चेन्नई42 मिनट पहले
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यह प्रोजेक्ट न्यूक्लियर वेस्ट को रिसाइकल कर बिजली बनाएगा। इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR) ने इस रिएक्टर को डिजाइन किया था।
तमिलनाडु के कलपक्कम में भारत का पहला प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (PFBR) के अगले साल शुरू होने की उम्मीद है। यह रिएक्टर देश के तीन-चरणों वाले न्यूक्लियर प्रोजेक्ट का दूसरा चरण शुरू करेगा, जिसका मकसद न्यूक्लियर वेस्ट को रिसाइकल कर बिजली बनाना है। इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR) ने इस रिएक्टर को डिजाइन किया था।
भारत सरकार ने 2003 में परमाणु रिएक्टर-प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (PFBR) के निर्माण और संचालन के लिए भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड (BHAVINI) को मंजूरी दी थी।
यह भारत का पहला ऐसा रिएक्टर है जो प्लूटोनियम-आधारित फ्यूल (मिक्स्ड ऑक्साइड) का इस्तेमाल करेगा और ठंडा रखने के लिए लिक्विड सोडियम का उपयोग करेगा। इसमें अभी इस्तेमाल हो रहे प्रेसराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर्स (PHWR) से निकले फ्यूल को भी दोबारा इस्तेमाल किया जाएगा।

मार्च, 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस रिएक्टर वॉल्ट और रिएक्टर के नियंत्रण कक्ष का दौरा किया था।
2025-26 तक बिजली बनाना शुरू कर देगा
न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) जहां देश के बाकी न्यूक्लियर प्लांट्स चला रहा है, वहीं PFBR को BHAVINI तैयार कर रहा है। इस रिएक्टर की क्षमता 500 MW है और यह अपने अंतिम चरण में है। उम्मीद है कि यह 2025-26 तक बिजली बनाना शुरू कर देगा।
मार्च, 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस रिएक्टर वॉल्ट और रिएक्टर के नियंत्रण कक्ष का दौरा किया। जुलाई 2024 में परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) ने फ्यूल लोडिंग और शुरुआती परीक्षणों की अनुमति दी थी।
PFBR भारत के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट में ये बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा क्योंकि इससे निकला ईंधन तीसरे चरण के थोरियम-आधारित रिएक्टर्स में काम आएगा।
सरकार ने ‘न्यूक्लियर एनर्जी मिशन’ की भी घोषणा की है, जिसका लक्ष्य 100 गीगावाट बिजली से बनाना है।
फिलहाल, भारत की न्यूक्लियर क्षमता 8.18 GW है। इसके अलावा 7.30 GW के प्रोजेक्ट निर्माण में हैं और 7.00 GW के प्रोजेक्टों को मंजूरी मिल चुकी है। ये सभी मिलकर 2031-32 तक भारत की न्यूक्लियर क्षमता को 22.48 GW तक बढ़ा देंगे।
इसके बाद NPCIL विदेशी सहयोग से 15.40 GW, लाइट वॉटर रिएक्टर्स से 17.60 GW, और BHAVINI PFBR से 3.80 GW की बिजली जोड़ेगा। साथ ही, छोटे न्यूक्लियर रिएक्टर्स और निजी क्षेत्र के साथ मिलकर बनाए जा रहे नए तकनीक वाले रिएक्टर्स भी इसमें योगदान देंगे। इससे कुल क्षमता 55 GW हो जाएगी।
PFBR से बिजली बनाने के तीन चरण
🔹 पहला चरण: इसमें प्रेसराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर्स (PHWR) लगाए जा रहे हैं। इनमें फ्यूल के रूप में नेचुरल यूरेनियम का इस्तेमाल होता है और ठंडा व धीमा करने के लिए भारी जल (Heavy Water) का प्रयोग होता है। इस चरण में बिजली बनाना शुरू किया जाता है।
🔹 दूसरा चरण: इसमें फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBR) बनाए जाते हैं। ये रिएक्टर पहले चरण में वेस्ट हो चुके फ्यूल को दोबारा इस्तेमाल करते हैं और प्लूटोनियम बनाते हैं। इसका मकसद ज्यादा मात्रा में फ्यूल तैयार करना है, ताकि आगे इसका इस्तेमाल हो सके।
🔹 तीसरा चरण: इस चरण में थोरियम का इस्तेमाल होगा, जो हमारे देश में अधिक मात्रा में मिलता है। थोरियम को सीधे उपयोग नहीं किया जा सकता, इसलिए इसे पहले यूरेनियम-233 में बदला जाता है। इसके लिए एडवांस हैवी वाटर रिएक्टर्स (AHWR) बनाए जाएंगे। यह चरण भारत को न्यूक्लियर ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बहुत जरूरी है।
इस तीन-चरणीय योजना का मकसद देश में उपलब्ध यूरेनियम और थोरियम का पूरा इस्तेमाल कर न्यूक्लियर ऊर्जा से ज्यादा से ज्यादा बिजली बनाना है।
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