देवरिया के महर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में अनचाहे नवजात शिशुओं के लिए एक नई उम्मीद जगी है। महाविद्यालय के इमरजेंसी गेट पर आश्रय पालना स्थल की स्थापना की गई है, जिसका लोकार्पण भाजपा जिलाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ने किया।
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इस अवसर पर जिलाध्यक्ष ने जनता से अपील की कि वे अनचाहे नवजात को मारें या फेंकें नहीं, बल्कि बिना किसी पहचान बताए इस आश्रय स्थल में छोड़ जाएं। उन्होंने आश्वासन दिया कि छोड़ने वालों की पहचान गोपनीय रखी जाएगी और उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी।
महाविद्यालय के प्राचार्य राजेश बरनवाल ने बताया कि यह पहल विशेष रूप से उन नवजात बच्चों, खासकर बेटियों के लिए है, जिन्हें अक्सर डस्टबिन, झाड़ियों, नदी या कुओं में फेंक दिया जाता है। कई बार इन्हें बस स्टेशन या रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया जाता है, जहां से ये भिक्षावृत्ति या अन्य अनैतिक कार्यों में धकेल दिए जाते हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने “सुरक्षित परित्याग” के तहत राज्य के सात प्रमुख शहरों – लखनऊ, गोरखपुर, प्रयागराज, आगरा, मेरठ, झांसी और कानपुर के मेडिकल कॉलेजों में ऐसे आश्रय स्थल स्थापित करने की मंजूरी दी है। इन केंद्रों का उद्देश्य न केवल बच्चों की जान बचाना है, बल्कि उन्हें इच्छुक दंपतियों को गोद देने की कानूनी प्रक्रिया को भी सुगम बनाना है, ताकि ये बच्चे एक सम्मानजनक जीवन जी सकें और भविष्य में समाज के लिए एक संपत्ति बन सकें।
जीवन संरक्षण अभियान, महेशाश्रम, मां भगवती विकास संस्थान उदयपुर के संस्थापक संचालक योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल ने बताया की आश्रय पालन स्थल में प्राप्त शिशु को जिला बाल कल्याण समिति द्वारा विधिनुसार दत्तक ग्रहण के लिए विधिक रुप से स्वतंत्र घोषित किया जाएगा। केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण द्वारा शिशु के दत्तक ग्रहण की कार्यवाही की जाएगी।
तत्पश्चात माननीय जिला न्यायालय द्वारा उस शिशु को दत्तक ग्रहण के माध्यम से पुनर्वास कर दिया जाएगा,जहां से मिलेगा उसे एक नया जीवन, नया नाम, नई पहचान। उल्लेखनीय है कि आश्रय पालना स्थलों की स्थापना महेशाश्रम,मां भगवती विकास संस्थान, उदयपुर द्वारा अपने “जीवन संरक्षण अभियान” के तहत की जा रही है। इस अभियान से अब तक सैकड़ों – सैकड़ों मासूम बच्चों का जीवन बचाया जा सका है।