेट की बैठक लगेगी प्रस्ताव पर मुहर
इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी लेनी होगी। सेस की वसूली कैसे होगी, यह अभी तय नहीं हुआ है। इस पर मंथन चल रहा है। सेस कितना लगेगा, यह कैबिनेट की बैठक में ही तय होगा। सूत्रों के अनुसार सारी प्रक्रिया पूरी कर इसी सप्ताह के अंत तक इसे लागू किस जाने की संभावना है। सूत्रों का कहना है कि इससे करीब 350 करोड़ रुपए सालाना अतिरिक्त राजस्व बढ़ सकता है। पहले वैट बढ़ाने की तैयारी थी, लेकिन बाद में सेस लगाने का फैसला लिया गया।
राज्य में पेट्रोल-डीजल पर 22 फीसदी वैट
झारखंड में अभी पेट्रोल-डीजल पर 22 फीसदी वैट लागू है। इसमें पेट्रोल पर 22 फीसदी वैट या 17 रुपए प्रति लीटर में जो ज्यादा हो, वह उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा है। इसी तरह डीजल में भी 22 फीसदी वैट या 12.50 रुपए प्रति लीटर में जो ज्यादा होता है, वह वसूला जाता है। फिलहाल रांची में पेट्रोल 97.86 रुपए और डीजल 92.62 रुपए प्रति लीटर की दर से बिक रहा है।
राजस्व बढ़ाने के लिए बनेंगे कठोर नियम
राज्य के खजाने की स्थिति बेहतर नहीं है। कई जरूरी खर्च के लिए 15 विभागों से योजना का पैसा सरेंडर कराकर द्वितीय अनुपूरक बजट में सरकार ने पैसे का इंतजाम किया था। ऐसे में सरकार की कमाई कैसे बढ़े इसके लिए कई कठोर कदम उठाने पर भी विचार कर रही है। बजट घोषणा से पूर्व राज्य सरकार द्वारा टैक्स और सेस में बढ़ोत्तरी करने की भी संभावना है। किन-किन विभागों के टैक्स और राजस्व में बढ़ोत्तरी की जा सकती है, इस पर अफसरों का एक विशेष तबका काम कर रहा है।
वर्तमान में परिवहन, भू-राजस्व, मालगुजारी, खासमहाल, उत्पात शुल्क, वैट सहित विभिन्न विभागों के सेस में बढ़ोत्तरी हो सकती है। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर के साथ-साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी राजस्व संग्रहण बढ़ाने और नए स्रोत तलाशने के लिए सभी विभागों को निर्देशित किए हुए हैं। उन्होंने अफसरों से राजस्व उगाही पर माइक्रो लेवल ऑब्जरवेशन के लिए भी कहा है। उन्होंने कई विभागों को बिजनेस मॉडल स्थापित करने का भी निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में राजस्व संग्रहण पर बैठक करते सीएम हेमंत सोरेन
वित्तीय हालत ठीक करने को बना विशेष टीम
राज्य सरकार ने वित्तीय हालात सुधारने और विकास योजनाओं के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने और राज्य की आय में बढ़ोतरी करने के लिए एक विशेष समिति बनाई है। वित्त विभाग के विशेष सचिव की अध्यक्षता में बनी समिति में खान निदेशक, वाणिज्य कर आयुक्त समेत महाधिवक्ता के प्रतिनिधि को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा संयुक्त परिवहन आयुक्त, भू-अर्जन निदेशक और वित्त विभाग के संयुक्त सचिव भी बतौर सदस्य हैं।
समिति आय में बढ़ोतरी के लिए साधन स्रोत, खनन क्षेत्र में लागू पुरानी करों में वृद्धि एवं न्यायिक मामलों में लंबित वसूली में तेजी लाने का प्रस्ताव तैयार करेगी। विशेष समिति राजस्व संग्रहण में तेजी लाने के लिए नए स्रोत तलाशेगी। समिति राजस्व उगाही के क्षेत्र में सुदृढ़ीकरण का प्रस्ताव देगी। राजस्व उगाही में होनेवाली वैधानिक अड़चनों की स्थिति में समिति विचार-विमर्श कर उसे दूर करने से संबंधी प्रस्ताव भी देगी। समिति चालू वित्तीय वर्ष में राजस्व वसूली तेज करने के लिए भी काम कर रही है।
8 महीने में 50% राशि की ही वसूली
इधर, मुख्य सचिव और वित्त सचिव ने विभागों को राजस्व वसूली में तेजी लाने का निर्देश दिया है। राजस्व संग्रहण करनेवाले छह प्रमुख विभागों ने आठ माह की अवधि में (नवंबर तक) करीब 50 प्रतिशत राशि की ही वसूली की है। विभागों को हर हाल में वित्तीय वर्ष के अंत तक राजस्व लक्ष्य पूरा करने को कहा गया है।
चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए वाणिज्य कर,खान एवं भूतत्व, उत्पाद,परिवहन, निबंधन और भूराजस्व विभाग के लिए 49,700 करोड़ राजस्व वसूली का लक्ष्य है। नवंबर माह तक लगभग 25, 000 करोड़ रुपए की ही वसूली हुई है। 31 अक्टूबर तक 22,297 करोड़ की वसूली हुई थी, जो 44.86 % के करीब है। इस स्थिति को देख राज्य सरकार राजस्व बढ़ाने पर और रेस हुई है।