चंडीगढ़ में लगभग 10 हजार वेंडर्स में से केवल 3596 वेंडर्स ही नगर निगम को मासिक फीस जमा कर रहे हैं। ऐसे में बाकी बचे वेंडर्स को लेकर निगम अब सख्ती बरतने की तैयारी में है। चंडीगढ़ उपायुक्त ने कहा कि टाउन वेंडिंग कमेटी की आगामी बैठक में ऐसे वेंडर्स के ल
.
लंबे समय से इन वेंडर्स के खिलाफ शिकायतें मिल रही हैं कि वे तय समय पर शुल्क नहीं भर रहे, जिसके बाद अब उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है।
टाउन वेंडिंग कमेटी की बैठक में होगा फैसला उपायुक्त ने नगर निगम के पार्षदों को निर्देश दिया है कि अगर उनके क्षेत्र में किसी वेंडर से संबंधित कोई समस्या है तो वे इसे 2 अक्टूबर तक लिखित रूप में निगम को प्रस्तुत करें। ताकि 7 अक्टूबर को आयोजित होने वाली टाउन वेंडिंग कमेटी की बैठक में उस पर चर्चा की जा सके। यह बैठक 16 महीने के लंबे अंतराल के बाद आयोजित हो रही है, जबकि नियमानुसार हर तीन महीने में कमेटी की बैठक होनी चाहिए थी।
नगर निगम की बैठक के दौरान कांग्रेस पार्षद गुरप्रीत सिंह गाबी ने फीस जमा नहीं करने वाले वेंडर्स के लाइसेंस रद्द करने और उन्हें हटाने का प्रस्ताव रखा। हालांकि, इस मुद्दे पर पार्षदों में एक राय नहीं बन पाई। गाबी ने आरोप लगाया कि कई पार्षद हर बैठक में अवैध वेंडर्स, अतिक्रमण और निगम की इंफोर्समेंट विंग में भ्रष्टाचार की शिकायत करते हैं, लेकिन जब कार्रवाई की बात आती है, तो वे कोई ठोस निर्णय लेने से कतराते हैं।
गाबी ने यह भी कहा कि शहर के कई हिस्सों में अवैध वेंडर्स ने जगह-जगह अतिक्रमण कर रखा है, और पार्षद इसे लेकर केवल निगम के इंफोर्समेंट विभाग को दोषी ठहराते रहते हैं। जबकि असल में यह जांच की जानी चाहिए कि आखिर इन अवैध वेंडर्स को बैठने की जगह कौन दे रहा है। इस प्रस्ताव पर कुछ पार्षदों ने गाबी का समर्थन किया, लेकिन अधिकांश पार्षद इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रहे।
आगे की कार्रवाई पर नजर टाउन वेंडिंग कमेटी की बैठक में इन डिफॉल्टर वेंडर्स के खिलाफ क्या कदम उठाए जाएंगे, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। शहर में अवैध वेंडर्स का मुद्दा लगातार उठता रहा है, लेकिन इस पर ठोस कार्रवाई अभी तक नहीं हो पाई है। आने वाले दिनों में नगर निगम की यह बैठक और पार्षदों की भूमिका इस दिशा में अहम साबित हो सकती है।