गर्दनें कटती हैं और धड़ चलते हैं… यह जो हम फिल्मों में देखते हैं, हमने असल में देखा। ना केवल देखा बल्कि जिया भी है। यह बताया सबसे युवा कारगिल हीरो परमवीर चक्र अवॉर्डी कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव ने शनिवार को पंचकूला के सेक्टर-15 के भवन विद्यालय में आ
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सेशन जोश जज़्बा जुनून में जनरल वीपी मलिक (जो कारगिल के समय चीफ ऑफ आर्मी थे), कैप्टन बलवान सिंह, कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव शामिल हुए। इसे कर्नल डीएस चीमा ने होस्ट किया। कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव ने कहा – मुझे कारगिल का वो पल आज भी याद है, जब ऊपर जाने का रास्ता नहीं दिख रहा था।
बस हम सीधा चले गए और हथियारों के बजाय दुश्मन के साथ हाथ से लड़ रहे थे। मैं लहुलुहान था, नाक से खून की धार बह रही थी और मेरा साथी मुझे फर्स्ट-ऐड दे रहा था, तभी उसके सिर के एक तरफ गोली लगी और दूसरे हिस्से से दिमाग बाहर निकलकर गिर गया। मेरे बगल में बैठे ब्रिगेडियर अनंत राम को मैंने कहा कि सर को गोली लग गई। उनका आखिरी शब्द था – क्या। इतने में उनके सीने में गोली लगी और खून की फुव्वारे छूटने लगे। वह मेरी ही गोद में आकर गिर गए…। एक-एक कर मैंने मेरे साथियों को जाते देखा।
किसी की गर्दन कट गई तो किसी के हाथ-पैर। उस समय हिम्मत बनाए रखने की बजाय कोई और रास्ता नहीं होता। इसलिए बच्चों स्थिति चाहे कोई भी हो, रोना नहीं है, जो भी स्थिति हो, उससे भिड़ जाआे। हिम्मत को बटोरते जाओ।
{कैप्टन योगेंद्र साहब जब आपको गोलियां लगी हुई थी, तब भी लड़ते रहने के लिए आपको प्रेरणा कहां से मिली?
– उस समय यही सोच थी कि जो साथियों ने किया उसे बरकरार रखना है। जो शहीद हो गए, उसका बदला लेना है, देश की सुरक्षा करनी है। भारत को दुनिया ने कई युद्ध दिए हैं, मगर भारत ने बुद्ध दिए।
{कैप्टन बलवान सिंह महावीर चक्र, लड़ी गई कारगिल वार से आपने क्या सबक लिया?
– भारत कभी लड़ाई की शुरुआत नहीं करता। मगर जब शुरुआत हो जाती है तो सबको खदेड़ देता है। जीतने के बाद हम तो एलआेसी क्रॉस करके सभी चोटियों को जीतने के लिए तैयार थे। इसी के जवाब में फॉर्मर आर्मी चीफ जनरल वीपी मलिक ने कहा – हर युद्ध से यह सीख मिलती है कि खुद को इतना काबिल बनाआे कि दूसरा देश हम पर हमला करने के बारे में सोचे तक नहीं।
Literary Fest
_photocaption_युवाओं के लिए संदेश *photocaption*
_photocaption_सवाल जो बच्चों ने पूछे*photocaption*
कैप्टन बलवान सिंह महावीर चक्र ने युवाओं से कहा- राष्ट्र-निर्माण में हर किसी का किरदार होता है, फिर चाहे वह किसी भी क्षेत्र से जुड़े हुए क्यों ना हों। फिर भी मैं कहूंगा कि ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स को आर्म्ड फोर्सेज़ को ही ज्वाइन करना चाहिए। इसके लिए केवल पंद्रह क्वालिटीज की ही ज़रूरत होती हैं। ज़िम्मेदारी का अहसास होना चाहिए। हर स्थिति में खुद को ढालना आना चाहिए। खुद पे भरोसा होना आैर अपने सीनियर की बात को मानना। अगर यह सब आप में है, तो फिर आएं आैर देश की रक्षा करें।
हुए यह सेशन भी
सेशन कलर्स ऑफ लाइफ में एडवोकेट मनमोहन सिंह ने अपने जीवन के कई किस्से सुनाए। विजयवर्धन ने सेशन सफरनामा में बच्चों से कई बातें साझा की। विनीत केके पंछी ने तुम बात तो करते सेशन में बच्चों को बात करने की अहमियत बताई। इसमें परमवीरचक्र विक्रम बत्रा को उनकी डॉक्यूमेंट्री से याद किया गया। शेफ विकास चावला ने मैजिक ऑफ मिलेट्स में बच्चों को समझाया कैसे भविष्य में मिलेट्स हमारी प्लेट पर होने चाहिए।
जनरल वीपी मलिक, कैप्टन बलवान सिंह, कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव शामिल हुए।
शनिवार को पंचकूला के सेक्टर-15 के भवन विद्यालय में कुलवंत सिंह लिटरेरी फेस्ट आयोजित हुआ।