Importance Of Dakshina In Havan: भारत में पूजा-पाठ और हवन का खास महत्व है. ये सिर्फ धार्मिक परंपराएं नहीं हैं, बल्कि जीवन में शांति, ऊर्जा और सकारात्मकता लाने के साधन हैं. खास तौर पर हवन, जिसे अग्नि देवता के सामने किया जाता है, एक पवित्र कर्म माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, जब भी कोई व्यक्ति विधिपूर्वक हवन करता है, तो उसे पिछले कई दिनों, महीनों या वर्षों की पूजा का एक साथ फल मिल सकता है. यही कारण है कि बड़े पर्वों, जन्मदिन, गृह प्रवेश या किसी शुभ कार्य से पहले हवन किया जाता है.
अब सवाल उठता है कि हवन के बाद दक्षिणा क्यों दी जाती है. ये कोई सामान्य दान नहीं है, बल्कि एक खास परंपरा है जिसके पीछे गहरा भाव जुड़ा है. क्या है इसका महत्व आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
यह भी पढ़ें – गुस्सा आए तो रुकिए, सोचिए: क्या आपकी प्रतिक्रिया आपको मजबूत बना रही है या कमज़ोर?, जानें प्रेमानंद जी महाराज से
दक्षिणा का क्या महत्व है क्यों देना जरूरी हैं?
दक्षिणा का मतलब केवल पैसे देना नहीं होता. ये एक भाव है, एक कृतज्ञता का संकेत है. माना जाता है कि हवन देव की एक शक्ति होती हैं दक्षिणा देवी, जो उस अनुष्ठान को पूर्णता देती हैं. अगर हवन के बाद दक्षिणा नहीं दी जाती, तो हवन अधूरा रह जाता है. यानी आपने भले ही पूरे मन से हवन किया हो, लेकिन जब तक दक्षिणा न दी जाए, तब तक उस कर्म का फल पूरी तरह से नहीं मिलता.
कौन से समय दक्षिणा देना चाहिए?
बहुत से लोग हवन समाप्त होते ही तुरंत दक्षिणा दे देते हैं, लेकिन ये तरीका सही नहीं माना गया है. ब्राह्मणों और जानकारों के अनुसार, दक्षिणा हवन के बाद उस समय दी जानी चाहिए जब ब्राह्मण भोजन कर लें या जब आप किसी ज़रूरतमंद को भोजन या अन्य चीजें बांट दें. तभी इस प्रक्रिया का सही असर होता है.
दक्षिणा में क्या देना सही है?
ये ज़रूरी नहीं कि दक्षिणा में हमेशा पैसे ही दिए जाएं. अगर आप धन नहीं दे सकते तो वस्त्र, फल, अनाज या भूमि जैसी उपयोगी चीजें भी दी जा सकती हैं. यहां तक कि जरूरतमंदों को मदद करना भी दक्षिणा के बराबर माना गया है. खास बात ये है कि जो भी दें, वह अपनी मेहनत की कमाई से होना चाहिए. किसी और के पैसे या सामान से दी गई दक्षिणा का कोई महत्व नहीं होता.
यह भी पढ़ें – सिर्फ अमीरों के घरों में दिखती हैं ये 5 खास आदतें, क्या आपके घर में भी हैं ये बदलाव?, क्या आपने इन्हें अपनाया है?
कितनी होनी चाहिए दक्षिणा?
दक्षिणा की कोई तय राशि नहीं होती. जितनी आपकी सामर्थ्य हो, उतनी दें. इसमें भाव की प्रधानता होती है, न कि मात्रा की. अगर आपके पास कम साधन हैं, तो भी अगर आप सच्चे मन से कुछ देते हैं, तो वह दक्षिणा पूरी मानी जाती है.