मध्यप्रदेश में विदेशी टायर से ऑयल निकालने वाले पायरोलिसिस प्लांटों की अब विशेष जांच होगी। इसके लिए मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने पहली बार स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) गठित की है। मंगलवार को सदस्य सचिव एए मिश्रा के आदेश में कहा कि यह टीम
.
टीम में पूर्व पर्यावरण निदेशक हेमंत कुमार शर्मा, अधीक्षण यंत्री आलोक कुमार जैन, वैज्ञानिक हरीश बानखेड़े, रसायनज्ञ रजनीश पटेल और अन्य स्टाफ को शामिल हैं। एसआईटी का संयोजक अधीक्षण यंत्री (विधि) एमके मंडराई को बनाया गया है। टीम को निर्देश दिए गए हैं कि मौके से पानी के सैंपल लें और उनकी जांच लैब में कराएं।
इससे यह तय होगा कि कितना प्रदूषित जल बाहर छोड़ा जा रहा है और उसमें कौन-कौन से हानिकारक केमिकल्स मौजूद हैं।बता दें कि भास्कर ने मुरैना और भोपाल में 37 ऐसे पायरोलिसिस प्लांटों का खुलासा किया था जो बिना अनुमति और ट्रीटमेंट के टायर जलाकर ऑयल निकाल रहे हैं।
इन प्लांटों से निकलने वाला जहरीला पानी सीधे खेतों, नालों और जल स्रोतों में छोड़ा जा रहा है, जिससे फसलें और लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।
अब इन 9 बिंदुओं पर होगी जांच
- प्लांटों को मिली अनुमति की वैधता है या नहीं?
- कच्चे माल के स्रोत और उसकी गुणवत्ता क्या है?
- जल और वायु प्रदूषण नियंत्रण की मौजूदा व्यवस्था और शर्तों के पालन हो रहा है या नहीं?
- प्लांटों के आसपास की कृषि भूमि क्या प्रभाव पड़ा?
- फसलों की वर्तमान स्थिति और संभावित नुकसान।
- क्षेत्रीय लोगों के स्वास्थ्य पर असर।
- फैक्ट्री के वेस्ट और पानी के नमूने लेकर जांच।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एसओपी और गाइडलाइन का अनुपालन हो रहा है नहीं।
- अन्य पर्यावरणीय बिंदु जो जांच में सामने आएं।