अमित ने फैक्ट्री को फर्नीचर बनाने के नाम पर लिया था। बताया था कि इसमें लकड़ी पर होने वाला पॉलिश भी बनाया जाएगा।
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ये ओमवती है, जो भोपाल में पकड़ी गई एमडी ड्रग्स की फैक्ट्री के मास्टरमाइंड अमित चतुर्वेदी के द्वारिकापुरी कॉलोनी स्थित घर पर खाना बनाने का काम करती है। ओमवती को नहीं पता कि अमित चतुर्वेदी एनसीबी और गुजरात एटीएस की गिरफ्त में है। रोजाना की तरह सोमवार को भी ओमवती यहां खाना बनाने पहुंची थी। उसने 15 मिनट तक दरवाजा खटखटाया, मगर जब घर से कोई बाहर नहीं निकला तो वह पड़ोस के घर काम करने चली गई।
इसी दौरान दैनिक भास्कर से बातचीत में ओमवती ने बताया कि अमित चतुर्वेदी के पिता प्रकाश चतुर्वेदी मध्यप्रदेश पुलिस में टीआई थे। उनका पांच साल पहले निधन हो चुका है। घर में अमित, उसकी पत्नी और मां रहते हैं। अमित का बेटा और बेटी दोनों विदेश में रहते हैं।
कॉलोनी के सिक्योरिटी गार्ड और लोगों ने बताया कि अमित चतुर्वेदी ज्यादा बातचीत नहीं करता था। उसकी एक फैक्ट्री है, इसके बारे में सभी को पता था। अमित की गिरफ्तारी के बाद कॉलोनी के लोग और रिश्तेदारों को भरोसा ही नहीं हो रहा है कि वह ड्रग्स के कारोबार से जुड़ा था।
भोपाल की द्वारिकापुरी कॉलोनी में अमित चतुर्वेदी का मकान इस समय खाली पड़ा है।
घर पर पिता की नेम प्लेट, गेट पर ताला कोटरा सुल्तानाबाद की द्वारिकापुरी कॉलोनी में कुल 66 मकान हैं। इनमें से पांचवें नंबर का मकान अमित चतुर्वेदी का है। घर के बाहर पीसी चतुर्वेदी यानी प्रकाश चंद्र चतुर्वेदी की नेम प्लेट लगी हुई है। मकान दो मंजिला है और करीब 2 हजार स्क्वायर फीट में बना है।
अमित चतुर्वेदी के एक पड़ोसी बेंगलुरु में रहते हैं। उनका मकान खाली पड़ा है। दूसरे पड़ोसी भी चतुर्वेदी हैं और वे अमित के रिश्तेदार बताए जाते हैं। भास्कर की टीम जब अमित के घर पहुंची तो बाहर का मेन गेट तो खुला था लेकिन भीतर वाले गेट पर ताला लगा था। घर में कोई नहीं था।
मेड बोली- विदेश से मेहमान आते हैं दैनिक भास्कर की टीम जब घर पर मौजूद थी, उसी वक्त खाना बनाने वाली बाई ओमवती वहां आई। उसने खटखटाया तो किसी ने दरवाजा नहीं खोला। ओमवती ने पूछने पर बताया कि एक दिन पहले यानी 6 अक्टूबर को उसने दोपहर का खाना बनाया था।
उसने बताया कि अमित चतुर्वेदी, उसकी मां और पत्नी ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं और फर्स्ट फ्लोर खाली है। भास्कर ने पूछा कि अब मां कहां है तो बोली- मुझे नहीं पता। कल तो मैं उनके लिए खाना बनाकर गई थी।
ओमवती से पूछा कि वह कब से यहां खाना बना रही हैं तो उसने कहा- मैं अमित के पड़ोस के मकान में पिछले 5 साल से खाना बना रही हूं। यहां तो पिछले सात दिन से ही खाना बना रही हूं, क्योंकि अमित की पत्नी अपने मायके कानपुर गई है। वो मुझे कहकर गई थी कि माताजी खाना नहीं बना सकेंगी।
अमित चतुर्वेदी के बारे में पूछने पर ओमवती ने बताया- वो क्या काम करते हैं मुझे नहीं पता, मगर उनका बेटा विदेश में रहता है।

पुलिस आई तब पता चला कि ड्रग्स का कारोबार करता है अमित चतुर्वेदी के मकान के पड़ोस में उनके रिश्तेदार रहते हैं, जो नेवी से रिटायर अफसर हैं। नाम न बताने की शर्त पर उन्होंने कहा- अमित मेरा रिश्तेदार है। बगरोदा में उसकी फैक्ट्री है, केवल इतनी ही जानकारी है। उस फैक्ट्री में क्या काम होता था, इसके बारे में नहीं पता।
उसे जब गिरफ्तार किया और लोकल पुलिस घर पर आई, तब पता चला कि वह इस तरह का काम करता है। मेरे घर में काम करने वाली बाई भी पिछले सात दिन से उनके घर में खाना बना रही है। जब भी मेरी उससे बातचीत होती तो मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि वह ड्रग्स बनाने का कारोबार करता है।
उन्होंने कहा- अमित बहुत सिंपल है। उसकी मां, पत्नी सब बहुत अच्छे हैं। पता नहीं, वह इस रास्ते पर कैसे चला गया? इतना कहकर उन्होंने कहा कि मेरे नाम का खुलासा मत करना और दरवाजा बंद कर लिया।

कोर्ट से बाहर आते अमित चतुर्वेदी (पीली टीशर्ट पहने) और सान्याल बाने (मुंह पर कपड़ा बांधे हुए)।
सिक्योरिटी गार्ड बोला- फैक्ट्री जाने का समय तय नहीं था द्वारकापुरी कॉलोनी में एंट्री के लिए दो गेट हैं। दिन के समय एक गेट खुला रहता है और दूसरा बंद रहता है। जो गेट खुला होता है, वहां सिक्योरिटी गार्ड तैनात रहता है। इस गार्ड से बात हुई तो उसने बताया कि अमित से रोजाना ही मुलाकात होती थी। वे बेहद कम बोलते थे।
सोसाइटी में रहने वाले लोगों से भी उनका ज्यादा संपर्क नहीं है। बेहद सिंपल तरीके से रहते हैं। केवल इतना पता है कि वह एक फैक्ट्री चलाते हैं लेकिन वहां क्या काम होता है, इसके बारे में जानकारी नहीं है।
गार्ड ने कहा- उनके फैक्ट्री जाने का समय निर्धारित नहीं था। कभी भी चले जाते थे। उनकी मां जरूर शाम के समय कॉलोनी में वॉक करती थी। उस दौरान उनसे बातचीत होती थी।

बगरौदा की ये वही फैक्ट्री है, जहां एटीएस और एनसीबी की टीम ने कार्रवाई की।
अब जानिए, अमित ने कैसे शुरू की थी ड्रग्स बनाने वाली फैक्ट्री अमित चतुर्वेदी साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट है। पहले वो प्राइवेट जॉब करता था। बाद में दो बार खुद का अलग-अलग कारोबार शुरू किया। दोनों बार बिजनेस में नाकाम रहा। जब उसे एनसीबी और गुजरात एटीएस ने पकड़ा और पूछताछ की तो उसने बताया कि उसे इस बात की जानकारी नहीं है कि उसकी फैक्ट्री में तैयार होने वाला केमिकल नशे के लिए इस्तेमाल होता है।
एटीएस ने जब उससे सख्ती से पूछताछ की तब उसने बताया कि नासिक के रहने वाले सान्याल बाने से उसका पुराना परिचय था। एक दोस्त के जरिए उसकी सान्याल से पहली मुलाकात मुंबई में हुई। इसके बाद कई बार दोनों नासिक में भी मिले।
अमित ने पूछताछ में बताया कि सान्याल से उसकी मुलाकात हरीश आंजना ने कराई थी। हरीश और सान्याल ऑर्थर रोड जेल में साथ रहे हैं। हरीश के जरिए सान्याल ने उसे भोपाल के आउटर में फैक्ट्री की जमीन तलाशने के लिए कहा था। इसी के तहत उसने बगरौदा में जयदीप सिंह की फैक्ट्री को किराए पर लिया। इस फैक्ट्री का अलॉटमेंट एके सिंह नाम के व्यक्ति को था, जिसे बाद में जयदीप ने खरीद लिया था।

फर्नीचर कारोबार के नाम पर किराए से ली फैक्ट्री अमित ने फैक्ट्री को फर्नीचर बनाने के नाम पर लिया था। बताया था कि इसमें लकड़ी पर होने वाला पॉलिश भी बनाया जाएगा। फैक्ट्री शुरू करने के लिए एडवांस और किराए से लेकर सामान मंगाने तक का पूरा इन्वेस्टमेंट सान्याल ने किया था। हरीश ही सान्याल के इशारे पर हवाला से आई रकम को अमित तक पहुंचाता था।
जब इसमें ड्रग्स प्रोडक्शन शुरू हुआ तो हरीश ही इस ड्रग्स को अलग-अलग तरीकों से मंदसौर, फिर वहां के रास्ते ग्राहकों तक भेजा करता था। इस काम के लिए उसे हर खेप से कमाई रकम का 10 फीसदी हिस्सा मिलता था। सान्याल जेल से रिहाई के बाद अमित के साथ ही फैक्ट्री चलाने लगा था। भोपाल में वो होटल में ठहरता था।

फैक्ट्री मालिक और किराएदार की भूमिका तलाश रही पुलिस भोपाल डीसीपी जोन-2 संजय अग्रवाल ने बताया कि पुलिस कमिश्नर भोपाल की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी हुआ था। इसमें घरेलू नौकर और किराएदार की निर्धारित सूचना स्थानीय थाना और पुलिस पोर्टल पर देना अनिवार्य है। ऐसा न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
जयदीप सिंह ने एसके सिंह को किराए पर फैक्ट्री दी, मगर उसकी सूचना पुलिस को नहीं दी। न ही सिटीजन पोर्टल पर जानकारी दर्ज की। पुलिस को सूचना न देने के कारण पुलिस ने फैक्ट्री मालिक के खिलाफ कार्रवाई की है।
एसके सिंह ने किस आधार पर फैक्ट्री अमित चतुर्वेदी को किराए पर चलाने के लिए दी थी, इसकी भी जांच की जा रही है। पुलिस ने इस मामले में बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 163 और 233 के तहत मामला दर्ज किया है।

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कोर्ट ने आरोपियों को 14 अक्टूबर तक की रिमांड पर पुलिस को सौंपा है।
भोपाल के बगरौदा गांव स्थित प्लॉट नंबर एफ-63 में ड्रग्स की फैक्ट्री चल रही थी। इसकी भनक भोपाल पुलिस को तब लगी, जब गुजरात एटीएस और एनसीबी की 15 सदस्यीय टीम ने फैक्ट्री पर दबिश दी। अब तक की जांच में पता चला है कि ड्रग्स तस्करी का ये इंटरनेशनल नेटवर्क जेल में तैयार हुआ। आरोपी ड्रग्स खरीदने के लिए क्रिप्टो करेंसी का भी इस्तेमाल करते थे। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें..