भाजपा ने निगम-मंडल-आयोग में 36 लोगों की राजनैतिक नियुक्ति कर दी है। हर बार की तरह इस बार भी सिर्फ जाति और क्षेत्र का समीकरण ही काम आया। अब भी 10 निगम-मंडल में नियुक्तियां बाकी हैं। इसमें बड़े मार्कफेड, बेवरेज कारपोरेशन, फिल्म विकास निगम और अपैक्स बैं
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बताया जा रहा है कि जल्द दूसरी सूची भी आएगी। इसके बाद भी कुछ पद खाली रहेंगे, जिसकी लिस्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद की जाएगी। वहीं केश कला शिल्प बोर्ड के उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए गौरीशंकर श्रीवास ने गुरुवार को संगठन को यह जानकारी भी दे दी कि वे पद ज्वाइन नहीं करेंगे।
यहां भी होनी है नियुक्ति: पांच जिले में सहकारी केंद्रीय बैंक और चार शक्कर कारखाने में अध्यक्ष के पदों पर भी राजनैतिक नियुक्त होना बाकी है।
अभी इनमें नियुक्ति बाकी
{मार्कफेड {अपैक्स बैंक {लघु वनोपज सहकारी संघ {बेवरेज कारपोरेशन {फिल्म विकास निगम {सहकारी मत्स्य महासंघ {हथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ {सहकारी संघ {छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी {छत्तीसगढ़ हज कमेटी।
प्रभारी और रमन सिंह की चली निगम मंडल की आई सूची में साफ नजर आ रहा है कि डॉ. रमन सिंह के करीबियों की ही चली। उदाहरण के तौर पर नीलू शर्मा राजनांदगांव के हैं, वहीं नंदे साहू को राजेश मूणत का करीबी माना जाता है। भूपेंद्र सवन्नी और राजा पांडेय को धरमलाल कौशिक के करीबी होने का फायदा मिला। इसके अलावा संघ सेएक-दो लोगों के ऐसे नाम सामने आए हैं जिसका विरोध भी हो रहा है। जैसे बाल संरक्षण आयोग में डॉ. वर्णिका शर्मा को अध्यक्ष बनाया गया। पार्टी के कुछ लोगों ने आरोप लगाया है कि उन्हें तो कभी पार्टी कार्यालय में देखा भी नहीं गया तो उन्हें पद कैसे मिल गया।
सूची में स्थान नहीं मिलने पर रोष विधानसभा, लोकसभा, पंचायत और निकाय चुनाव में चार लोगों को पार्टी के रणनीतिकारों में शामिल किया गया था। कोष की जिम्मेदारी नंदन जैन, आयोग में शिकायतों का जिम्मा डॉ. विजय शंकर मिश्रा, मीडिया और नैरेटिव सेट करने का काम अमित चिमनानी और दिल्ली से पत्राचार का सारा नरेश गुप्ता देख रहे थे। हर चुनाव की बड़ी बैठकों में इन चारों का रहना अनिवार्य रहता था, लेकिन निगम-मंडल में इन्हें जिम्मेदारी न मिलने से कार्यकर्ताओं में रोष है। वहीं अनुसूचित जाति के प्रदेश अध्यक्ष नवीन मार्कंडेय के न होने का भी सतनामी समाज में रोष है।
… और उठा विवाद मंत्रिमंडल की तरह निगम-मंडल में भी नए नेतृत्व को आगे लाने के लिए इस बार नए चेहरों को मौका मिलेगा। चुनाव जीतने के बाद पूर्व प्रभारी ओम माथुर ने भी यह कहा था कि निगम-मंडल में भी नए चेहरे देखने को मिलेंेगे। लेकिन, सूची में कई पुराने लोगों को दोबारा मौका मिलने से लोगों में नाराजगी भी है। इसका विरोध भी लोगों ने अलग-अलग माध्यम से दर्ज करवाया है।
उनका कहना है कि पूर्व मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष रहे राम सेवक पैकरा, संगठन महामंत्री रहे रामप्रताप सिंह, दो विधायक का चुनाव हार चुके नंदे साहू जैसे नेताओं को ही बार-बार जिम्मेदारी दी जाएगी तो नए लोगों को मौका कैसे मिलेगा। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे को लेकर पार्टी भी इस मामले में अभी दो दिन तक शांत रहने को कह रही है। बावजूद गुरुवार को कई समर्थकों ने अपने ही नेताओं को खुली चुनौती दे दी है कि अगर अन्याय हुआ तो इस बार विरोध होना तय है।