Wednesday, April 23, 2025
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ठान लिया तो ठान लिया…: इंदौर की दिव्यांग बेटी पूजा गर्ग बाइक से जाएंगी नाथूला दर्रा, 25 अक्टूबर को विदाई देंगे अनेक संगठन – Indore News



इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की उपाधि प्राप्त कयाकिंग और केनो की अंतरराष्ट्रीय एथलीट और देश को कई बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाकर अनेक पदक प्राप्त करने वाली राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज शहर की युवती पूजा गर्ग स्वयं कैंसर और स्पाइनल कार्ड की शिकार होते

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पूजा के हौसले को सैल्यूट करने के उद्देश्य से अग्रवाल समाज केन्द्रीय समिति एवं समाज बंधुओं द्वारा उन्हें गरिमापूर्ण समारोह में विदाई दी जाएगी। वे इस यात्रा में 4500 किलोमीटर की दूरी तय कर नेपाल, सिक्किम, भूटान एवं देश के चार राज्यों से होते हुए अंतर्राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पर 7 नवम्बर को नाथूला दर्रा पहुंचकर तिरंगा फहराएंगी। इसके बाद कैंसर एवं अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को जागरूकता का संदेश देंगी कि सकारात्मक जोश, जिद, जज्बे और जुनून से हर कठिन बीमारी को हराया जा सकता है। अपनी इस यात्रा के लिए पूजा ने एक कंपनी की मदद से दिव्यांगों के लिए काम आने वाली विशेष बाइक तैयार कराई है, जो पहाड़ी रास्तों पर भी मजबूत इंजन की मदद से चढ़ सकेंगी। उनके साथ इस यात्रा में मार्गदर्शक के रूप में मोहितराव जाधव और प्रभलीन कौर बवेजा, छायाकार युवराज कौशल और उनकी मां रेखा गर्ग भी साथ रहेंगी।

वे समुद्र तल से 14 हजार 140 फीट ऊपर तक चलते हुए 18 हजार फीट की ऊंचाई स्थित भारत-चीन सीमा पर 20 से 25 दिनों में पहुंचकर अंतरराष्ट्रीय कैंसर अवेयरनेस दिवस पर देश के उनके जैसे दिव्यांग और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को संदेश देंगी। उनकी इस यात्रा को उन्होंने ‘ ठान लिया तो ठान लिया ‘ शीर्षक दिया है। पूजा गर्ग इंदौर के बड़ा गणपति क्षेत्र में निवास करती हैं । पिता का साया दो वर्ष पूर्व उठ चुका है। शहर की इस युवती की इस साहसिक यात्रा के लिए अनेक प्रमुख समाजसेवियों मुख्य रूप से प्रेमचंद गोयल, मनोहर बाहेती, अरविंद बागड़ी आदि ने उत्साहवर्धन किया है। इतनी गंभीर अवस्था के बावजूद इस साहसिक यात्रा को तय करने का संकल्प रखने वाली पूजा अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाओं में भाग लेकर कई पदक हासिल कर चुकी हैं। उनका आत्मबल और हौंसला इतना मजबूत है कि वे करीब 20 से 25 दिनों में अपनी इस यात्रा की मंजिल पर पहुंचकर यह साबित करना चाहतीं हैं कि जिद, जज्बा, जोश और जुनून हो तो असंभव नाम का शब्द कोई मायने नहीं रखता।



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