लखीमपुर-खीरी में प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध और बाघों के लिए जाना जाने वाला दुधवा नेशनल पार्क का पर्यटन सत्र आज से शुरू हो गया। इस मौके पर राज्य मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र और पलिया विधायक रोमी साहनी ने पार्क के नवीन पर्यटन सत्र का विधिपूर्वक शुभारंभ किया।
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दुधवा नेशनल पार्क न केवल बाघों की शाही उपस्थिति के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां की प्राकृतिक सुंदरता और वन्यजीवों की विविधता पर्यटकों को आकर्षित करती है। खासतौर पर इस सत्र में पर्यटकों को वन्यजीवों का आनंद लेने के लिए नई सुविधाएं और अनुभव मिलने वाले हैं।
कैसे पहुंचें दुधवा
दुधवा तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से सबसे आसान रास्ता है लखनऊ, सीतापुर, लखीमपुर होते हुए पलिया जाना। शाहजहांपुर से खुटार और फिर मैलानी होते हुए भी दुधवा पहुंचा जा सकता है। अगर आप हवाई यात्रा का विकल्प चुनते हैं तो लखनऊ एयरपोर्ट दुधवा के सबसे नजदीक है, जो यहां से करीब 238 किलोमीटर दूर स्थित है।
सुविधाएं और ठहरने के विकल्प
पलिया में सैलानियों के रुकने के लिए कई निजी होटल और रिसॉर्ट उपलब्ध हैं, जो प्राकृतिक माहौल के साथ आधुनिक सुविधाएं प्रदान करते हैं। दुधवा में सैलानियों को थारू हट का अनुभव भी मिल सकता है, जहां ठहरने के लिए भारतीय सैलानियों के लिए रात का किराया ₹5000 से ₹6500 तक है, वहीं विदेशी सैलानियों के लिए यह ₹14000 से ₹18000 तक निर्धारित किया गया है।

जंगल सफारी और गाइड
दुधवा पार्क में जंगल सफारी का आनंद लेने के लिए 90 गाइड तैनात किए गए हैं। ये गाइड सैलानियों को पार्क के जंगलों में ले जाकर उन्हें वन्यजीवों और पार्क के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। जंगल सफारी के लिए सर्दियों में सुबह साढ़े छह से दस बजे और शाम दो से पांच बजे तक की शिफ्ट तय की गई है। वहीं गर्मियों में सुबह छह से नौ बजे और शाम को तीन बजे से सूर्यास्त तक सफारी का समय होगा।

वन्यजीवों की विविधता
दुधवा नेशनल पार्क में बाघों के अलावा यहां तेंदुए, गैंडे, भालू, जंगली हाथी, बारहसिंगा, सांभर, चीतल, पाढ़ा, खरगोश और ऊदबिलाव जैसे कई वन्यजीवों की प्रजातियां देखने को मिलती हैं। इसके अलावा यहां के जलजीवों और प्रवासी पक्षियों का भी खासा महत्व है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं।

थारू महिलाओं का हस्तशिल्प कला
इस पर्यटन सत्र में थारू महिलाओं द्वारा बनाए गए हस्तशिल्प उत्पादों के स्टॉल भी लगाए जाएंगे। इन उत्पादों में दरी, डलिया, टोपी, पर्स, गमले जैसी चीजें शामिल हैं, जो पर्यटकों के लिए एक अलग अनुभव का हिस्सा बनेंगी। थारू महिलाओं की कला को देखने और खरीदने के लिए सैलानी यहां आ सकते हैं। इस बार के पर्यटन सत्र में दुधवा नेशनल पार्क सैलानियों को न केवल वन्यजीवों की सुंदरता का अनुभव कराएगा, बल्कि उन्हें यहां की संस्कृति और हस्तशिल्प कला से भी रूबरू कराएगा।
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