Wednesday, June 18, 2025
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दुर्गा अष्टमी कब है? जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त, महा गौरी पूजन मंत्र, भोग और महत्व


Durga Ashtami 2025 Date: इस समय चैत्र नवरात्रि का महापर्व चल रहा है. मातारानी के भक्त व्रत और पूजन से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने में लगे हैं. वैसे तो नवरात्रि के प्रत्येक दिन महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन दुर्गा अष्टमी का ​दिन विशेष होता है क्योंकि इस दिन कन्या पूजा करते हैं और कुछ जगहों पर इस दिन हवन भी किया जाता है. वैसे आप चाहें तो नवरात्रि के प्रत्येक दिन कन्या पूजा और हवन कर सकते हैं. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी या महा अष्टमी होती है. इस बार दुर्गा अष्टमी पर भद्रा भी है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि दुर्गा अष्टमी कब है? दुर्गा अष्टमी का मुहूर्त, महागौरी पूजन मंत्र, भोग और महत्व क्या है?

दुर्गा अष्टमी 2025 तारीख
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि 4 अप्रैल दिन शुक्रवार को रात 8 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ हो रही है. इस तिथि का समापन 5 अप्रैल दिन शनिवार को शाम 7 बजकर 26 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार, दुर्गा अष्टमी 5 अप्रैल को है. उस दिन व्रत और कन्या पूजा है.

दुर्गा अष्टमी 2025 मुहूर्त
दुर्गा अष्टमी के दिन का ब्रह्म मुहूर्त 04:35 ए एम से 05:21 ए एम तक है. उस दिन का शुभ समय या अभिजीत मुहूर्त 11:59 ए एम से 12:49 पी एम तक है. दुर्गा अष्टमी पर पुनर्वसु नक्षत्र सुबह से लेकर अगले दिन 6 अप्रैल को 05:32 ए एम तक है. उसके बाद से पुष्य नक्षत्र है.

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दुर्गा अष्टमी पर 2 शुभ योग
इस साल दुर्गा अष्टमी पर दो शुभ योग बन रहे हैं. एक सुकर्मा योग और दूसरा रवि योग. दुर्गा अष्टमी की ति​थि में सुकर्मा योग रात में 8 बजकर 3 मिनट पर बन रहा है, वहीं रवि योग 6 अप्रैल को 05:32 ए एम से 06:05 ए एम तक है. रवि योग में सभी प्रकार के दोष मिट जाते हैं.

दुर्गा अष्टमी पर लगेगी भद्रा
दुर्गा अष्टमी के ​दिन सुबह में भद्रा भी है. इस भद्रा का वास स्वर्ग में है. भद्रा सुबह में 06:07 ए एम से 07:44 ए एम तक है. स्वर्ग की भद्रा का दुष्प्रभाव पृथ्वी पर नहीं मान्य है.

दुर्गा अष्टमी पर करें महागौरी पूजा
नवरात्रि के अष्टमी वाले दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा करते हैं. महागौरी का वाहन बैल है. वे अपने हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं और गौर वर्ण के वस्त्र पहनती हैं. देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति स्वरूप में पाने के लिए हजारों वर्ष तक कठोर तपस्या की थी, जिससे उनका शरीर काला पड़ गया. तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शव उनको गौर वर्ण प्रदान किया, जो देवी महागौरी के नाम से प्रसिद्ध हुईं.

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दुर्गा अष्टमी पूजा मंत्र: ओम देवी महागौर्यै नमः

मां महागौरी का भोग
दुर्गा अष्टमी पर मां महागौरी को प्रसन्न करने के लिए पूड़ी, हलवा, काले चने, खीर, नारियल या नारियल से बनी मिठाई का भोग लगाते हैं.

दुर्गा अष्टमी का महत्व
दुर्गा अष्टमी पर देवी महागौरी की से भक्तों के कष्ट और दुख मिटते हैं. भक्तों के आयु, सुख और समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है.



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