व्यापमं : कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के मामले में 70 दिन न्यायिक हिरासत में रहे थे मेहता
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व्यापमं पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा से जुड़े मामले में एक बड़ी न्यायिक राहत देते हुए हाई कोर्ट ने 2015 में सीबीआई और एसटीएफ द्वारा डॉ. अजय शंकर मेहता के खिलाफ दर्ज की एफआईआर को पूरी तरह रद्द कर दिया है। अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. मेहता इस मामले में करीब 70 दिन न्यायिक हिरासत में रहे थे। यह उनके खिलाफ दर्ज एकमात्र आपराधिक मामला था।
वरिष्ठ अधिवक्ता अजय गुप्ता द्वारा प्रस्तुत तर्कों और तथ्यों को मानते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बैंक ने स्पष्ट किया कि केवल दो अभ्यर्थियों के नाम डॉ. मेहता से जोड़े गए थे। इस मामले में कोई भी आर्थिक लेनदेन, व्यक्तिगत लाभ या आपराधिक साजिश का प्रमाण नहीं है। व्यापमं अधिकारियों से फोन पर बातचीत मात्र मित्रवत संबंधों के कारण हुई थी और यह साजिश का प्रमाण नहीं माना जा सकता।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि सीबीआई और एसटीएफ ने कई ऐसे लोगों को भी आरोपी बनाया, जिनके विरुद्ध कोई ठोस साक्ष्य नहीं था और जिन्होंने कोई अपराध नहीं किया। कोर्ट ने अपने आदेश िलखा कि यदि सीबीआई द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को यथावत भी मान लिया जाए, तब भी किसी प्रकार का दंडनीय अपराध सिद्ध नहीं होता।