मधुबनी के मॉडल अस्पताल में विश्व यक्ष्मा दिवस के अवसर पर सोमवार को स्वास्थ्यकर्मियों ने टीबी उन्मूलन की शपथ ली। इस दौरान कर्मियों को टीबी के लक्षण, जांच और उपचार की जानकारी दी गई। साथ ही उन्हें टीबी मरीजों के सहयोग के लिए निक्षय मित्र बनने की अपील की
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सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने बताया कि टीबी मायक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस से होने वाला संक्रामक रोग है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। खून के जरिए यह बैक्टीरिया शरीर के अन्य अंगों जैसे मस्तिष्क, लीवर, किडनी और हड्डियों तक पहुंच सकता है। यह बीमारी खांसने और छींकने से एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकती है।
डॉक्टर ने बताया कि 15 दिन तक लगातार खांसी होना टीबी का लक्षण हो सकता है। ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत स्वास्थ्य केंद्र में बलगम की जांच करानी चाहिए। जांच और इलाज दोनों निशुल्क हैं। इलाज के दौरान मरीज को पोषण के लिए हर महीने 1000 रुपए दिए जाते हैं। डॉट प्रोवाइडर को मरीज के ठीक होने पर 1000 से 5000 रुपए तक की प्रोत्साहन राशि मिलती है।
6 एमडीआर मरीजों में पोषण पाउडर वितरित
इस अवसर पर डेमियन फाउंडेशन ने 6 एमडीआर मरीजों को पोषण पाउडर वितरित किया। विशेषज्ञों का मानना है कि सामूहिक प्रयास और जागरूकता से टीबी का उन्मूलन संभव है। सीडीओ डॉ जी एम ठाकुर ने बताया कि टीबी ग्रसित लोगों को कुपोषित होने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे में किसी भी सक्षम व्यक्ति को निक्षय मित्र के रूप में ग्रसित मरीजों को गोद लेकर उन्हें सहायता प्रदान कर सकते है।