श्रावस्ती5 मिनट पहले
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मुस्लिम समाज का प्रमुख त्योहार ईद-उल-अजहा यानी बकरीद हिजरी कैलेंडर के अनुसार 10 जिलहिज्जा को मनाया जाता है। यह त्योहार हजरत इब्राहिम की महान कुर्बानी से जुड़ा है।
कुरआन की मान्यता के अनुसार, अल्लाह ने हजरत इब्राहिम को सपने में अपने पुत्र की कुर्बानी का आदेश दिया। इब्राहिम ने अल्लाह के आदेश को स्वीकार कर लिया।
जब वे अपने बेटे इस्माईल की कुर्बानी देने वाले थे, तब अल्लाह ने उनकी वफादारी को देखते हुए एक मेढ़ा भेज दिया। इस्माईल की जगह मेढ़े की कुर्बानी दी गई।
इसी घटना की याद में दुनियाभर के मुसलमान बकरीद पर जानवर की कुर्बानी करते हैं। यह त्योहार सिर्फ कुर्बानी का नहीं, बल्कि धैर्य, आज्ञाकारिता और मानवता का संदेश भी देता है।
कुर्बानी के मांस को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। एक हिस्सा गरीबों को, दूसरा रिश्तेदारों और दोस्तों को दिया जाता है। तीसरा हिस्सा खुद के लिए रखा जाता है।
इस त्योहार से समाज में भाईचारा, प्रेम और समानता का संदेश फैलता है। बकरीद सिखाती है कि अल्लाह का आदेश मिलने पर उसका तुरंत पालन करना चाहिए।