रेंज स्तरीय टीम के प्रभारी ने 27 मई को हिरण की खाल और सींग के साथ 3 आरोपियों को पकड़ा।
छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास के चलते वन्य प्राणियों का शिकार और उनके अवशेषों की तस्करी जारी है। तस्करों ने रायपुर को वन्य प्राणियों के अवशेष खपाने का सेफ जोन बना दिया है। आरोपी तंत्र क्रिया करने और बेचने के लिए रायपुर में सौदा कर रहे हैं। रायपुर की रेंज स
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टीम के प्रभारी ने 27 मई को हिरण की खाल और सींग के साथ 3 आरोपियों को पकड़ा। इन आरोपियों में तांत्रिक भी शामिल है। वहीं आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश में 4 साल में 220 हिरण का शिकार हो चुका है। इनमें कई गिरफ्तारियां भी हुई हैं।
तस्कर वन्य प्राणियों के अवशेष कहां से लाए, किस तरह से टीम ने पकड़ा, अवशेषों का सौदा कितने में हुआ था, विस्तार से जानने के लिए पढ़िए इस रिपोर्ट को…
विधानसभा रोड में आरोपियों के साथ उन्हें पकड़ने वाली टीम।
कैसे पकड़ गए तांत्रिक और तस्कर ?
दरअसल, वन विभाग की रेंज स्तरीय फ्लाइंग टीम को 27 मई की दोपहर 3 बजे वन्य प्राणियों के अवशेष की तस्करी का इनपुट मिला। मुखबिर ने बताया कि बोलेरो में वन्य प्राणियों के अवशेष रखकर 3 आरोपी रायपुर की तरफ निकले हैं। रायपुर में इनकी बड़ी डील है।
मुखबिर से खबर मिलते ही फ्लाइंग प्रभारी दीपक तिवारी अपनी टीम के साथ एक्टिव हो गए। इनपुट मिलने पर विधानसभा–बलौदाबाजार रोड पर घेराबंदी की। कुछ समय तक इंतजार के बाद विधानसभा रोड पर एक निजी स्कूल के पास तीनों आरोपियों को पकड़ लिया।

वन विभाग की गिरफ्त में आरोपी तांत्रिक-तस्कर।
रायपुर और कसडोल के तस्कर कर रहे थे तस्करी
इस दौरान रेंज स्तरीय फ्लाइंग टीम ने आरोपियों से एक हिरण की खाल, 5 सींग बरामद किया। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने अपना नाम रायपुर पेंशनबाड़ा निवासी आनंद श्रीवास्तव (तांत्रिक), पीपरछेड़ी कसडोल निवासी तुलाराम पटेल और भागीरथ पैकरा बताया।
इसके साथ ही तस्करों ने इन अवशेषों की डील ढाई लाख में तय की थी। बिक्री नहीं होने तक आनंद श्रीवास्तव ने लक्ष्मी पूजा में खाल का इस्तेमाल करने की बात स्वीकारी। रेंज टीम ने आरोपियों पर वन अधिनियम के तहत कार्रवाई की है।

आरोपियों से बरामद हिरण के खाल और सींग।
करीब 6 महीने पुरानी है खाल
रेंजर दीपक तिवारी ने बताया कि खाल 6 महीने पुरानी लग रही है। यह खाल भागीरथ पैकरा के पास थी। आरोपी आनंद श्रीवास्तव, तुलाराम और भागीरथ आपस में दोस्त हैं। आनंद श्रीवास्तव के कहने पर भागीरथ खाल लेकर आया था।
वन अफसरों के अनुसार आनंद श्रीवास्तव पूर्व में भी हथियार के साथ जंगलों में गिरफ्तार हो चुका है। वहीं भागीरथ भी बारनवापारा के जंगलों में फंदा लगाते वनकर्मियों के हत्थे चढ़ चुका है।

29 अप्रैल को इन आरोपियों को पकड़ा था रेंज टीम ने।
एक महीने में दूसरी कार्रवाई
रेंज स्तरीय फ्लाइंग टीम ने एक महीने के अंदर ये दूसरी कार्रवाई की है। इससे पहले 29 अप्रैल को वन विभाग ने 2 शिकारियों को रायपुर से गिरफ्तार किया था। आरोपियों ने पूछताछ में अपना नाम फराज और नियाद बताया था। आरोपियों के पास हिरण-चीतल के दो सींग बरामद किए थे।

बारनवापारा-पिरदा में बढ़ी शिकार की वारदात
बारनवापारा और पिरदा के जंगल शिकारियों के लिए सेफ प्लेस बनते जा रहे हैं। लगातार इन इलाकों में वन्य प्राणियों का शिकार हो रहा है। बलौदाबाजार वन अफसरों की टीम ने बारनवापारा में शिकार करने घुसे दो शिकारियों पर 26 मई को कार्रवाई की थी।
इन आरोपियों का नाम बंटी कुमार मैथ्यूज कसडोल और सुरेंद्र फरमान दास कोरबा के रूप में हुई। शिकारियों से एयर गन, टॉर्च, 2 मोबाइल और अन्य सामग्रियां बरामद हुई थी।


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