विधानसभा स्पीकर डा.रमन सिंह ने कहा है कि विधानसभा सत्र के दौरान कई सवालों के जवाब हजार से 15 सौ पन्नों के आते हैं। विधायकों को ऐसे सवालों से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश भीषण जलसंकट की ओर है। इसके लिए जनप्रतिनिधियों की चिंता को देखते हुए मैने क
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जलसंकट को लेकर आपको कड़े निर्देश देने की जरूरत क्यों पड़ी?
– यह सभी जनप्रतिनिधियों की चिंता है। प्रदेश में भीषण जलसंकट दिख रहा है। जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। नदी-नाले सूख रहे हैं इसलिए अभी से कार्ययोजना बनाने की जरूरत है। राज्य सरकार भी इसे लेकर गंभीर है।
वेटलैंड को लेकर किस तरह काम करने की जरूरत है?
– इसके लिए हर गांव का अलग रिकार्ड बनाया जा रहा है। जीव-जंतु, पेड़-पौधों का डिटेल डाटाबेस बन जाए। विशेषज्ञों से बातचीत कर जो निष्कर्ष निकले हैं उसे धरातल पर लाने की जरूरत है।
आसंदी के कड़े निर्देशों का पालन नहीं होने पर क्या कार्यवाही होती है?
– संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही होती है। प्रश्नकाल और ध्यानाकर्षण में सिर्फ खिंचाई ही नहीं होती बल्कि बाद में समितियां प्रत्येक प्रश्न का गंभीरता से आंकलन करती है। वो यथार्थ को सामने लाती हैं।
प्रश्नकाल के अलावा बाकी कार्यवाही भी लाइव करेंगे क्या?
– इस पर अन्य राज्यों की प्रक्रिया का अध्ययन किया जा रहा है। विधायकों से बात करने के बाद इस दिशा में निर्णय लेंगे।
नई विधानसभा में कब से बैठकें शुरू होंगी।
– उम्मीद है कि साल के अंत तक यह तैयार जाएगा। साल का अंतिम सत्र या बजट सत्र से बैठकें शुरु हो जाएंगी।
कई सवालों के जवाब हजार से ज्यादा पन्नों के होते हैं, ऐसा क्यों?
– मैने प्रश्नकर्ताओं से कहा है कि व्यापक प्रश्न न करें। जवाब बनाने में विभाग को काफी दिक्कतें होती है। प्रश्नकर्ता भी इसे चार घंटे में नहीं पढ़ सकता। इसलिए अपने क्षेत्र से संबंधित स्पेशिफिक प्रश्न पूछें। पूरे प्रदेश का प्रश्न न करें ताकि इसका जवाब बनाने में विभाग को दिक्कत न हो। प्रश्नकाल सदन का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है।