‘दाऊद की इमारतों को नहीं मिला मोल लगाने वाला’
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24 साल पहले की अखबार की कटिंग दिखाते हेमंत जैन।
इस हेडलाइन से 11 जनवरी, 2001 के अखबार में खबर छपी। यह पढ़कर यूपी के जिला फिरोजाबाद में रहने वाले 34 साल के हेमंत जैन उबल पड़े। तय किया कि दाऊद की संपत्ति खरीदेंगे। इधर, मित्र मंडली ने भी हेमंत को पुश कर दिया कि अब इस प्रॉपर्टी को खरीदना है। उन दिनों हेमंत का कारोबार अच्छा चल रहा था।
बस फिर क्या था…बातों-बातों में पहुंच गए मुंबई। नीलामी में दाऊद की प्रॉपर्टी खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी। आखिरकार सफलता मिली और प्रॉपर्टी खरीद ली। लेकिन इस प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने के लिए उन्हें 24 साल की लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी।
अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद का खौफ इतना था कि उसकी प्रॉपर्टी हेमंत जैन के नाम करने के लिए 24 साल तक फाइलें PMO से लेकर इनकम टैक्स और महाराष्ट्र सरकार के बीच दौड़ती रहीं। अब रजिस्ट्री तो हो गई है, लेकिन अगला मुश्किल काम है मुंबई की उस प्रॉपर्टी पर कब्जा लेना। हेमंत की अगली लड़ाई अब इसी की है।
दैनिक भास्कर फिरोजाबाद पहुंचा। इस पूरे मामले को समझा। इस केस से जुड़ी 350 से ज्यादा पन्नों की फाइल की स्टडी की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
सबसे पहले डॉन दाऊद इब्राहिम की प्रॉपर्टी की बात
मुंबई दंगों के बाद पुलिस ने जब्त की थीं 23 इमारतें साल-2001 में मुंबई आयकर विभाग ने दाऊद इब्राहिम पर बकाया 45 करोड़ रुपए टैक्स पाने के लिए उसकी 23 इमारतों को नीलाम करने का ऐलान किया। ये सभी प्रॉपर्टी मुंबई के अलग-अलग इलाकों में थीं। दरअसल, मुंबई में 1992-93 के दंगों के बाद पुलिस ने इन इमारतों को जब्त कर लिया था। उसके बाद आयकर विभाग ने तीसरे पक्ष के आकलन के आधार पर दाऊद इब्राहिम कासकर की कुल 23 संपत्तियों का पता लगाया। उन पर साल 1991 से 1995 के दौरान का 45 करोड़ रुपए का आयकर आकलन किया। इसी बकाए की वसूली के लिए विभाग ने इन संपत्तियों को नीलाम करने का फैसला लिया था। 10 जनवरी, 2001 को पहली नीलामी दक्षिण मुंबई के एक होटल में हुई, लेकिन कोई खरीदार नहीं आया।
अब हेमंत की 24 साल की लड़ाई समझिए
न पैसों की कमी, न सपोर्टरों की…बातों-बातों में प्रॉपर्टी खरीदने पहुंच गए मुंबई 11 जनवरी, 2001 के अखबारों में ये खबर छपी कि दाऊद की प्रॉपर्टी खरीदने के लिए कोई नहीं पहुंचा। फिरोजाबाद के स्पेयर पार्ट्स कारोबारी हेमंत जैन ने भी ये खबर पढ़ी। उन दिनों हेमंत की उम्र 34 साल के आसपास थी। हेमंत की फिरोजाबाद में कुल 5 दुकानें हुआ करती थीं। बड़े भाई पीयूष जैन भी कारोबारी थे। यमुनापार इलाके में उनका स्पीकर बनाने का बिजनेस था। कारोबार की वजह से वह मुंबई से भी अच्छी तरह से वाकिफ थे।
हेमंत बताते हैं- उन दिनों न पैसे की कमी थी, न सपोर्टरों की। अखबार में जब ये खबर छपी, तो कई दोस्तों ने हंसी-मजाक में प्रॉपर्टी खरीदने के लिए कहा। मुझे दाऊद की प्रॉपर्टी खरीदकर कोई शोहरत नहीं चाहिए थी। बस ये गुरूर तोड़ना था कि दाऊद की प्रॉपर्टी को कोई सामान्य इंसान भी खरीद सकता है।
हमने रुपए का इंतजाम किया, फिर और हेमंत और पीयूष ट्रेन में बैठकर मुंबई पहुंच गए। चर्च गेट बॉम्बे में आयकर विभाग का ऑफिस है। वहां जाकर नीलामी की प्रक्रिया को समझा।
20 सितंबर, 2011 को मुंबई में कोलावा के डिप्लोमेट होटल में नीलामी हुई और 2 लाख रुपए में एक प्रॉपर्टी हेमंत जैन को मिल गई। ये प्रॉपर्टी 144 फुट की एक दुकान थी, जो ‘उमेरा इंजीनियरिंग वर्क्स’ नाम से जयराज भाई लेन मुंबई में थी। इस समय दुकान के अंदर खराद मशीन लगी है।
प्रॉपर्टी में नाम ट्रांसफर पर रोक बताकर 15 साल टरकाया हेमंत बताते हैं- 28 सितंबर, 2001 तक मैंने प्रॉपर्टी के पूरे 2 लाख रुपए आयकर विभाग में जमा कर दिए। मुंबई पुलिस और सत्र निबंधक न्यायालय ने मुझसे एक शपथपत्र भी लिया कि भविष्य में मैं ये प्रॉपर्टी किसी गैंगस्टर को नहीं बेचूंगा। सारी प्रक्रियाएं पूरी करने के बावजूद सत्र निबंधक न्यायालय ने ये प्रॉपर्टी मेरे नाम नहीं की। आयकर विभाग ने बाद में ये कहा कि भारत सरकार ने प्रॉपर्टी में नाम ट्रांसफर पर फिलहाल रोक लगाई हुई है।
हेमंत के अनुसार- सितंबर 2019 में हमने बॉम्बे हाईकोर्ट में रिट डाली। फिर हम लोकपाल में गए। लोकपाल ने 24 साल पुराना केस बताकर सुनवाई नहीं की।
तीन पूर्व PM को लिखे 29 पत्र हेमंत ने बताया- मैंने इन 24 सालों में कई सौ पत्र लिख डाले। साल 2001 से 2015 तक चार पत्र तत्कालीन PM अटल बिहारी वाजपेयी, दो पत्र मनमोहन सिंह, एक पत्र अब्दुल कलाम और 23 मौजूदा PM नरेंद्र मोदी को लिखे। PMO से फाइल आयकर विभाग और महाराष्ट्र सरकार के बीच दौड़ती रही, लेकिन कोई हल नहीं निकला।
आयकर विभाग, महाराष्ट्र सरकार, पीएमओ तक लंबी लड़ाई लड़ी। मुंबई के कलक्टर ऑफ स्टांप विभाग के कर्मचारी मुझसे कहते थे- बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपइया। मुझे ऐसा लगता है कि आज भी मुंबई में दाऊद का खौफ है। इसलिए एक रजिस्ट्री होने में 24 साल लग गए। वहां के सरकारी विभागों ने कभी स्टांप ड्यूटी बढ़ाकर, कभी दंड लगाकर, कभी फाइल खोना बताकर मेरी रजिस्ट्री नहीं होने दी थी।
हेमंज जैन दाऊद की प्रॉपर्टी के दस्तावेज दिखाते हुए।
इच्छा है- उस प्रॉपर्टी पर चार कुर्सी डालूं, जिससे बैठने की जगह बन सके केस लड़ते-लड़ते अब हेमंत जैन की उम्र 58 साल हो चुकी है। वह बताते हैं कि पारिवारिक वजहों से साल-2007 में उन्हें दुकान बेचनी पड़ी। फिर साल 2008 से 2015 तक घर से ही स्पेयर पार्ट्स का बिजनेस किया। अब वो बिजनेस भी पूरी तरह बंद हो चुका है। जो कुछ जमा पूंजी थी, वो इस केस को लड़ने में खर्च कर चुके हैं।
हेमंत बताते हैं- जब पैसा था, तब एसी का रिजर्वेशन कराकर केस लड़ने ट्रेन से मुंबई जाता था। अब स्लीपर का टिकट लेकर ट्रेन से मुंबई जाता हूं। मैंने ये केस इसलिए लड़ा, ताकि मेरे दोस्त और फिरोजाबाद के लोग बाद में मेरी हंसी न उड़ा सकें। अब खुश हूं कि लड़ाई सफल हुई। अभी एक लड़ाई और बाकी है। वो है इस प्रॉपर्टी पर कब्जा लेना। मौजूदा वक्त में उस प्रॉपर्टी में दुकान चल रही है। वहां अभी भी दाऊद के लोगों का कब्जा है। मैं तो मुंबई में नहीं रहूंगा, लेकिन उस दुकान में चार कुर्सी डालकर रखूंगा। ताकि जब भी मुंबई जाऊं तो वहां बैठने का एक ठिकाना हो सके। अब इस दुकान की कीमत करीब पौने 24 लाख रुपए के आसपास है।
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अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की मुंबई स्थित प्रॉपर्टी यूपी के फिरोजाबाद में रहने वाले कारोबारी हेमंत जैन ने साल 2001 में आयकर विभाग की नीलामी में खरीदी थी। 23 साल बाद 19 दिसंबर को वह प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने में कामयाब हो पाए। 144 वर्गफीट की इस दुकान की रजिस्ट्री कराने के लिए हेमंत ने लंबा संघर्ष किया, लेकिन दुकान पर कब्जा अभी भी नहीं मिला है। इस पर दाऊद के गुर्गे ही कब्जा किए हैं। यहां पढ़ें पूरी खबर