उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में अभा सिंधी समाज का 28वां राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न हुआ। यह चार दिवसीय सम्मेलन 21 से 24 फरवरी तक चला। समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष त्रिलोक दीपानी की अध्यक्षता ओर महामंत्री आनंद सबधाणी की खास मौजूदगी में आयोजित इस सम्मेलन
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राष्ट्रीय मुख्य सलाहकार सुरेश जसवानी ने बताया कि सम्मेलन में भारत सरकार से कई प्रमुख मांगें की गईं। इनमें सिंधी लिपि को रोजगार से जोड़ना और राजनीतिक आरक्षण शामिल है। मांग की गई कि जहां 5 हजार सिंधी हैं, वहां पार्षद की टिकट, 50 हजार पर विधायक और 2 लाख सिंधी आबादी वाले क्षेत्र में सांसद का टिकट दिया जाए। साथ ही भारत में एक पृथक सिंधी प्रदेश बनाने की मांग भी रखी गई।
सम्मेलन में विशेष रूप से मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में रह रहे सिंधी विस्थापित परिवारों के प्रॉपर्टी के मालिकाना हक का मुद्दा उठाया गया। यह मांग आजादी के 77 साल बाद भी अधूरी है। गौरतलब है कि 15 अगस्त 1947 को सिंधी समाज ने धर्म और देश के लिए पाकिस्तान छोड़ा था।
सम्मेलन में सिंधी संस्कृति के संरक्षण और विकास पर भी चर्चा हुई। इसमें सिंधी लिपि का उत्थान, विभिन्न राज्यों में समाज की शाखाएं स्थापित करना और सदस्य संख्या बढ़ाना शामिल है। साथ ही सामूहिक विवाह, वृद्धाश्रम स्थापना और मृत्यु भोज पर रोक जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया।

प्रतिनिधियों ने ताशकंद के प्रमुख पर्यटन स्थलों का भ्रमण किया और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। यह सम्मेलन 2018 में दुबई के बाद विदेशी धरती पर आयोजित दूसरा बड़ा सिंधी सम्मेलन था।